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विज्ञान के अनुसार स्तनधारी जीवों में प्रेम की उत्पत्ति और विकास

लखनऊ

 14-02-2022 11:06 AM
द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

युवा-युवतियों के लिए किसी के प्रति आकर्षण या प्रेम का अनुभव करना कोई नई बात नहीं है! हालांकि यह आकर्षण कोई विचित्र बात नहीं है, लेकिन यह भी एक विचार करने योग्य प्रश्न है कि, प्रेम वास्तव में प्रेम है या फिर दिमाग के भीतर रसायनों का केवल एक केमिकल लोचा है?
जीवाश्म हमें बताते हैं कि हमारे स्तनधारी पूर्वजों में प्रेम करोड़ों साल पहले ही विकसित हो चूका था, जिससे हमारे पूर्वजों को डायनासोर के समय में भी जीवित रहने में मदद मिली। एक माँ और उसकी संतान के बीच के बंधन के रूप में, मनुष्य और अन्य सभी स्तनपायी (mammal) एक तरह का प्यार ही साझा करते हैं। इस लगाव की सार्वभौमिकता से पता चलता है कि यह बंधन का मूल, पैतृक रूप है, जिससे अन्य सभी बंधन विकसित हुए।
नवीनतम त्रैसिक और प्रारंभिक जुरासिक काल (Triassic and early Jurassic period) में, माता-पिता- संतान सम्बंध का प्रमाण लगभग 200 मिलियन वर्ष पहले दिखाई देता है। एरिज़ोना (Arizona) के एकजुरासिक प्रोटो-स्तनपायी, कायन्टेथेरियम (Jurassic Proto-mammal, Kayntherium) के जीवाश्म, एक माँ को संरक्षित करते हैं जो अपने 38 छोटे बच्चों की रक्षा करते हुए मर गई थी। अनेक कारणों से हमारे स्तनपायी पूर्वज एक-दूसरे की परवाह करने लगे। लाखों वर्षों में, वे रक्षा करने, सुरक्षा की तलाश करने, शारीरिक गर्मजोशी का आदान-प्रदान करने, एक-दूसरे को तैयार करने, एक-दूसरे के साथ खेलने, सिखाने और सीखने के लिए तेजी से एक दूजे के साथ बंधने लगे, जिसे आधुनिक संस्कृतियों में प्रेम का नाम दिया जाता है। प्रेम एक सार्वभौमिक मानवीय घटना है। लेकिन वैज्ञानिकों ने लंबे समय से प्रेम की जैविक नींव को निर्धारित करने के लिए संघर्ष किया है। अब, एक नए अध्ययन में, एक शोध दल ने पाया है कि इंसान वास्तव में प्यार में पड़ने के लिए ही विकसित हुए हैं। शोध ने प्रेम के आनुवंशिक या न्यूरोलॉजिकल (genetic or neurological) आधार खोजने का प्रयास किया है। यह शोध प्रस्तुत करता है कि प्यार प्रजनन सफलता को प्रभावित करता है, जैसा कि लोगों के बच्चों की संख्या से मापा जाता है। तंजानिया के शिकारी-संग्रहकर्ता (Tanzanian hunter-gatherers) हदज़ा (hadza) लोगों के पुरुषों में शोध से पता चला कि पुरुष और महिलाओं दोनों में एक साथी के प्रति प्रतिबद्धता मूलतः बच्चों की संख्या से जुड़ी थी। आधुनिक पश्चिमी समाजों में, गर्भनिरोधक जैसे कारक प्यार और बच्चों की संख्या के बीच संभावित लिंक को बाधित करते हैं। यही कारण है कि व्रोकला विश्वविद्यालय में डॉ पियोट्र सोरोकोव्स्की (Dr. Piotr Sorokowski at the University of Wroclaw) के नेतृत्व में शोध दल ने हद्ज़ा का अध्ययन करना चुना। अध्ययन में भाग लेने वाले विवाहित व्यक्तियों द्वारा महसूस किए गए प्यार को मापने के लिए, शोधकर्ताओं ने त्रिकोणीय प्रेम पैमाने (triangular love scale) नामक एक विधि का इस्तेमाल किया। पैमाना तीन घटकों पर आधारित है, जो समग्र रूप से प्रेम में अंतरंगता, जुनून और प्रतिबद्धता की गहराई को मापने के लिए बनाया गया। उन्होंने पाया कि प्रतिबद्धता और प्रजनन सफलता दोनों लिंगों में सकारात्मक और लगातार सम्बंधित थी। उन्होंने महिलाओं में जुनून और प्रजनन सफलता के बीच एक सकारात्मक सम्बंध भी पाया। