कुम्हार के पहिये के आविष्कार से पूर्व भी बनाए जाते थे, मिट्टी के बर्तन

लखनऊ

 10-02-2020 01:00 PM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

तपायी गयी मिट्टी से बर्तन तथा अन्य बहुत सी वस्तुएं बनाना एक प्राचीन कला है, जिसे मृतिका भाण्ड या पॉटरी (Pottery) से सम्बोधित किया जाता है। पुरातत्वविदों द्वारा दुनिया के हर हिस्से में खुदाई के दौरान मिट्टी से बने बर्तन या वस्तुएं प्राप्त की गयी हैं। मिट्टी के बर्तनों का सबसे पुराना प्रमाण जापान में 10,000 ईसा पूर्व का है। मिट्टी से बने बर्तनों की अवधारणा तब शुरू हुई जब खानाबदोश या घूमंतू मानव, कृषि सम्बंधी हो गया। उस समय समाज को स्थिर और भारी कंटेनरों (Containers) की आवश्यकता होने लगी थी जिसके चलते मृतिका भांड की खोज हुई।

मिट्टी के बर्तनों को प्रायः एक पहिये की सहायता से बनाया जाता है। किंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि मिट्टी के बर्तन तब भी बनाये जाते थे जब कुम्हार के पहिये का आविष्कार भी नहीं हुआ था। इस पहिये के आविष्कार से पहले, मिट्टी को गर्म करके और फिर हाथ से बार-बार घुमाकर बर्तनों का आकार दिया जाता था। इस पद्धति का नुकसान यह था कि एक बर्तन बनाने में ही काफी समय लग जाता था। जैसे-जैसे समाज विकसित होता गया वैसे-वैसे व्यापार और वाणिज्य भी पनपता गया, और मिट्टी से बने बर्तनों की मांग बढ़ने लगी। इस मांग को पूरा करने के लिए बर्तन बनाने की पुरानी विधि धीरे-धीरे अपर्याप्त हो गई। जैसे-जैसे बर्तनों की मांग बढ़ी, बर्तनों को आकार देने के लिए घुमाने (कोइलिंग/Coiling) की प्रक्रिया को बढ़ाने हेतु कई तरीके अपनाये गये। कुछ कुम्हारों ने एक धीमे पहिये (प्लैटर/platter) का उपयोग किया जिसका इस्तेमाल बर्तनों को घुमाने के लिए सतह के रूप में किया गया था। इससे समय की काफी बचत हुई। पहिये का आविष्कार प्राचीन मेसोपोटामिया (वर्तमान इराक) में लगभग 3,000 ईसा पूर्व में हुआ था। कुछ ही समय के भीतर सुमेरियनों ने मिट्टी के बर्तनों को मोड़ने और आकार देने के लिए पहिये की अवधारणा को अपनाया।

बर्तनों के बड़े पैमाने पर उत्पादन के साथ पॉट (Pot) बनाना जल्द ही एक उद्योग में बदल गया। जल्द ही पहिये को तेज़ और सुचारू बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों को अपनाया गया। 19वीं शताब्दी में, चक्के के द्वारा मिट्टी के बर्तनों को बनाने की अवधारणा पहिये की उच्च गति के कारण ही सम्भव हो पायी है। आज कुम्हार का पहिया बिजली से चलाया जाता है लेकिन इसका मूल सिद्धांत वही है। भारत में भी विभिन्न प्रकार की पॉटरी जैसे ब्लू पॉटरी (Blue Pottery), टेराकोटा (Terracotta), चिनहट पॉटरी (Chinhat Pottery) आदि प्रचलित हैं। इसके प्रचलन के कारण ही अधिकतर लोग पॉटरी के लिए व्यावसायिक मार्गदर्शन भी प्राप्त कर रहे हैं। मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता आदि राज्यों में ऐसे संस्थान मौजूद हैं जहां पॉटरी से सम्बंधित पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

भारत में मिट्टी के बर्तनों के निर्माण से सम्बंधित उद्योगों तथा कुम्हार समुदाय के सशक्तिकरण के लिए कुम्हार सशक्तिकरण कार्यक्रम (Kumbhar Sashaktikaran Program), खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission - KVIC) की एक पहल है जोकि देश के दूरस्थ स्थानों में रहने वाले कुम्हारों को लाभ पहुंचा रही है। इसके अंतर्गत उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, गुजरात, तमिलनाडु, ओडिशा, तेलंगाना और बिहार के दूरस्थ स्थानों को आवरित किया गया है। यह कार्यक्रम कुम्हारों को उन्नत मिट्टी से बर्तन और अन्य उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण प्रदान करता है तथा नई तकनीक वाले पॉटरी उपकरण जैसे इलेक्ट्रिक चाक (Electric chaaks) भी प्रदान करता है। इसके अलावा इस कार्यक्रम ने KVIC प्रदर्शनियों के माध्यम से बाज़ार सम्बन्ध और दृश्यता भी प्रदान की है। इसके प्रभाव से इलेक्ट्रिक चाकों की आपूर्ति के कारण, कुम्हारों ने कम समय में अधिक उत्पादन किया है। वे अधिक शोर और अस्वस्थता से मुक्त हुए हैं जिसके साथ-साथ बिजली की खपत भी कम हुई है।

संदर्भ:
1.
https://rangandatta.wordpress.com/2012/04/18/potters-wheel/
2. https://ourpastimes.com/the-history-of-pottery-wheels-12181261.html
3. https://www.business-standard.com/article/specials/coming-full-circle-on-the-potters-wheel-198011701047_1.html
4. http://www.newton.k12.in.us/art/archive/07-08/3d/images/historyofwheel/index.html
5. http://vikaspedia.in/social-welfare/entrepreneurship/kumhar-sashaktikaran-yojana



RECENT POST

  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन बॉलीवुड गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:27 AM


  • आइए चलते हैं, दृष्टिहीनता को चुनौती दे रहे ब्रेल संगीत की प्रेरणादायक यात्रा पर
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:32 AM


  • आइए जानें, कैसे ज़ाग्रोस क्षेत्र के लोग, कृषि को भारत लेकर आए
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:26 AM


  • परंपराओं का जीता जागता उदाहरण है, लखनऊ का आंतरिक डिज़ाइन
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:39 AM


  • कई विधियों के माध्यम से, प्रजनन करते हैं पौधे
    शारीरिक

     01-01-2025 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id