मगरमच्छ भारत के साथ एक प्राचीन संबंध साझा करते हैं। उन्हें मूर्तिकला और चित्रकला में कई हिंदु
देवी–देवताओं के साथ चित्रित भी किया गया है। प्रागैतिहासिक काल में‚ भारत में मगरमच्छों की सात
प्रजातियाँ पाई जाती थी। धीरे–धीरे इनकी संख्या घटकर तीन प्राथमिक प्रजातियाँ ही रह गई‚ मगर
मगरमच्छ(Mugger crocodile)‚ घडि़याल(Gharial) और खारे पानी के मगरमच्छ(Saltwater
Crocodile)।इसे आईयूसीएन रेड लिस्ट (IUCN Red List)में गंभीररूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध
किया गया है।
मगर क्रोकोडाइल (Crocodylus Palustris)एक मध्यम आकार का चौड़ा थूथन वाला मगरमच्छ है‚ जिसे
मग्गर या मार्श क्रोकोडाइल (Mugger (or Marsh) crocodile) भी कहा जाता है। यह दक्षिणी ईरान
(Southern Iran)से भारतीय उपमहाद्वीप में मीठे पानी के आवासों का मूल निवासी है‚ जहां यह
दलदल(marshes)‚ झीलों‚ नदियों और कृत्रिम तालाबों में रहता है। यह शायद ही कभी 5 मीटर (16 फीट
5 इंच) की लंबाई तक पहुंचता है।ये एक शक्तिशाली तैराक है‚लेकिन गर्म मौसम के दौरान उपयुक्त जल
निकायों की तलाश में जमीन पर भी चलता है। जब परिवेश का तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला
जाता है या 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है‚ तो युवा और वयस्क दोनों मगरमच्छ मिलकर
खुदाई करते हैं। मादाएं घोंसले के शिकार स्थलों के रूप में रेत को खोदती हैं और शुष्क मौसम आने
पर रेत में किये छेद में 46 अंडे देती हैं।माता पिता दोनों एक वर्ष तक बच्चों की रक्षा करते हैं। वे कीड़ों
का भोजन करते हैं और वयस्क मछली‚ सरीसृप‚ पक्षियों और स्तनधारियों का शिकार करते हैं।
मगर मगरमच्छ (Crocodylus Palustris) कम से कम 4.19 मिलियन साल पहले विकसित हुआ था और
वैदिक काल से ही नदियों की फलदायी और विनाशकारी शक्तियों का प्रतीक रहा है। यह पहली बार
1831 में वैज्ञानिक रूप से वर्णित किया गया था और ईरान(Iran)‚ भारत(India) और श्रीलंका(Sri Lanka)
में कानून द्वारा संरक्षित है।संरक्षित क्षेत्रों के बाहर‚ इसे प्राकृतिक आवासों के परिवर्तन से खतरा है‚
मछली पकड़ने के जाल में फंस जाने और मानव–वन्यजीव संघर्ष स्थितियों और यातायात दुर्घटनाओं में
मारे जाने का खतरा बना रहता है।
खारे पानी का मगरमच्छ(Saltwater Crocodile)जिसे क्रोकोडाइल पोरोसस(CrocodylusPorosus)भी कहा
जाता है‚ भारत के पूर्वी तट (India’s east coast)से दक्षिण पूर्व एशिया (Southeast Asia)और सुंडाईक क्षेत्र
(Sundaic region)से उत्तर आस्ट्रेलिया (Northern Australia)और माइक्रोनेशिया (Micronesia)तक खारे
पानीके आवास और खारे आर्द्रभूमि (brackish wetlands)का मूल निवासी है।1970के दशकतक इसकी पूरी
रेंज में इसकी त्वचा के लिए इसका शिकार किया जाता था और अवैध हत्या और प्राकृतवास के
नुकसान से इसे खतरा था। इसे समान वातावरण वाले लोगों के लिए खतरा माना जाता है।खारे पानी का
मगरमच्छ (CrocodylusPorosus)विज्ञान के लिए ज्ञात सबसे बड़ा जीवीत सरीसृप (Reptile)और
मगरमच्छ है। नर 6 मीटर (20 फीट) तक की लंबाई तक बढ़ते हैं‚ शायद ही कभी 6.3 मीटर (21 फीट)
से अधिक या 1,000-1,300 किलो (2,200-2,900पाउंड) के वजन से अधिक होते हैं। मादाएं बहुत छोटी
होती हैं जो शायद ही कभी 3 मीटर (10 फीट) से अधिक होती हैं। इसे मुहाना का मगरमच्छ(Estuarine
Crocodile)‚ इंडो–पैसिफिक मगरमच्छ(Indo-Pacific Crocodile)‚ समुद्री मगरमच्छ (Marine Crocodile)‚
सागरीय मगरमच्छ (Sea Crocodile) या अनौपचारिक रूप से नमकीन(Saltie)के रूप में भी जाना जाता
है।खारे पानी का मगरमच्छ (CrocodylusPorosus) एक बड़ा और अवसरवादी अति मांसाहारी सर्वोच्च
शिकारी (opportunistic hypercarnivorous apex predator) है। यह अपने अधिकांश शिकारी पर घात
लगाकर हमला करता है और फिर उसे डुबो देता है या पूरा निगल जाता है। यह अपने क्षेत्र में प्रवेश
करने वाले लगभग किसी भी जानवर पर हावी होने में सक्षम है‚ जिसमें अन्य शीर्ष शिकारी जैसे
शार्क(Sharks)‚ मीठे पानी की किस्में(varieties of freshwater) और खारे पानी की मछली (saltwater fish)
