नवाबों के शहर के नाम से जाना जाने वाले लखनऊ, की संस्कृति और रीति-रिवाज उतने ही पुराने हैं, जितना पुराना यह शहर है। ये परंपराएं शहर के इतिहास और विविधता को समृद्ध करती हैं और इसके अस्तित्व का सार है।शहर में ईद-उल-फितर का जश्न इतनी धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है कि यह वास्तव में देखने के लिए एक मनोरम दृश्य है।ईद का जश्न मनाने की परंपरा सदियों पुरानी है और अवध के प्रत्येक शासक द्वारा इसे संरक्षण देते हुए काफी उत्साह के साथ मनाया जाता था। हालांकि समय के साथ ईद के जश्न में कई परिवर्तन आए हैं, लेकिन इतने सालों बाद भी जो नहीं बदला वह है शहर में ईद की नमाज़। ईद की नमाज के लिए सैकड़ों लोग शहर के प्रसिद्ध मस्जिदों, जैसे कि बड़ा इमामबाड़ा के आसपास एकत्र होकर प्रार्थना करते हैं।लखनऊ रमजान के पवित्र महीने के दौरान काफी स्वादिष्ट भोजन का केंद्र बन जाता है।इस दौरान लखनऊ मुंह से पानी लाने वाली अवधी व्यंजनों की किस्मों की पेशकश करता है: जिसमें टुंडे कबाब, गलावटी कबाब, ककोरी कबाब, बोटी कबाब, शामी कबाब और दम बिरयानी आदि शामिल है।
पुराने लखनऊ में विक्टोरिया स्ट्रीट (Victoria Street) और नजीराबाद-अमीनाबाद रोड (Road) दोनों के पास प्रसिद्ध भोजन पाए जाते हैं और यहाँ तक कि लखनऊ में इन दो प्रसिद्ध सड़कों पर इफतारी भोजन का स्वाद चखने के लिए बहुत लोग आते हैं।लखनऊ के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित शिव मंदिर मनकामेश्वर मंदिर की पहली महिला प्रमुख महंत दिव्या गिरि द्वारा 2018 से एक नई परंपरा को शुरू किया गया,जब उन्होंने इतिहास में पहली बार मुस्लिम भाइयों के लिए मंदिर में एक इफ्तारी का आयोजन किया।ईद-उल-फ़ित्र दो अरबी शब्दों का मेल है जिसमें 'ईद' का अर्थ 'उत्सव' और 'फित्र' का अर्थ 'व्रत तोड़ना' है।परंपरागत रूप से, ईद अल-फितर अर्धचंद्र की पहली नजर की रात सूर्यास्त से शुरू होता है। ईद अल-फित्र देश के आधार पर, एक से तीन दिनों के लिए मनाया जाता है। ईद के दिन उपवास करना निषिद्ध है, और इस दिन के लिए एक विशिष्ट प्रार्थना सलात या नमाज़ पढ़ी जाती है, जो विशिष्ठ जगह “ईदगाह” में ही सम्पन्न होती है।ईद का दिन पवित्र रमजान के पूरे महीने में अपने उपवास को सफलतापूर्वक संपूर्ण करने वाले विश्वासियों के लिए एक पुरस्कृत दिन के रूप में माना जाता है।दरसल उपवास का उद्देश्य विश्वासी लोगों को भगवान के करीब लाना है और उन्हें उन कम सौभाग्यवान के बारे में याद दिलाना है।
परंपरा का मानना है कि यह रमजान के दौरान था कि पैगंबर मोहम्मद को मुस्लिम पवित्र पुस्तक कुरान के खुलासे मिलने लगे। पवित्र ग्रंथ कुरान का पहला सूरा अल-फ़ातिहा के सात वचन ईश्वर के मार्ग दर्शन, आधिपत्य और दया की प्रार्थना है। इस्लामी प्रार्थना में इस अध्याय की एक आवश्यक भूमिका है।कुरान अध्याय के शीर्षक एक मानवीय निर्माण हैं और मुसलमानों द्वारा कुरान के दैवीय रहस्योद्घाटन का हिस्सा नहीं माने जाते हैं। रमजान इस्लाम के पाँच "स्तंभ" में से एक है। रमजान मन और दिल का उपवास होता है, मुसलमान न केवल भोजन और पेय से बल्कि बुरे कार्यों और विचारों से परहेज करते हैं, यह इस्लाम के मूल को प्रतिबिंबित करने और गहराई तक जाने का एक पूरा महीना होता है। मुसलमानों को अल्लाह की इच्छा के करीब होने के लिए प्रशिक्षण के महीने के रूप में रमजान का अनुभव होता है। इस प्रक्रिया में, वे बहुत सी कठिनाइयों और चुनौतियों का अनुभव करते हैं।ईद एक नए साल की यात्रा की शुरुआत भी है, इसलिए ईद मुसलमानों के लिए एक प्रकार का संदेश है। ईद मुसलमानों के लिए बेहतर व्यक्ति होने का एक अवसर भी है। यह उनके लिए अल्लाह के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को नवीनीकृत करने और जीने का मौका है। इस्लाम, जैसा कि अधिकांश अब्राहमिक धर्म हैं, बहुत ही सांप्रदायिक है। इसके हर उत्सव में हमेशा एक गहरा सामाजिक पहलू जुड़ा होता है। ईद के दौरान, समुदाय रमजान की सफलता का जश्न मनाने के लिए एक साथ आते हैं।
हालांकि देशभर में कोरोना (Corona) और तालाबंदी के कारण स्थिति पहले की तरह भले ही नहीं है लेकिन इस पूरे महीने दुआओं का दौर चला है। लेकिन उत्तर प्रदेश में कोविड -19 (Covid-19) के तेजी से बड़ रहे मामलों को देखते हुए, लखनऊ स्थित इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया (Islamic Centre of India) ने मुस्लिमों से अपील की है कि वे घर पर रहते हुए "अल्विदा जुम्मा" के लिए नमाज अदा करें। अलविदा जुम्मा रमज़ान के महीने का आखिरी शुक्रवार है।मस्जिद में नमाज अदा करते समय भी व्यक्ति को मास्क पहनना और सामाजिक दूरी बनाए रखनी अवश्य है। पाँच लोगों का समूह जो मस्जिद में नमाज़ अदा करते हैं, उन्हीं पाँचों का समूह मस्जिद में अलविदा नमाज़ के लिए उपस्थित हों और कोई छठा व्यक्ति न हो।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3uJrGfM
https://bit.ly/3tGBXrS
https://bit.ly/2Rf2RtE
https://bit.ly/3w0m6pw
https://bit.ly/3obLRR3
चित्र संदर्भ
1. मस्जिद का एक चित्रण (Unsplash)
2. कुरान पाक का एक चित्रण (Unsplash)
3. नमाज़ तथा कोरोना वायरस का एक चित्रण (Unsplash)
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