भविष्य की हवाई यात्रा बेहतर और सस्ती होने की संभावना

लखनऊ

 29-04-2022 09:12 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

भारत में कई मध्यमवर्गीय तथा उससे निचले वर्ग के लिए हवाई यात्रा करना, वित्तीय समस्याओं के कारण आज भी किसी सपने से कम नहीं है! प्रायः हवाई यात्रा, कम धनी लोगों के लिए इतनी महंगी होती है की, वह हवा में उड़ते इन भीमकाय विमानों को, दूर से देखकर ही तसल्ली कर लेते हैं। हालांकि जिस प्रकार हर गुजरते दिन के साथ बाजार में नई कंपनियां दस्तक दे रही हैं, उससे उड्डयन बाज़ार में प्रतिस्पर्धा (Competition) भी बड़ रही हैं। अतः इसे देखकर यह अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है की, आनेवाले समय में हवाई यात्रा आर्थिक तौर पर हर वर्ग के लिए सुलभ होने वाली है, अर्थात हवाई परिवहन के बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का फायदा आम जनता को, सस्ते हवाई टिकटों के रूप में मिलने वाला है।
भारत में नागरिक उड्डयन (civil Aviation) अर्थात सार्वजानिक हवाई यात्रा की उत्पत्ति, सन 1911 में हुई, जब पहली वाणिज्यिक नागरिक उड्डयन उड़ान, इलाहाबाद में एक पोलो ग्राउंड से यमुना नदी के पार नैनी के लिए रवाना हुई। तब से लेकर आज 2020 तक, भारत का नागरिक उड्डयन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाजार बन गया है। एयर इंडिया (Air India) को भारत का राष्ट्रीय ध्वज वाहक माना जाता है, जो भारत को बाकी दुनिया से जोड़ने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट, गो फर्स्ट, विस्तारा, और एयरएशिया इंडिया (Indigo, Air India, SpiceJet, GoFirst, Vistara, and AirAsia India), नागरिक उड्डयन बाजार हिस्सेदारी के क्रम में प्रमुख वाहक हैं। ये एयरलाइंस (Airlines) पूरे भारत में 80 से अधिक शहरों और भारतीय विमानन के उदारीकरण के बाद विदेशी मार्गों को भी आपस में को जोड़ती हैं। मुंबई- दिल्ली हवाई गलियारे को दुनिया का तीसरा सबसे व्यस्त मार्ग माना जाता है।
भारत 2020 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाजार हो चुका था। इसने 2016 में 131 मिलियन यात्रियों को हवाई सफ़र कराया था, जिनमें से 100 मिलियन घरेलू यात्री थे। अंतरराष्ट्रीय यात्री यातायात में योगदान देने वाली, सबसे बड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज (Jet Airways) थी, जिसने 2016 में भारत के अंदर और बाहर 10 मिलियन से अधिक यात्रियों को स्थानांतरित किया! भारत में आधुनिक नागरिक उड्डयन 18 फरवरी 1911 से शुरू हुआ, जब पहली वाणिज्यिक नागरिक उड्डयन उड़ान ने इलाहाबाद से नैनी के लिए 6 मील (9.7 किमी) की दूरी पर उड़ान भरी थी। मार्च 1953 में, भारतीय संसद द्वारा वायु निगम अधिनियम (air corporation act) पारित किया गया।
उस समय भारत के एयरलाइन उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया गया था और स्वतंत्र रूप से संचालित होने वाली आठ घरेलू एयरलाइंस: डेक्कन एयरवेज (Deccan Airways), एयरवेज इंडिया, भारत एयरवेज, हिमालयन एविएशन (Himalayan Aviation), कलिंग एयरलाइंस, इंडियन नेशनल एयरवेज (Indian National Airways), एयर इंडिया और एयर सर्विसेज ऑफ इंडिया (Air Services of India) का दो सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ विलय कर दिया गया था। वर्ष 1972 में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विमानपत्तन प्राधिकरण (International Airports Authority of India (IAAI) का गठन किया गया, जबकि राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (National Airport Authority) का गठन 1986 में किया गया था। वर्ष 1987 में एयर इंडिया फ्लाइट (Air India Flight 182) की दुखद दुर्घटना के बाद, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना की गई। इस प्रकार पिछले एक दशक में भारत जबरदस्त विमानन विकास का गवाह रहा है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 341 मिलियन यात्रियों, 2.5 मिलियन विमानों और 3.3 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो (cargo) विमानों ने भारतीय हवाई अड्डों से देश के अंदर और बाहर लाखों उड़ानें भरी हैं, फिर भी, जब हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे की बात आती है, तो भारत का हवाई अड्डा बुनियादी ढांचा (airport infrastructure), बाजार की जरूरतों के अनुरूप नहीं माना जाता।
