क्या घोंसला बनाने का कौशल पक्षियों में जन्मजात पाया जाता है या अनुभव से?

लखनऊ

 26-07-2021 09:30 AM
पंछीयाँ

पक्षियों को इतनी सटीकता और सुंदरता से घोंसला बनाते देख हम सब आश्चर्यचकित रह जाते हैं, हालांकि पहले ऐसा माना जाता था कि पक्षियों में घोंसला बनाने की कला जन्मजात अपने माता-पिता से प्राप्त होती है। लेकिन एक अध्ययन में पाया गया है कि घोंसला बनाने की कला पक्षियों में एक जन्मजात सहज कौशल नहीं है बल्कि ये इस कला को सीखते हैं। भिन्न पक्षियों द्वारा अलग-अलग तकनीक से अपना घोंसला बनाया जाता है और ऐसी कई घटनाएं मौजूद हैं जिसमें पक्षियों को बाएं से दाएं और साथ ही दाएं से बाएं घोंसले बनाते हुए देखा गया है। साथ ही वे जैसे-जैसे घोंसला बनाने का अधिक अनुभव प्राप्त कर रहे थे, उनके द्वारा घास की फलक भी उतनी कम बार गिराए गए।
यदि पक्षियों ने अपने घोंसले आनुवंशिक आकार के अनुसार बनाए हैं, तो हमें ऐसी अपेक्षा रहेगी कि सभी पक्षी हर बार उसी तरह अपने घोंसले का निर्माण करेंगे। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता है।पक्षी अपने अनुभव के अनुसार अपने घोंसले का निर्माण करते हैं, जिसमें मूल शिक्षण आकार, आकृति और आम तौर पर, सामग्री की होती है, ये प्रजातियों के अस्तित्व के लिए एक अच्छी रणनीति है।लेकिन पक्षी अपने घोंसले के निर्माण में सुधार प्राप्त किए गए अनुभव से करते हैं।
एक नियम के रूप में, मादा पक्षी निर्माता होती हैं। रूबी-थ्रोटेड हमिंग बर्ड (Ruby-throated hummingbird) मादाएं पौधे के रेशे, काई और मकड़ी के जाले से अपने छोटे घोंसले बनाती हैं, अपने दो अंडे देती हैं और अकेले बच्चों को पालती हैं और फिर एक ही गर्मी में फिर से यह कार्य करती हैं। जबकि घोंसला बनाने की इस प्रक्रिया में नर तथा मादा इंडियन पैराडाईज़ फ्लाई कैचर (Indian paradise flycatcher) पक्षी दोनों भाग लेते हैं।घोंसला बनाने और प्रजनन करने का मौसम प्रायः मार्च से जुलाई के बीच होता है। यह घोंसला मुख्यतः टहनियों से बनाया जाता है जिसे फिर इन पक्षियों द्वारा मकड़ियों के जाले से बांधा जाता है।अपनी लंबी पंखदार पूंछ के लिए प्रसिद्ध यह पक्षी रामपुर में भी पाए जाते हैं। मध्यम आकार का यह पक्षी एशिया का मूल निवासी है, तथा यहां यह व्यापक रूप से पाया जाता है। इंडियन पैराडाईज़ फ्लाई कैचर भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया से लेकर दक्षिण-पूर्वी चीन (China), नेपाल (Nepal), पूरे भारत और श्रीलंका (Sri Lanka) से लेकर म्यांमार(Myanmar) तक घने जंगलों और जंगली आवासों में निवास करते हैं। इनका सिर मुख्यतः चमकीले काले रंग का होता है। इस पक्षी की विशेषता यह है कि नर पक्षियों में लंबी पंखयुक्त मुख्य पूंछ पायी जाती है जोकि 12 इंच तक बढ़ सकती है, जबकि पक्षी का शरीर केवल 7-8 इंच का होता है। कुछ में काले कर्कश पंख होते हैं तो कुछ सफेद पंखों वाली पूंछ के साथ पाये जाते हैं। मादा में सिर का रंग काला होने के साथ लाल-भूरे रंग की छोटी पूंछ भी होती है। फ्लाईकैचर का मुख्य भोजन कीट हैं और ये अपने आहार के रूप में कीड़ों, तितलियों, मक्खियों इत्यादि का सेवन करते हैं। इंडियन पैराडाईज़ फ्लाई कैचर एक प्रवासी पक्षी है जोकि सर्दियों के मौसम में उष्णकटिबंधीय एशिया में निवास करता है। इन पक्षियों की प्रजनन आबादी स्थानीय रूप से दक्षिणी भारत और श्रीलंका में निवास करती है। ये प्रायः घने जंगलों में रहना पसंद करते हैं जहां अच्छी लकड़ी वाले पेड़ पाये जाते हैं। इसके अलावा ये जीव बगीचों, छायादार पेड़ों, हल्के पर्णपाती जंगलों आदि में भी पाए जा सकते हैं।इनका प्रजनन काल मई से जुलाई तक रहता है।मादा एक समय में 3-4 अंडे देती है, जिन्हें 14 से 16 दिनों तक ऊष्मायित किया जाता है।
जन्म के बाद 9 से 12 दिनों तक नवजात शिशुओं को घोंसलों में ही रखा जाता है। नर-मादा लगभग 21 से 23 दिनों तक चूजों को पालते हैं। एशियन पैराडाइज फ्लाई कैचर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के अनुसार अनुसूची - IV पक्षी है और प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघद्वारा कम चिंतित के रूप में वर्गीकृत किया गया है।लेकिन हमें इनके संरक्षण के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है, क्योंकि मानवीय गतिविधि से प्रकृति को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जिसकी वजह से ये पक्षी भी विलुप्ति की कगार पर कभी भी शामिल हो सकते हैं।

संदर्भ :-
http://strib.mn/3hXcZSh
https://bbc.in/2Tyf11X
https://bit.ly/3iMXwnf
https://bit.ly/3fap7xJ

चित्र संदर्भ
1. घोंसला बनाने वाला बुनकर पक्षी का एक चित्रण (flickr)
2. मिट्टी से घोंसला बनाती हुई चिड़िया का एक चित्रण (flickr)
3. रूबी-थ्रोटेड हमिंग बर्ड (Ruby-throated hummingbird) का एक चित्रण (youtube)



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