शामिल हैं‚ जिसमें पेलजिक प्रजातियां(Pelagic species)‚ अकशेरूकी(Invertebrates) जैसे
क्रस्टेशियन(Crustaceans)‚ विभिन्न सरीसृप(Reptiles)‚ पक्षी (Birds)और मानव सहित
स्तनधारी(Mammals) शामिल हैं।
घडि़याल(Gharial)(Gavialis gangeticus)‚जिसे गेवियल (Gavial)या मछली खाने वाले मगरमच्छ(Fish-
eating crocodial) के रूप में भी जाना जाता है‚ यह गेवियालिडे (Gavialidae) परिवार में एक मगरमच्छ
है और सभी जीवित मगरमच्छों में से सबसे लंबा है।परिपक्व मादाएं 2.6–4.5 मीटर
(8फीट6इंच–14फीट9इंच)लंबी होती हैं‚ और नर 3-6 मीटर (9फीट10इंच–19फीट8इंच) लंबे होते हैं। थूथन के
अंत में वयस्क नरों का एक अलग मालिक होता है‚ जो एक मिटटी के बर्तन जैसा दिखता है जिसे घड़ा
(ghara) कहा जाता है‚ इसलिए इसका नाम “घड़ियाल”“(gharial)” है।घडि़याल अपने लंबे‚ पतले थूथन
और 110 नुकीले‚ अन्तर्ग्रथन दांतों(Interlocking teeth) के कारण मछली पकड़ने के लिए अच्छी तरह से
अनुकूलित है।
घडि़याल संभवत: उत्तरी भारतीय उपमहादीवप (northern Indian subcontinent)में विकसित हुआ है।
शिवालिक पहाड़ियों (Sivalik Hills)और नर्मदा नदी घाटी (Narmada River valley)में प्लियोसीन(Pliocene)
निक्षेपों में जीवाश्म घडि़याल अवशेषों की खुदाई की गई थी।घडि़याल के सबसे पुराने ज्ञात चित्रण
लगभग 4,000 वर्ष पुराने हैं जो सिंधु घाटी में पाए गए थे। यह वर्तमान में भारतीय उपमहादीप के
उत्तरी भाग के मैदानी इलाकों की नदियों में पाये जाते हैं। यह सबसे अच्छी तरह से जलीय
मगरमच्छ है‚और केवल नम रेत के किनारे घोंसला बनाने के लिए पानी छोड़ता है। मादाएं वसंत ऋतु
में घोंसले खोदने के लिए एकत्र होती हैं‚ जिसमें वे 20-95 अंडे देती हैं। वे घोंसले और बच्चों की रक्षा
करते हैं‚ जो मानसून से पहले पैदा होते हैं। हैचलिंग(hatchlings) अपने पहले वर्ष के दौरान उथले पानी में
रहते हैं और चारा बनाते हैं‚ लेकिन जैसे-जैसे वे बढ़ते हैं‚ गहरे पानी वाली जगहों पर चले जाते हैं।1930के
दशक के बाद से जंगली घडि़याल आबादी में भारी गिरावट आई है‚ और आज इसकी ऐतिहासिक सीमा
के केवल 2% तक ही सीमित है।हिंदु इसे देवी गंगा का वाहन मानते हैं। नदियों के पास रहने वाले
स्थानीय लोगघडि़याल को रहस्यमय और उपचार शक्तियों का प्रतीक मानते थे‚ और इसके शरीर के
कुछ हिस्सों को स्वदेशी चिकित्सा के अवयवों के रूप में इस्तेमाल करते थे। भारत और नेपाल में
शुरू किए गए संरक्षण कार्यक्रम 1980 के दशक की शुरूआत से ही बंदी–नस्ल के घडि़याल को फिर से
शुरू करने पर केंद्रित थे।
कुकरैल रिजर्व फॅारेस्ट (Kukrail Reserve Forest)‚1950 के दशक में एक वृक्षारोपण वन के रूप में बनाया
गया एक शहरी जंगल‚ लखनऊशहर के केंद्र से लगभग 9 किमी उत्तर पूर्व में शिवपुरी कॅालोनीके पास
इंद्रनगरमें पाया जा सकता है। यह जंगल दर्शनीय स्थलों और मगरमच्छों सहित कुछ जंगली जानवरों
को देखने के लिए बेहतरीन जगह है। वास्तव में‚ जंगल लुप्तप्राय मगरमच्छों के प्रजनन क्षेत्र के रूप
मे कार्य करता है।इसमें एक बंदी वंशवृंद्धि(captive breeding) और संरक्षण केंद्र (conservation center)हैं।
यह भारत में ऐसे ही 3मगरमच्छ प्रजनन केंद्रों(Crocodile breeding centers)में से एक है। कुकरैल
क्रोकोडाइल सेंटर (Kukrail Crocodile centers)और मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट (Madras Crocodile Bank
Trust)को नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी (National Geographic Society)दवारा सर्वोच्च दो सबसे सफल
मगरमच्छ प्रजन्न केंद्रों के रूप में दर्जा दिया गया है। तीसरा मगरमच्छ प्रजनन केंद्र कुरूक्षेत्र
(Kurukshetra) मे है।
संदर्भ
https://bit.ly/36YVk6l
https://bit.ly/3iDGN5K
https://bit.ly/3zsdWbc
https://bit.ly/3ye9eNS
https://bit.ly/2UyHx45
चित्र संदर्भ
1. मर्गर मगरमच्छ का एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत में मर्गर मगरमच्छ का वितरण का एक चित्रण (wikimedia)
3. नर घड़ियाल का एक चित्रण (wikimedia)
4. कुकरैल रिजर्व फॅारेस्ट में आराम करते मगरमच्छ का एक चित्रण (facebook)
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