विभिन्‍न वर्गों में बेरोजगारी की भिन्‍नता

लखनऊ

 30-04-2022 07:51 AM
आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

धरातल से रिपोर्ट लेने वाले पत्रकार ने बेरोजगारों की तस्वीरों को छोटे-छोटे समूहों में सड़कों पर, चाय की दुकानों या सिगरेट की दुकानों के आसपास एकत्रित हुए चित्रित किया है। यह बेरोजगारों की एक छवि प्रस्‍तुत करता है। किंतु यह उनका पूर्ण विवरण नहीं देता है। सीएमआईई (CMIE’s) का उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) (CPHS) बेरोजगारों के व्यवसाय को समझने में हमारी मदद कर सकता है। बेरोजगारों की श्रेणी में केवल वे लोग नहीं आते हैं जो दोस्‍तों के साथ आवारा घूम रहे हैं, इसमें गृहणियां भी शामिल हैं जो कहने को तो बहुत व्‍यस्‍त हैं किंतु बेरोजगार हैं।बेरोजगारों की श्रेणी में केवल वे लोग शामिल नहीं हैं जो कुछ नहीं करते वरन् इनमें से कई लोग काफी व्‍यस्‍त भी रहें, किंतु यह व्‍यस्‍तता रोजगार की तलाश हेतु है।
इस रिपोर्ट में बेरोजगारों को उनकी आय वर्ग के आधार पर खोजने का प्रयास किया गया है। क्या ये बेरोजगार गरीब या मध्यम वर्ग से हैं या ये अपेक्षाकृत अमीर वर्ग से हैं? सीएमआईई का उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) इस तरह की सामुहिक मुद्दे को समझने में सक्षम बनाता है क्योंकि यह हर उस व्यक्ति को जोड़ता है, जिसे एक परिवार के साथ रोजगार की स्थिति के लिए मापा जाता है और सीपीएचएस परिवारों की आय पर डेटा भी प्रदान करता है।दिसंबर 2021 की अंतिम तिमाही में सिर्फ 0.01 फीसदी गृहणियां ही कार्यरत थीं। यह अनुपात 2016 में 0.1 प्रतिशत से तेजी से गिरकर 2021 में 0.01 प्रतिशत हो गया। केवल 7 प्रतिशत बेरोजगारों ने कहा कि उनका कोई विशिष्ट व्यवसाय नहीं है। संभवतः, ये वही हैं जो सड़क के किनारे या चाय की दुकानों पर घूमते हैं। दिलचस्प बात यह है कि लगभग 1 फीसदी बेरोजगारों ने कहा कि उनका पेशा वेतनभोगी कर्मचारी जैसा है। सुविधा की दृष्टि से सीपीएचएस ने परिवारों को पाँच आय वर्गों में बाँटा है। वर्ग विभाजन प्रतिशतक से नहीं है जैसा कि अकादमिक कार्य के लिए आदर्श माना जाता है, बल्कि वार्षिक घरेलू आय के सभी पहलुओं को जोड़कर तैयार किया गया है। आय पिरामिड के निचले भाग में ऐसे परिवार हैं जो सालाना 100,000 रुपये से कम कमाते हैं। अगला समूह रु.100,000 से रु.200,000 प्रति वर्ष कमाता है। ध्यान दें कि पूर्व-महामारी वर्ष, 2019-20 के दौरान औसत घरेलू आय 187,410 रुपये थी और 2020-21 में यह 170,500 रुपये हो गयी थी। इसलिए हम इस समूह को निम्न मध्यम वर्ग का कह सकते हैं। परिवारों का तीसरा समूह प्रति वर्ष 200,000 रुपये से 500,000 रुपये के बीच कमाता है। यह मध्यम आय वर्ग हो सकता है। चौथा सालाना 500,000 रुपये और 1 मिलियन रुपये के बीच कमाता है और इसे उच्च मध्यम वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। परिवारों का सबसे धनी समूह एक वर्ष में 1 मिलियन से अधिक कमाता है।
2019-20 में, इस सर्वेक्षण में शामिल सभी घरों में 9.8 प्रतिशत सबसे गरीब घर शामिल थे और सभी बेरोजगारों में केवल 3.2 प्रतिशत गरीब बेरोजगार शामिल थे। 2020-21 में और 2021-22 की पहली छमाही में ये सभी घरों के 16.6 प्रतिशत थे, लेकिन फिर भी सभी बेरोजगारों में इनकी संख्‍या केवल 3.5 प्रतिशत ही थी। सबसे गरीब परिवार वे नहीं हैं जो बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की रिपोर्ट करते हैं।