हवाईअड्डा क्षमता नियोजन के लिए सबसे पहले बाजार परिदृश्य और पूर्वानुमानों के आकलन की आवश्यकता होती है। इसमें मांग की प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण समझा जाता है। एक उदाहरण के तौर पर दिल्ली हवाई अड्डे की दुबई हवाई अड्डे की तुलना में, बहुत अलग क्षमता की आवश्यकताएं हैं, चंडीगढ़ में शिकागो की तुलना में बहुत अलग आवश्यकताएं हैं और लखनऊ में लंदन की तुलना में बहुत अलग आवश्यकताएं हैं। यहां तक कि स्थानीय रूप से भी यह आवश्यकताएं, क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है। फिर भी भारत में हवाई अड्डों को अक्सर, पश्चिमी मॉडल पर जबरदस्ती फिट करने का प्रयास किया जाता हैं, जो बाजार के साथ तालमेल से बाहर होती हैं। आखिरकार इन गलतियों के लिए भुगतान आम यात्रियों को करना पड़ता है। भारतीय विमानन के लिए एक बड़ी चुनौती हवाईअड्डे की क्षमता भी है। हालांकि देश में कुल 449 हवाई अड्डे हैं, लेकिन 2020 के मध्य तक केवल 105 हवाई अड्डे ही सुचारू तौर पर परिचालित (circulated) थे। इन 105 में से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई, यह छह मेट्रो हवाईअड्डों पर लगभग 61 प्रतिशत विमानन यातायात निर्भर करता हैं। घरेलू यातायात के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय यातायात का लगभग 73 प्रतिशत, अभी भी यहीं से आता है। इसके अलावा, जब हवाई अड्डे की क्षमता की बात आती है तो, पीक-टाइम क्षमता (peak-time capability) अर्थात्, मांग के अनुरूप, अवधि के दौरान यातायात को संभालने के लिए हवाई अड्डे की क्षमता भी मूल्यवान होती है। खराब नियोजन क्षमता, एक एकीकृत दृष्टिकोण की कमी का परिणाम होती है।
आज विमानन बाज़ार में न केवल यात्री बढे हैं बल्कि नई बिमानन कंपनियों ने भी लगातार इस बाज़ार में अपने कदम रखे हैं, जिससे इस हवाई बाज़ार में प्रतिस्पर्धा पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गई है। इसके परिणाम स्वरूप आने वाले भविष्य में, घरेलू विमानन में कीमतों की जंग देखने को मिल सकती है, जहां आने वाले महीनों में यात्रियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों से फायदा होगा।
एयर इंडिया, नए शासन के तहत, पहले ही यह चलन शुरू कर चुकी है, वहीं अकासा एयर और जेट एयरवेज सहित, दो दुर्जेय खिलाड़ी अगले कुछ महीनों में यात्रियों के लिए और अधिक विकल्पों की पेशकश करने वाले हैं।
टाटा समूह का हिस्सा बनने के बाद एयर इंडिया ने यात्रियों के लिए बेहतर भोजन सेवा भी शुरू कर दी है। साथ ही इसने सरकारी हितधारकों, वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारियों सहित अन्य ग्राहकों की बेहतर सुविधाओं के लिए एक कार्यकारी हेल्पडेस्क (executive helpdesk) भी स्थापित किया है। साथ ही भोजन और सीट चयन जैसी सुविधाएं अतिरिक्त कीमत पर उपलब्ध होंगी। अरबपति निवेशक, राकेश झुनझुनवाला द्वारा प्रवर्तित इस एयरलाइन ने 72 बोइंग 737 मैक्स (72 Boeing 737 MAX) विमानों का ऑर्डर दिया है। जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ, विनय दुबे और इंडिगो के पूर्व अध्यक्ष, आदित्य घोष सहित विमानन उद्योग के अन्य दिग्गजों के ठोस समर्थन के साथ, कई एयरलाइन का ध्यान हवाई यात्रा को लोकतांत्रिक बनाने पर है। जेट एयरवेज, एक एयरलाइन जिसे अप्रैल 2019 में नकदी से बाहर होने के बाद बंद कर दिया गया था, का लक्ष्य 2022 में एक पूर्ण-सेवा वाहक के रूप में जल्द से जल्द घरेलू परिचालन शुरू करना है।
अगले छह महीनों में इस एयरलाइन के लगभग 1,500 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है। देश के विभिन्न हवाई अड्डों पर कोविड -19 प्रतिबंध मामलों में धीरे-धीरे गिरावट के साथ उम्मीद की जा रही है कि आनेवाले समय में, हवाई-यातायात में महामारी के बाद पुनरुद्धार दिखाई देगा। नतीजतन, आगे चलकर ये एयरलाइंस यात्रियों को लुभाने के लिए प्रतिस्पर्धी कीमतों की पेशकश जरूर करेगी।

संदर्भ
https://bit.ly/39m3rP0
https://bit.ly/3xXnBsU
https://bit.ly/3MyvYPt

चित्र संदर्भ
1  एयर इंडिया के जहाज को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
2. एयर इंडिया के पुराने जहाज को दर्शाता एक चित्रण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के लोगो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. 2015-16 में सबसे व्यस्त भारतीय हवाई अड्डों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सिलचर हवाई अड्डे पर एयर इंडिया A320 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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