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इस दुनिया में किसी न किसी व्यक्ति को किसी विशेष प्रकार के जानवर से अत्यधिक डर
अवश्य लगता है। जहरीले सांप भी कई लोगों के लिए खौफ का कारण हैं, क्यों कि जहरीले सांप
का दंश व्यक्ति के लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है।हालांकि दिलचस्प बात यह है, कि एक
जहरीले सांप द्वारा किसी व्यक्ति को काटने की संभावना बहुत कम होती है।इस दुनिया में लोगों
के मरने की संभावना सांप के जहर की अपेक्षा कैंसर, हृदय रोग, या वाहन दुर्घटना से अधिक
होती है, लेकिन फिर भी कई लोगों के लिए यह अनुचित भय बहुत वास्तविक होता है।ऐसा
इसलिए है, क्यों कि हर साल अनेकों लोग सांप द्वारा काटे जाने से मारे जाते हैं। इसके अलावा
जिन लोगों को सही उपचार नहीं मिल पाता है,वे विकृति, अवकुंचन, दृश्य हानि, गुर्दे की
जटिलताओं और मनोवैज्ञानिक संकट जैसी दीर्घकालिक जटिलताओं से पीड़ित होते हैं।
दुनिया भर में हर साल लगभग 54 लाख लोग सर्प दंश से पीड़ित होते हैं। इसके परिणामस्वरूप
जहर के कारण होने वाली मृत्यु के 18 से 27 लाख मामले सामने आते हैं।भारत में वर्ष 2000
से लेकर 2019 तक सांप के काटने से अनुमानित 12 लाख लोगों की मौत हुई। ये मामले प्रति
वर्ष औसतन 58,000 है।पूरी दुनिया में भारत में सर्पदंश के सबसे अधिक मामले हैं और वैश्विक
सर्पदंश से होने वाली मौतों का लगभग 50% हिस्सा भारत में है। किसान, मजदूर, शिकारी,
चरवाहे, सांप बचाने वाले, आदिवासी और प्रवासी आबादी, और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक
सीमित पहुंच वाले लोग सर्पदंश के प्रति उच्च जोखिम वाले समूह हैं। भारत में सर्पदंश का
शिकार होने वाले लोगों की संख्या अधिक इसलिए भी है, क्यों कि लोगों के बीच सांप के काटने
को लेकर अनुचित धारणाएं,अपर्याप्त जागरूकता और ज्ञान है। इन सभी चीजों के कारण सर्पदंश
के कारण होने वाली मृत्युओं की संख्या और भी बढ जाती है। इसलिए यह आवश्यक है, कि
लोगों को इसके बारे में जागरूक किया जाए ताकि वे सर्पदंश को लेकर अपनी धारणाएं बदल
सकें। इसके अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक व्यापक पहुंच भी अत्यधिक आवश्यक है।
दुनिया भर के कुछ अत्यधिक विषैले सांपों की बात करें तो इनमें ब्लैक मम्बा (Black
mamba),बारबा अमरिला (The barba amarilla),बूमस्लैंग (Boomslang),अंतर्देशीय ताइपन
(Inland taipan),ईस्टर्न टाइगर स्नेक (Eastern tiger snake),सॉ-स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled
viper),बैंडेड क्रेट (Banded krait),किंग कोबरा (King cobra) आदि शामिल हैं। वहीं भारत की
बात करें तो यहां अत्यधिक जहरीले सांपों की सूची में रैट स्नेक (Rat Snake),कॉमन इंडियन
वुल्फ स्नेक (Common Indian Wolf Snake),चेकर्ड कीलबैक (Chequered Keelback), ब्रोंज
बैक ट्री स्नेक (Bronze Back Tree Snake),सॉ-स्केल्ड वाइपर,स्पेक्टेक्ल्ड कोबरा (Spectacled
Cobra) आदि शामिल हैं।
रैट स्नेक जिसे प्ट्यास म्यूकोसा (Ptyas mucosa) नाम दिया गया है, अपनी रेंगने की गति
और बड़े आकार के लिए प्रसिद्ध है। वे चढ़ाई कर सकते हैं, तैर सकते हैं, और जमीन में गहरी