इसका मुख्‍य कारण यह है कि कोई भी गरीब बेरोजगार रहने का जोखिम नहीं उठा सकता है और इसलिए वे बड़े पैमाने पर कार्यरत रहते हैं। पर ये सच नहीं है। निश्चित रूप से, इस समूह में सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान महामारी से पहले लगभग 4.1 प्रतिशत और सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान 4.8 प्रतिशत पर सबसे कम बेरोजगारी दर है। लेकिन, इसी अवधि में श्रम भागीदारी दर क्रमशः 38.1 प्रतिशत और 31.3 प्रतिशत रही। इसी तरह रोजगार दर 36.5 प्रतिशत और 29.8 प्रतिशत थी। ये सभी आय समूहों में सबसे कम दरें हैं। सबसे गरीब परिवारों को सबसे खराब रोजगार की स्थिति का सामना करना पड़ता है। उन्हें सबसे खराब मजदूरी की स्थिति का भी सामना करना पड़ता है। एक गरीब परिवार की औसत मजदूरी आय लगभग 53,000 रुपये प्रति वर्ष होती है, जो सभी परिवारों की औसत मजदूरी आय के आधे से भी कम है। गरीब परिवारों को कम रोजगार दर और कम मजदूरी दर की दोहरी मार झेलनी पड़ती है। लेकिन, यह वह जगह नहीं है जहां अधिकांश बेरोजगार रहते हैं।
एक तिहाई से कुछ अधिक बेरोजगार निम्न मध्यम आय वाले परिवारों में रहते हैं। इन घरों में कुल घरों का लगभग 45 प्रतिशत हिस्सा रहता है। इस समूह में श्रम भागीदारी दर और रोजगार दर सबसे गरीब परिवारों की तुलना में बेहतर है लेकिन यह अन्य सभी आय समूहों की तुलना में कम है। आंकड़ों से लगता है कि 2021-22 के दौरान इस आय वर्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा निम्न आय समूहों में चला गया। जैसे-जैसे यह परिवर्तन हुआ, कुल बेरोजगारों में इस वर्ग की हिस्सेदारी सितंबर-दिसंबर 2019 के दौरान 33 प्रतिशत से बढ़कर मई-अगस्त 2021 के दौरान 39.5 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर-दिसंबर 2021 तक 35.7 प्रतिशत हो गई।
बेरोजगार आबादी का बड़ा हिस्सा मध्यम वर्ग के परिवारों में स्थित है, जो एक वर्ष में 200,000 रुपये से 500,000 रुपये के बीच कमाते हैं। इन घरों में कुल घरों का आधा हिस्सा और बेरोजगारों का भी आधा हिस्सा रहता है। जब समग्र औसत एलपीआर 40.।8 प्रतिशत था उस दौरान इस समूह का औसत एलपीआर 43 प्रतिशत था। इस आय समूह में बेरोजगारों की सबसे बड़ी संख्या है और यह 9 प्रतिशत से अधिक की उच्च बेरोजगारी दर का भी अनुभव करता है।मध्यम आय वर्ग के एक परिवार की औसत मजदूरी आय 200,000 रुपये प्रति वर्ष से थोड़ी कम है। ध्यान दें कि मजदूरी आय परिवारों की कुल आय का केवल एक हिस्सा है। रोजगार के मोर्चे पर भारत की सबसे बड़ी चुनौती मध्यम वर्ग के परिवारों के लगभग 16 मिलियन बेरोजगारों को प्रति वर्ष लगभग 200,000 रुपये देने वाली नौकरियां प्रदान करना है। यहां इस तथ्य को एक साथ रखना कुछ हद तक मजबूर करने वाला है कि सीपीएचएस डेटाबेस हमें यह भी बताता है कि मध्यम वर्ग के बीच उपभोक्ता भावनाओं में सबसे अधिक सुधार हो रहा है।अमीर परिवारों को बेरोजगारी का सबसे कम सामना करना पड़ता है। ये सभी घरों का लगभग आधा प्रतिशत हिस्सा हैं और सभी बेरोजगारों का समान अनुपात रखते हैं।
46.3 प्रतिशत पर उनका औसत एलपीआर सभी आय समूहों में सबसे अधिक है। उनकी बेरोजगारी दर सभी आय समूहों में सबसे अधिक बढ़ी थी,लेकिन तब से इसमें गिरावट आई है। महामारी की पहली लहर के दौरान यह 15 प्रतिशत से अधिक था। लेकिन, 2021 में यह दर औसतन 5.2 फीसदी ही रही है। रोजगार दर ज्यादातर 40 प्रतिशत से अधिक रही है। लेकिन, सितंबर-दिसंबर 2021 के दौरान, यह बढ़कर 45 प्रतिशत हो गयी। यह अन्य आय समूहों की रोजगार दर से काफी अधिक है जो 30 से 40 प्रतिशत के बीच है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3vkuNgS
https://bit.ly/3vjhWLS

चित्र संदर्भ
1  धरने पर बैठे लोगों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. चाय की दुकान को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. छोटे बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
4. 2010 अपने आर्थिक क्षेत्रों द्वारा भारत में प्रतिशत श्रम रोजगार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



RECENT POST

  • जानें, प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और क्यों हो सकता है यह आपके लिए एक बेहतरीन व्यवसाय
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:32 AM


  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id