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि जुनून और प्रतिबद्धता, प्रजनन की संभावना को बढ़ाने वाले प्रमुख कारक हो सकते हैं। इसका मतलब यह होगा कि "चयन ने मानव विकास में प्रेम को बढ़ावा दिया"! विकासवादी मनोविज्ञान (evolutionary psychology), विकासवादी जीव विज्ञान (evolutionary biology), नृविज्ञान और तंत्रिका विज्ञान (anthropology and neuroscience) जैसे जैविक विज्ञानों द्वारा प्रेम के जैविक आधार के सिद्धांत को खोजा गया है। बंदर के शिशु और इंसानी बच्चे बहुत लंबे समय से माता-पिता की मदद पर निर्भर होते हैं। इसलिए प्यार को एक विस्तारित समय अवधि के लिए बच्चों के आपसी माता-पिता के समर्थन को बढ़ावा देने के रूप में देखा गया। विकासवादी मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से प्रेम से जुड़े अनुभवों और व्यवहारों की जांच इस आधार पर की जा सकती है कि उन्हें मानव विकास द्वारा कैसे आकार दिया गया है। इस संदर्भ में उदाहरण के लिए, यह सुझाव दिया जाता है कि विकास के दौरान मानव भाषा को "संभोग संकेत" के एक प्रकार के रूप में चुना गया है जो संभावित साथियों को प्रजनन फिटनेस (reproductive fitness) का आंकलन करने की अनुमति देता है। वैज्ञानिकों बोडे और कुशनिक (Bode and Kushnik) ने 2021 में एक जैविक दृष्टिकोण से रोमांटिक प्रेम (romantic love) की व्यापक समीक्षा की। उन्होंने रोमांटिक प्रेम के मनोविज्ञान, इसके तंत्र, जीवन भर के विकास, कार्यों और विकासवादी इतिहास पर विचार किया। उस समीक्षा की सामग्री के आधार पर, उन्होंने रोमांटिक प्रेम की जैविक परिभाषा प्रस्तावित की: रोमांटिक प्रेम एक प्रेरक अवस्था है जो आमतौर पर किसी विशेष व्यक्ति के साथ दीर्घकालिक संभोग की इच्छा से जुड़ी होती है। यह जीवन भर होता है और दोनों लिंगों में विशिष्ट संज्ञानात्मक, भावनात्मक, व्यवहारिक, सामाजिक, आनुवंशिक, तंत्रिका और अंतःस्रावी गतिविधि से जुड़ा होता है। जीवन भर, यह साथी की पसंद, प्रेमालाप, सेक्स और जोड़ी-बंधन कार्यों में कार्य करता है, जो मनुष्यों के हाल के विकासवादी इतिहास के दौरान किसी समय उत्पन्न हुआ था। प्यार को समझाने के लिए सामाजिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किए गए हैं, ताकि प्यार में शामिल मनोवैज्ञानिक घटकों को और समझाने में मदद मिल सके। प्रेम से सम्बंधित अधिक प्रमुख अवधारणाओं में से एक को रॉबर्ट जे. स्टर्नबर्ग (Robert J. sternberg) द्वारा प्रस्तावित किया गया था जिसे "प्रेम के त्रिकोणीय सिद्धांत" ("The Triangular Principle of Love") के रूप में जाना जाता है। इस सिद्धांत के आधार पर प्रस्तावित प्रेम एक त्रिकोणीय गति (triangular motion) का अनुसरण करता है, जो त्रिभुज के तीनों पक्षों तरंगता, जुनून और प्रतिबद्धता के भीतर विभिन्न स्तरों के संयोजन के साथ बहता है। उदाहरण के लिए, इंटिमेसी प्लस पैशन (intimacy plus passion) रोमांटिक प्रेम की ओर ले जाता है जबकि इंटिमेसी प्लस कमिटमेंट (intimacy plus commitment) करुणामय प्रेम की ओर ले जाता है।
