आज होने वाला वार्षिक सूर्यग्रहण भारत में 2022 तक होने वाला अंतिम सूर्य ग्रहण होगा क्यूंकि पृथ्वी से दिखने वाले सौर ग्रहण इसलिए होते हैं क्योंकि चंद्रमा का कोणीय आकार पृथ्वी से लगभग उतना ही होता है, जैसा कि उनकी अलग-अलग दूरी और आकार के बावजूद सूर्य का होता है। अरबों वर्षों के अंतराल में चंद्रमा पृथ्वी से लगातार दूर होता जा रहा है। अंततः एक ऐसा समय आएगा जब ये दोनों कोणीय आकार एक दूसरे से मेल नहीं खायेंगें। सूर्य ग्रहण के अनुकूलन में चंद्रमा का आकार बहुत छोटा हो जाएगा क्यूंकि पृथ्वी और चन्द्रमा के मध्य की दुरी बढ़ जाएगी।
जब चंद्रमा अपने निकटतम बिंदु और सबसे बड़े सदृश्य पर होगा तब भी वह सूर्य के सबसे बड़े हिस्से को नहीं ढँक सकेगा, तो पृथ्वी से कुल घटित होने वाले सूर्यग्रहण की घटना काम हो जाएँगी। सौभाग्य से इस फेरबदल को होने में अभी बहुत लम्बा सफर बाकी है। ज्वार की परस्पर क्रिया के कारण, पृथ्वी से चंद्रमा की औसत दूरी प्रति वर्ष 3.8 सेंटीमीटर (1.5 इंच) बढ़ जाती है। इस गणना को लगभग तीन दशक पहले अपोलो चालक दलों के द्वारा चंद्रमा की सतह पर छोड़ी गयी लेजर बीम को परावर्तकों से उछाल कर मापा गया है। जब पृथ्वी और सूर्य के मध्य सबसे दुरी होती है, तो हमारा तारा व्यास में 31 1/2 आर्कमिनटस (Arcminutes) दिखाई देता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के (भूसमीपक में) सबसे नजदीक होता है, तो इसका कोणीय आकार 33 1/2 होता है। जबकि सूर्यग्रहण की घटना में बदलाव के लिए 31 1/2 तक सिकुड़ने के लिए, चंद्रमा की परिधि की दूरी लगभग 23,000 किलोमीटर (14,000 मील) बढ़नी चाहिए। इस दुरी के लिए चन्द्रमा प्रति वर्ष 3.8 सेमी की दर से, 600 मिलियन से अधिक वर्षों का समय लेगा।
आइए इस तथ्य को देखते हुए भारत के अतीत के कुछ सम्पूर्ण सौर ग्रहणों याद करते हैं।
सन्दर्भ:
1. https://www.youtube.com/watch?v=eOvWioz4PoQ
2. https://www.youtube.com/watch?v=llnkzm-LuCc
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