Post Viewership from Post Date to 10-Feb-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1977 74 0 0 2051

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कोरोना महामारी के कारण अधिक प्रभावित हुआ है, असंगठित श्रम रोजगार

लखनऊ

 05-02-2021 11:35 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

भारतीय अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से अनौपचारिक या असंगठित श्रम रोजगार के एक विशाल बहुमत के अस्तित्व से पहचाना जाता है। या यूं कहें कि, अनौपचारिक या असंगठित श्रम रोजगार भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषता है। भारत की 94 प्रतिशत से अधिक कामकाजी आबादी असंगठित क्षेत्र का हिस्सा है। असंगठित क्षेत्र उस श्रम रोजगार को संदर्भित करता है, जो सरकार के साथ पंजीकृत नहीं हैं, तथा इस क्षेत्र में रोजगार की शर्तें भी सरकार द्वारा तय नहीं की जाती हैं। असंगठित क्षेत्र की उत्पादकता कम होती है और उसमें शामिल श्रमिकों का वेतन अपेक्षाकृत बहुत कम होता है। भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने असंगठित श्रम बल को व्यवसाय, रोजगार की प्रकृति, विशेष रूप से व्यथित श्रेणियों और सेवा श्रेणियों के संदर्भ में चार समूहों में वर्गीकृत किया है। व्यवसाय के आधार पर छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन खेतिहर मजदूरों, फसल काटने वाले, मछुआरे, पशुपालक, लेबलिंग (Labeling) और पैकिंग (Packing) में संलग्न लोगों, भवन निर्माण में शामिल लोग, चमड़े का काम करने वाले, बुनकर, कारीगर, नमक कर्मचारी, ईंट भट्टों और पत्थर की खदानों तथा तेल मिलों (Mills) आदि में काम करने वाले श्रमिकों को असंगठित क्षेत्र में शामिल किया गया है। रोजगार की प्रकृति के आधार पर कृषि मजदूर, बंधुआ मजदूर, प्रवासी श्रमिक, अनुबंध और आकस्मिक मजदूर आदि को असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत रखा गया है। इसी प्रकार से विशेष रूप से व्यथित श्रेणी के आधार पर शराब बनाने वाले, सफाई करने वाले, भार ढोने वाले, पशु चालित वाहनों के चालक, सामान लादने और उतारने में शामिल लोग आदि असंगठित क्षेत्र में शामिल किये गये हैं। इसी प्रकार से सेवा श्रेणी के तहत घरेलू कामगार, मछुआरे, नाई, सब्जी और फल विक्रेता, समाचार पत्र विक्रेता आदि को असंगठित क्षेत्र के अंतर्गत रखा गया है। इन चार श्रेणियों के अलावा, असंगठित श्रम बल का एक बड़ा वर्ग मोची, हैंडीक्राफ्ट (Handicraft) कारीगर, हैंडलूम (Handloom) बुनकर, महिला दर्जी, शारीरिक रूप से विकलांग स्वरोजगार वाले व्यक्ति, रिक्शा मजदूर, ऑटो (Auto) चालक, सेरीकल्चर (Sericulture) कार्यकर्ता, बढ़ई, चमड़ा कारखाने में कार्य करने वाले श्रमिक, पावर लूम (Power loom) श्रमिक आदि के रूप में मौजूद है।
असंगठित क्षेत्र में शामिल श्रमिकों को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। भारत के श्रम मंत्रालय ने प्रवासी, स्थायी या बंधुआ श्रमिकों और बाल श्रमिकों की महत्वपूर्ण समस्याओं की पहचान की है। प्रवासी श्रमिकों की बात करें तो, भारत में प्रवासी मजदूरों को दो व्यापक समूहों में बांटा गया है। इनमें से एक समूह जहां, विदेशों में अस्थायी रूप से काम करने के लिए पलायन करते हैं, तो वहीं दूसरा समूह मौसमी या काम के उपलब्ध होने के आधार पर घरेलू रूप से प्रवास करता है। बेहतर काम की तलाश में हाल के दशकों में बांग्लादेश और नेपाल से भारत में लोगों का पर्याप्त प्रवाह हुआ है। ओवरसीज डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (Overseas Development Institute) के शोधकर्ताओं के अध्ययन के अनुसार प्रवासी श्रमिक अक्सर अपनी यात्रा के दौरान, गंतव्य स्थान पर और घर वापस लौटते समय उत्पीड़न, हिंसा और भेदभाव का शिकार होते हैं। बंधुआ श्रम की बात करें तो, यह