क्या है इस्लामिक अल-क़ियामा?

लखनऊ

 11-02-2020 01:50 PM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

इस धरती में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा सत्य मृत्यु है जिसे कोई भी नहीं टाल सकता है। जिसने भी इस धरती में जन्म लिया है उसे एक न एक दिन अपने शरीर को छोड़कर जाना ही होता है। वहीं इस्लामी सिद्धांत के अनुसार दुनिया के समाप्त होने के बाद मृत को फिर से जीवित किया जाएगा और प्रत्येक व्यक्ति पर उसके कर्मों के अनुसार फैसला सुनाया जाएगा। इस फैसले के दिन के बारे में कुरान के कई छंदों में भी उल्लेख मिलता है। प्रलय के दिन को हिसाब-किताब का दिन, अंतिम दिन और समय (अल-साहा) के रूप में भी जाना जाता है।

कुरान के विपरीत, हदीस में फैसले के दिन से पहले होने वाली कई घटनाओं का उल्लेख मिलता है, जिन्हें कई छोटे संकेतों और बारह प्रमुख संकेतों के रूप में वर्णित किया गया है। इस अवधि के दौरान, मसीहा एड-दज्जल (इस्लाम में ईसा मसीह के शत्रु) द्वारा पृथ्वी पर भयानक भ्रष्टाचार और अव्यवस्था करी जाएगी, जिसे खत्म करने के लिए फिर से ईसा दिखाई देंगे और दज्जाल को हराकर दुनिया को क्रूरता से मुक्त करेंगे। वहीं अन्य अब्राहमिक धर्मों की तरह, इस्लाम सिखाता है कि नेक और गलत के अंतिम विभाजन के बाद मृतकों का पुनरुत्थान होगा। इसके बाद नेक रूहों को जन्नत (स्वर्ग) के सुखों से पुरस्कृत किया जाता है, जबकि अधर्मियों को जहन्नम (नर्क) में सज़ा दी जाती है। कुछ इस्लामिक स्कूल मानवीय हस्तक्षेप की संभावना से इनकार करते हैं, लेकिन ज्यादातर इसे स्वीकार करते हैं।

प्रारंभिक मुस्लिम काल के दौरान इस्लामिक अल-क़ियामा से संबंधित प्राथमिक मान्यताओं में से एक यह था कि सभी मनुष्य भगवान की दया प्राप्त कर सकते थे और मोक्ष के योग्य थे। ये प्रारंभिक चित्रण यह भी बताते हैं कि कैसे छोटे और तुच्छ कार्य दया के अधिपत्र होते हैं। अल-क़ियामा के अधिकांश प्रारंभिक चित्रण केवल तौहीद (एकेश्वरवाद की अवधारणा) को अस्वीकार करने वाले लोगों को चित्रित करते थे। हालांकि, जैसा की हम लोग जानते ही हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन पुरस्कारों और दंडों की अवधारणाओं को इस दुनिया से परे देखा जाता था, इस अवधारणा को वर्तमान समय में भी स्वीकार किया जाता है।

इब्न अल-नफीस ने थेओलस ऑटोडिडैक्टस (Theologus Autodidactus) (लगभग 1270 ईस्वी) में इस्लामिक अल-क़ियामा बारे में लिखा था, जहां उन्होंने तर्क, विज्ञान और प्रारंभिक इस्लामिक दर्शन का इस्तेमाल यह समझाने के लिए किया था कि उनके विचार से अल-क़ियामा को एक काल्पनिक उपन्यास के रूप में बताया जाएगा। वहीं इमरान नज़र होसिन ने भी कई किताबें लिखीं, जो इस्लामिक अल-क़ियामा से संबंधित हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध “यरूशलेम इन दी कुरान” है।

संदर्भ :-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Islamic_eschatology
2. https://www.britannica.com/topic/Islam/Eschatology-doctrine-of-last-things



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id