Post Viewership from Post Date to 14-Mar-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3536 111 3647

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

ग्रामीण आबादी को सशक्त बनाने हेतु औपचारिक तकनीकी प्रशिक्षण आवश्यक है

लखनऊ

 12-02-2022 10:04 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

औपचारिक व्यावसायिक या तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करने में भारत का ग्रामीण हिस्सा एक बार फिर शहरी आबादी से पिछड़ रहा है।सरकार द्वारा अपने आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्षों की तुलना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पुरुषों और महिलाओं के कौशल में सुधार हुआ है, हालाँकि, पुरुषों और महिलाओं के लिए औपचारिक प्रशिक्षण शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में कम था।सरकार ने कहा कि जनसांख्यिकीय लाभांश को खोलने हेतु जनसंख्या में कौशल के स्तर को बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labour Force Survey) 2019-20 के अनुसार युवाओं (15-29 वर्ष) और कामकाजी आबादी (15-59 वर्ष) के बीच औपचारिक व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण में 2018-19 की तुलना में 2019-20 में सुधार हुआ है। 2019-20 के लिए, शहरी भारत में 15-29 वर्ष की आयु के 7 प्रतिशत पुरुष आबादी को व्यावसायिक या तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया, जबकि देश के ग्रामीण हिस्से में केवल 3.1 प्रतिशत को ही कौशल विकास का लाभ मिला। समान आयु वर्ग में, महिलाओं के आंकड़ों को देंखे तो यहां भी ग्रामीण और शहरी भारत के बीच एक समान अंतर दिखाई दिया। शहरी क्षेत्रों में कुल 6.5 प्रतिशत महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 2.7 प्रतिशत महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कौशल विकास प्रयासों का उद्देश्य कुशल जनशक्ति की मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को दूर करना है।साथ ही इसका उद्देश्य व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण ढांचे का निर्माण, कौशल उन्नयन और नए कौशल का निर्माण करना है।भारत में ग्रामीण आबादी का कौशल विकास अति महत्वपूर्ण है।भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक अवसर एक सक्षम और प्रशिक्षित जनशक्ति बनाने में निहित है। ग्रामीण युवाओं में कौशल विकास देश में विशेष रूप से चिंता का विषय रहा है, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 68% है।ग्रामीण भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण की पहुंच बेहद कम है तथा युवाओं को कोई व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं मिल पा रहा है।गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षकों की कमी, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में अपर्याप्तता और उच्च विद्यालय छोड़ने की दर कौशल विकास में बाधक बनी हुई हैं।सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं की कमी के कारण अधिकांश प्रशिक्षण संस्थान निकटतम छोटे शहरों में स्थित हैं, जो अधिकांश के लिए दुर्गम हैं, विशेषकर महिलाओं के लिए।सरकार द्वारा संचालित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में सीमित क्षमता है और वे सीमित प्लेसमेंट (Placement) विकल्पों के साथ पुराने पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। कौशल के अभाव में अधिकांश साक्षर ग्रामीण युवा अकुशल प्रवासी श्रमिकों के रूप में निकटतम कस्बों और शहरों में काम करते हैं।इस कौशल अंतर को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण और अत्यधिक स्वागत योग्य कदम नई शिक्षा नीति 2020 है, जो अगले दशक में चरणबद्ध तरीके से सभी स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों में व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करती है।कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा (70%) ग्रामीण भारत से निकलता है और यदि नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से उनकी व्यावसायिक प्रशिक्षण में रुचि उत्पन्न की जाए और स्कूली शिक्षा के वर्षों में ही प्रशिक्षण प्रदान किया जाए तो एक सक्षम और प्रशिक्षित जनशक्ति विकसित की जा सकती है। महामारी ने प्रवासी कार्यबल को बुरी तरह प्रभावित किया है।इनमें से लगभग एक चौथाई आबादी शहरों में अपनी पिछली नौकरियों पर वापस नहीं लौटना चाहती है,और इसलिए गांवों में आजीविका सृजन पर ध्यान देना चाहिए। केंद्रीय कौशल विकास मंत्रालय ने कम से कम 300,000 प्रवासी कामगारों (जो मार्च से अपने गृह राज्यों में लौट आए हैं), को प्रशिक्षित करने के लिए पहले ही एक योजना तैयार कर ली है, ताकि उनके कौशल को उन्नत करने में मदद की जा सके। इसके अतिरिक्त, ग्रामीण युवाओं, विशेष रूप से जिनके पास कुछ पूर्व कार्य अनुभव है, के बीच सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना को प्रोत्साहित करने और वित्तपोषण करने पर जोर देने की आवश्यकता है। सूक्ष्म उद्यम स्थापित करने के लिए ऋण प्रदान करके बैंकिंग क्षेत्र और वित्तीय संस्थानों को यहां एक प्रमुख भूमिका निभानी चाहिए।
महामारी के कारण अधिकतर लोग ई-लर्निंग (E-learning) विधियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिसमें ग्रामीण भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण परिदृश्य में क्रांति लाने की क्षमता है। यह दूरस्थ ग्रामीण हिस्सों जहां सबसे ज्यादा जरूरत है, में कौशल प्रशिक्षण तक पहुंच को बढ़ाएगा और अपने कार्यक्रम में लड़कियों को भी शामिल करेगा,जिन्हें अब तक ऐसे अवसरों से वंचित किया गया है। ई- लर्निंग से गुणवत्तापूर्ण सामग्री और प्रशिक्षकों तक अधिक पहुंच की अनुमति मिलेगी। स्मार्टफोन की बढ़ती पहुंच और सस्ते मोबाइल डेटा के कारण हाल के वर्षों में भारत में विस्फोटक इंटरनेट वृद्धि देखी गई है तथा शहरी लोगों की तुलना में अधिक ग्रामीण इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। लेकिन ई-लर्निंग को वास्तव में सार्वभौमिक बनाने के लिए हमें ग्रामीण भारत में एक व्यापक बैंड (Band) क्रांति की आवश्यकता है, जिसमें टैबलेट और कम्प्यूटर जैसे किफायती हार्डवेयर की उपलब्धता हो।जबकि इंटरनेट के उपयोग पर अधिकांश जोर आज तक शहरी उपयोगकर्ताओं पर रहा है, लेकिन आने वाले वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट के उपयोगकर्ता अधिक होंगे।साथ ही, स्मार्टफोन की खपत के मामले में ग्रामीण भारत के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है।देश के ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पहुंच तेजी से बढ़ रही है, जो एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।स्टेटिस्टा (Statista) के अनुसार, भारत में 2023 तक 650 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे, ग्रामीण भारत में आधे से अधिक नए इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे। किफायती मोबाइल हैंडसेट की उपलब्धता, वायरलेस डेटा नेटवर्क (Wireless data network) के विस्तार और उपभोक्ता व्यवहार और अपेक्षाओं में बदलाव से ग्रामीण पहुंच और उपयोग और अधिक प्रभावित होंगे। यू ट्यूब (YouTube)जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डेटा की खपत पहले ही बढ़ गई है। चूंकि ग्रामीण भारत की डिजिटल पहुंच पहले से ही अधिक है, विकास की अगली लहर ग्रामीण डेटा ग्राहकों में वृद्धि होगी। ग्रामीण लोग ऑनलाइन वीडियो-साझाकरण प्लेटफार्मों और अन्य चैनलों का उपयोग कर रहे हैं ताकि वे नवीन तकनीकों, कृषि पद्धतियों और अन्य चीजों के बारे में जानकारी हासिल कर अपने ज्ञान का विस्तार कर सकें।ऑनलाइन वीडियो शेयरिंग चैनलों के कारण ग्रामीण भारत के लोग आसान और आकर्षक वीडियो के माध्यम से सीख सकते हैं। कई गैर-सरकारी संगठनों ने ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को कृषि, खेती, सिंचाई, स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों जैसे आवश्यक विषयों के बारे में वीडियो बनाने और साझा करने का तरीका सिखाने के लिए अन्य समूहों और विकास पहलों के साथ मिलकर काम किया है।कई अन्य गैर-सरकारी संगठन,कृषि या कृषि कार्यों से संबंधित कार्यों में बदलाव लाने के लिए नई विधियों को अपनाने जैसी अवधारणाओं को प्रशिक्षित और शिक्षित करने के लिए यू ट्यूब जैसे डिजिटल वीडियो साझाकरण प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।इस तरह के ऑनलाइन नेटवर्क सामान्य व्यक्तियों को जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने जुनून और रुचियों को आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बना रहे हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को अत्याधुनिक कृषि पद्धतियों के बारे में सिखाने के लिए यू ट्यूब चैनलों का उपयोग करने की अवधारणा काफी आगे बढ़ चुकी है।इन प्लेटफार्मों से ग्रामीण समुदाय को लाभ हुआ है, जिससे स्थानीय आजीविका में सुधार हुआ है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3rFMaXR
https://bit.ly/3oDmysA
https://bit.ly/3oCRF7M