श्रम नियोक्ता और श्रमिक के बीच उस संबंध को संदर्भित करता है, जिसके कारण कोई श्रमिक, किसी नियोक्ता के अंतर्गत कार्य करने के लिए बाध्य होता है। श्रमिक के बकाया ऋण की ब्याज दरें अक्सर इतनी अधिक होती हैं कि, बंधुआ श्रम बहुत लंबे समय तक चलता है। इसी प्रकार से बाल श्रम को देखें तो, 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बाल श्रमिकों की संख्या 101 लाख है। गरीबी, स्कूलों की कमी, खराब शिक्षा के बुनियादी ढांचे और असंगठित अर्थव्यवस्था की वृद्धि को भारत में बाल श्रम का सबसे महत्वपूर्ण कारण माना जाता है। परंपरागत रूप से, संघीय और राज्य स्तर पर भारत सरकार ने श्रमिकों के लिए उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय श्रम कानून निर्धारित किया है। भारत में कई श्रम कानून हैं, जो श्रमिकों के साथ होने वाले भेदभाव और बाल श्रम को रोकने, सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम वेतन, संगठन बनाने के अधिकार आदि से सम्बंधित हैं। इन कानूनों में औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, व्यापार संघ अधिनियम, 1926, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948, मजदूरी का भुगतान अधिनियम, 1936, बोनस (Bonus) के भुगतान का अधिनियम, 1965, कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948, कारखानों अधिनियम, 1948 आदि शामिल हैं, जो श्रमिकों के वेतन, सामाजिक सुरक्षा, काम करने के घंटों, स्थिति, सेवा, रोजगार आदि से सम्बंधित हैं। वर्तमान समय में कोरोना महामारी के कारण जहां हर क्षेत्र प्रभावित है, वहीं असंगठित क्षेत्र भी इससे बच नहीं पाया है। देश में लगायी गयी तालाबंदी के कारण भारतीय प्रवासी श्रमिकों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। तालाबंदी के चलते लाखों प्रवासी श्रमिकों ने रोजगार के नुकसान, भोजन की कमी और अनिश्चित भविष्य के संकट का सामना किया। परिवहन का कोई साधन उपलब्ध न होने से हजारों प्रवासी श्रमिकों को पैदल अपने घर वापस जाना पड़ा। इस दौरान भुखमरी, सड़क और रेल दुर्घटनाओं, पुलिस की बर्बरता, समय पर चिकित्सा देखभाल न मिलने आदि कारणों से कई प्रवासी श्रमिकों की मौतें भी हुई। जवाब में, केंद्र और राज्य सरकारों ने उनकी मदद के लिए कई उपाय किए और उनके लिए परिवहन की व्यवस्था भी की। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ग्लोबल वेज रिपोर्ट (Global Wage Report) के अनुसार, हाल ही में किये गये एक अध्ययन के साक्ष्य बताते हैं कि, भारत में कोरोना महामारी की वजह से की गयी तालाबंदी के कारण औपचारिक श्रमिकों की मजदूरी में 3.6 प्रतिशत की कटौती की गई, जबकि अनौपचारिक श्रमिकों की मजदूरी में 22.6 प्रतिशत की भारी गिरावट आयी।
अध्ययन के अनुसार 24 मार्च, 2020 और 3 मई, 2020 के बीच की अवधि में सभी श्रमिकों के लिए कुल वेतन हानि 86,448 करोड़ थी, जिसमें औपचारिक श्रमिकों का वेतन घाटा 5,326 करोड़ जबकि, अनौपचारिक श्रमिकों, का वेतन घाटा 81,122 करोड़ था। इस प्रकार अनौपचारिक श्रमिकों को औपचारिक श्रमिकों की तुलना में अधिक नुकसान हुआ। अनिश्चित आर्थिक स्थिति का सामना करने के लिए अनौपचारिक श्रम बाजारों की व्यापकता को सामाजिक सुरक्षा ढांचे में बड़े बदलाव की आवश्यकता होगी।

संदर्भ:
http://bitly.ws/bAR2
http://bitly.ws/bARs
http://bitly.ws/bARt
https://bit.ly/2BUh3gr
http://www.aajeevika.org/labour-and-migration.php
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में काम करने वाली महिलाओं को दिखाया गया है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर में मज़दूरों को दिखाया गया है। (प्रारंग)
तीसरी तस्वीर में एक व्यक्ति को लकड़ी पर नक्काशी करते हुए दिखाया गया है। (प्रारंग)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id