प्रेम के रासायनिक आधार के सरलीकृत अवलोकन के संदर्भ में जीव विज्ञान में पारंपरिक दृष्टिकोण यह है कि प्रेम में तीन प्रमुख कारण होते हैं-कामेच्छा, लगाव और साथी वरीयता। इन भावनाओं को नियंत्रित करने वाले प्राथमिक न्यूरोकेमिकल्स (न्यूरोट्रांसमीटर, सेक्स हार्मोन और न्यूरोपैप्टाइड्स “Neurochemicals (neurotransmitters, sex hormones and neuropeptides”), टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन, डोपामाइन, ऑक्सीटोसिन और वैसोप्रेसिन (Testosterone, Estrogen, Dopamine, Oxytocin and Vasopressin) हैं। न्यूरोपैप्टाइड ऑक्सीटोसिन (neuropeptide oxytocin) एक ऐसा तत्व है, जो बार-बार प्यार की जैव रसायन में प्रकट होता है। बड़े स्तनधारियों में, ऑक्सीटोसिन बड़े दिमाग वाले बच्चे को गर्भाशय से बाहर निकालने, दूध निकालने और माँ और संतानों के बीच एक चयनात्मक और स्थायी बंधन को स्थपित करने में मदद करके प्रजनन में एक केंद्रीय भूमिका अपनाता है। इसके कारण स्तनधारी संतानें जन्म के बाद कुछ समय के लिए अपनी माँ के दूध पर महत्त्वपूर्ण रूप से निर्भर करती हैं। मानव माताएँ भी जन्म के तुरंत बाद अपने नवजात शिशुओं के साथ एक मजबूत और स्थायी बंधन बनाती हैं, जो बच्चे के पोषण और अस्तित्व के लिए आवश्यक है। हालांकि, जो महिलाएँ प्रसव पीड़ा से गुजरे बिना सिजेरियन सेक्शन (caesarean section) द्वारा जन्म देती हैं, या जो स्तनपान नहीं कराने का विकल्प चुनती हैं, वे भी अपने बच्चों के साथ एक मजबूत भावनात्मक बंधन बनाने में सक्षम हैं। इसके अलावा, पिता, दादा-दादी और दत्तक माता-पिता भी बच्चों के लिए आजीवन लगाव बनाते हैं। प्रमाण के तौर पर एक शिशु की साधारण उपस्थिति वयस्कों में भी ऑक्सीटोसिन जारी कर सकती है। बेशक, ऑक्सीटोसिन प्यार का आणविक समकक्ष (molecular equivalent) नहीं है। लेकिन यह एक जटिल न्यूरोकेमिकल प्रणाली (complex neurochemical system) का सिर्फ एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो शरीर को अत्यधिक भावनात्मक स्थितियों के अनुकूल होने की अनुमति देता है। हालांकि यह पहले से ही स्पष्ट है कि प्यार और ऑक्सीटोसिन दोनों बेहद शक्तिशाली हैं। लेकिन प्रेम के संदर्भ में अभी बहुत कुछ समझना बाकी है।

संदर्भ
https://bit.ly/3oEq9qn
https://bit.ly/3JmLnky
https://bit.ly/3JoShG0
https://bit.ly/3HOhF7o
https://bit.ly/3gJ7dCg

चित्र संदर्भ   

1. अपने बच्चे को स्तनपान कराते चिम्पाजी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. डायनासोरों के जीवाश्मों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दिमाग के भीतर दिल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बच्चे को स्तनपान कराती माँ को एक चित्रण (KellyMom)



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