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हिंदू महाकाव्य रामायण में रावण को राम के प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जो राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लेता है। रावण का अहंकार, घमंड और बाद के दिनों में किए गए अपराध के कारण वैसे तो बुरी आत्मा बनता ही है अपना जीवन भी गवा देता है। लेकिन रावण के अच्छे गुणों की तारीफ भी बहुत से हिंदू करते हैं। 10 सिर, भुजा वाले रावण को यह सब जीवन भर साथ रखने का वरदान भगवान शिव ने दिया था, जब रावण ने अपना शीश उन्हें अर्पित किया था। शिव के परम भक्त रावण ने शिव तांडव स्त्रोत्रम की रचना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए की जब कैलाश पर्वत को श्रीलंका स्थित अपने महल में ले जाने में असफल रहा। रावण बहुत विद्वान था चारों वेदों और छह शास्त्रों का ज्ञाता था। वीणा बजाने में उसको महारत अद्भुत रूप से थी। और ऋषि अगस्त की याद दिलाती थी। जब रावण मृत्यु शैया पर था तो भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को उसके पास संसार, राजनीति और राज्य कार्य पद्धति संबंधी ज्ञान हासिल करने भेजा था। रावण ने लक्ष्मण को जीवन के कई रहस्य बताएं जो किसी को भी सफल बना सकते थे। यह ज्ञान से ब्राह्मण जैसा महा ज्ञानी ब्राह्मण ही दे सकता था।
रावण ने खोले अमूल्य रहस्य
जब भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को मृत्यु सैया पर लेटे रावण से ज्ञान लेने भेजा तो लक्ष्मण दशानन के सिर के पास जाकर खड़े हो गए लेकिन कोई जवाब नहीं मिला राम ने लक्ष्मण को रावण के पैरों के पास खड़े होने को कहा क्योंकि कोई शिष्य गुरु के सिर के पास नहीं खड़ा हो सकता है। गुरु से ज्ञान उसके पैरों के पास खड़े होने पर मिलता है। लक्ष्मण ने ऐसा ही किया और रावण ने संक्षेप में खोले 8 रहस्य।
1. अच्छी चीजें तुरंत करो, बुरी चीजें जितनी देर से हो उतना अच्छा। रावण का तात्पर्य था कि सीता का हरण करके उसने गलत काम किया। अगर उसने राम की प्रतीक्षा की होती तो इस प्रकार मौत के भय का सामना ना करना पड़ता।
2. दूसरा ज्ञान रावण ने लक्ष्मण को यह दिया कि अपने नज़दीकियों को हमेशा अपने पास रखो। कभी अपने सारथी, द्वारपाल, रसोइए और भाई को अपना शत्रु ना बनाओ,वह कभी भी तुम्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।रावण का संकेत विभीषण की ओर था जिसके लिए यह मुहावरा गढ़ा गया- घर का भेदी, लंका ढाए।
3. कभी ज्यादा इस आत्मविश्वास में ना रहो कि तुम हमेशा जीतोगे, तब भी जब तुम जीत के बहुत नजदीक हो।
4. उन मंत्रियों का विश्वास करो जो तुम्हारी आलोचना करते हो।
5. दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए,मेरा अपने इसी विश्वास के कारण रावण ने वानर सेना और राम के साथियों को हल्के में लिया कि वह कभी उसे नहीं हरा सकते। वे केवल हनुमान और राम से हारना चाहता था।
6. किस्मत का लिखा कोई टाल नहीं सकता। रावण का तात्पर्य था कि और जन्म से पहले तय हुए भाग्य को कोई नहीं बदल सकता। रावण और भाई कुंभकरण पूर्व जन्म में बैकुंठ में द्वारपाल थे। उमेश रात का कि विष्णु के अवतार के हाथों उनकी मौत होगी।
7. एक राजा जिसमें महान बनने की लालसा हो, उसे अपने लालच का तुरंत दमन करना चाहिए।
8. राज को हमेशा राज रखना चाहिए। रावण ने अपनी अंतिम सीख में बताया कि अपने जीवन का रहस्य दुनिया के किसी भी व्यक्ति से साझा नहीं करना चाहिए। उसने अपने अमृत्व का रहस्य भाई विभीषण को बताया था जिसके कारण युद्ध के मैदान में रावण की मौत हुई।
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