चित्र संदर्भ   
1. समूह में एकत्रित महिलाओं को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. हुनर को निखारती भारतीय महिला को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. कम्प्यूटर सीखती भारतीय छात्रा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. किसी विषय पर योजना बनाती भारतीय महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देंखे, मोटो जी पी से जुड़े कुछ हास्यपूर्ण और मनोरंजक क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:27 AM


  • लखनऊ के एक वैज्ञानिक थे, अब तक मिले सबसे पुराने डायनासौर के जीवाश्म के खोजकर्ता
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:35 AM


  • लखनऊ की नवाबी संस्कृति को परिभाषित करती, यहां की फ़िज़ाओं में घुली,फूलों व् इत्र की सुगंध
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:24 AM


  • रक्षा क्षेत्र में, पूरे देश को आत्मनिर्भर बना रहा है, उत्तर प्रदेश
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:28 AM


  • शारदा सहायक परियोजना की नहरों ने, लखनऊ क्षेत्र के कई किसानों की मदद की है
    नदियाँ

     18-12-2024 09:28 AM


  • पक्षी जीवन से भरा हुआ है लखनऊ का प्राकृतिक परिदृश्य
    पंछीयाँ

     17-12-2024 09:32 AM


  • क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ से बचाव करना, आज के समय है आवश्यक
    जलवायु व ऋतु

     16-12-2024 09:36 AM


  • आइए, कुछ सबसे लोकप्रिय यूरोपीय क्रिसमस गीतों का आनंद लें
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     15-12-2024 09:47 AM


  • राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस पर जानिए, लखनऊ के ग्रीन होम्स, कैसे कर रहे हैं, ऊर्जा की बचत
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     14-12-2024 09:32 AM


  • आइए जानें, भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति तथा सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटना वाले शहरों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     13-12-2024 09:30 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id