खुदाई कर सकते हैं।चेकर्ड कीलबैकदिन, रात में सक्रिय रहते हैं तथा बहुत आक्रामक होते हैं। वे
प्रायः चबाने के तरीके से काटते हैं।यह किसी भी छोटे जानवर को खा सकता है।सॉ-स्केल्ड
वाइपर निशाचर होते हैं, लेकिन ठंड के मौसम में इन्हें धूप सेंकते देखा जा सकता है।वाइपर एक
तरफ रेंगना पसंद करते हैं तथा वे अपने भोजन के लिए छोटे कृन्तकों, स्तनधारियों तथा
अकशेरूकीय जैसे बिच्छू आदि पर निर्भर रहते हैं।अधिकांश वाइपर की तरह ही उनके पास
हेमोटॉक्सिक (Hemotoxic) जहर होता है।कॉमन क्रेट रात के समय सक्रिय और आक्रामक होते
हैं, जबकि दूसरी ओर दिन के समय वे अधिक विनम्र होते हैं।कॉमन क्रेटअन्य सांपों के साथ-साथ
कृन्तकों, मेंढकों, टोडों आदि को भी खाते हैं।एक क्रेट के काटने से कोबरा की तरह ही
न्यूरोटॉक्सिक (Neurotoxic) विष निकलता है जो पीड़ित के तंत्रिका तंत्र पर कार्य करता
है।स्पेक्टेक्ल्ड कोबरा जिसे नाजा नाजा (Naja naja) कहा जाता है, भी जहरीले सांपों में से एक
है, जिसे उकसाने पर यह अपने शरीर के सामने के हिस्से को शरीर की कुल लंबाई के एक
तिहाई तक उठा लेते हैं।रसेल वाइपर मुख्य रूप से निशाचर है और मानव-साँप संघर्ष की शीर्ष
सूची में हैं।रसेल वाइपर की फुफकार हमारे देश में सांपों की सबसे ऊंची फुफकार में से एक है।
उनके पास हेमोटॉक्सिक जहर होता है जो पीड़ित की रक्त कोशिकाओं, ऊतकों और मांसपेशियों
पर कार्य करता है।
अगर किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है, तो उसके कुशल चिकित्सा प्रबंधन के लिए, आक्रामक
प्रजातियों की पहचान के साथ-साथ विष की मात्रा का आकलन बहुत आवश्यक होता है।
प्रजातियों की पहचान आम तौर पर पीड़ित या गवाह द्वारा दृश्य विवरण पर आधारित होती है
और इसलिए इसके गलत होने की संभावना हो सकती है।।एक रिपोर्ट में कहा गया था, कि इलाज
के लिए केवल एक प्रकार के सांप के एंटीवेनम (Antivenom) का ही उपयोग किया जाता है,
जिसे पॉलीवैलेंट स्नेक एंटीवेनम (Polyvalent snake antivenom) कहा जाता है।यह एंटीवेनम
'चार बड़े' सांपों से निकाले गए जहर से बना मिश्रण होता है, जिनमें स्पेक्टेक्ल्ड कोबरा, कॉमन
क्रैट, रसेल्स वाइपर,सॉ स्केल्ड वाइपर शामिल हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि देश के अलग-अलग
हिस्सों से आए सांप के जहर की अलग-अलग विशेषताएं होती है। इसलिए देश के एक हिस्से से
एकत्र किए गए जहर का उपयोग करके सांप रोधी जहर(Anti-Snake Venom) बनाने की
प्रक्रिया एक त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया है। इसलिए यह आवश्यक है, कि सांप के काटने पर बेहतर
नियंत्रण,रोकथाम और उपचार की उचित व्यवस्था की जाए।
संदर्भ:
https://bit.ly/3CpTCIw
https://bit.ly/3wW1CQu
https://bit.ly/3CkGWmp
https://bit.ly/3noYnOp
https://bit.ly/3kKNN2s
https://bit.ly/3kJZ0Ae
चित्र संदर्भ
1. किंग कोबरा, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. हाथ में काटते सांप को दर्शाता एक चित्रण (Ballistic Magazine)
3. भारतीय रेट स्नेक (Indian rate snake) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एंटीवेनम के उत्पादन के लिए सांप को दर्शाता एक चित्रण(wikimedia)
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