विभिन्न धार्मिक संस्कारों या उत्सवों से जुड़ी है वाईन

लखनऊ

 23-08-2019 01:10 PM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

रामपुर का गिरजाघर जहां ईसाई धर्म के लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, वहीं यह शहर की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां ईसाई धर्म के पवित्र संस्कार या उत्सव जैसे बपतिस्म (Baptism) और यूकारेस्ट (Eucharest), को सम्पन्न किया जाता है। इसाई धर्म के लोगों के लिए यूकारेस्ट संस्कार बहुत ही पवित्र माना गया है जिसे पवित्र कम्युनियन (Communion) या लॉर्ड्स सपर (Lord's Supper) के नाम से भी जाना जाता है। कई गिरजाघरों के लिए यह एक प्रकार का धार्मिक समारोह है जिसे बाहरी और आध्यात्मिक ईश्वरीय अनुग्रह के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस संस्कार की स्थापना अंतिम भोज के दौरान ईसा मसीह द्वारा की गयी थी। पासोवर (Passover-यहूदियों का एक त्यौहार) के भोजन के दौरान ईसा मसीह ने अपने शिष्यों में डबलरोटी और वाईन (Wine) वितरित की। उन्होंने अपने शरीर को डबलरोटी के रूप में तथा वाईन के प्याले को अपने खून के रूप में संदर्भित करते हुए अपने शिष्यों को आदेश दिया कि उनकी स्मृति में इन पदार्थों का सेवन किया जाये।

इस संस्कार या उत्सव के माध्यम से ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह के बलिदान को तथा आखिरी भोज में उनके इस संदेश को याद करते हैं। यूकारेस्ट के पवित्र तत्वों डबलरोटी और पवित्र वाईन को एक अल्तार (Altar) में संरक्षित किया जाता है तथा उसके बाद इसका सेवन किया जाता है। वाईन का उपयोग केवल ईसाई धर्म तक ही सीमित नहीं है। इसका उपयोग कालांतर से अन्य धर्मों में भी किया जा रहा है। प्राचीन मिस्रियों के अनुसार लाल वाईन का सम्बंध रक्त से जुड़ा हुआ था। इसका प्रयोग डायोनिसस (Dionysus-ग्रीक के देवता) पंथियों और रोमवासियों द्वारा उनके सुरादेवोत्सव (Bacchanalia-एक उत्सव) में किया जाता था। सदियों से कैथोलिक (Catholic) पुजारियों ने वाईन बनाने के कौशल को संरक्षित और प्रचारित किया तथा उपासकों को पवित्र शराब की आपूर्ति की।

वाईन एक प्रकार का मादक पेय है जिसे अंगूरों को किण्वित करके बनाया जाता है। खमीर अंगूरों में मौजूद शर्करा का उपभोग करते हैं तथा इससे इथेनॉल (Ethanol), कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide) और ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। खमीर और अंगूरों के माध्यम से शराब की विभिन्न शैलियों का उत्पादन किया जाता है। वाईन का उत्पादन केवल अंगूरों से ही नहीं किया जाता बल्कि इसे चावल और अन्य फलों जैसे बेर, आदि के किण्वन से भी किया जाता है।

इसका उत्पादन हज़ारों वर्षों से किया जा रहा है। वाईन के शुरुआती साक्ष्य जॉर्जिया (Georgia) से प्राप्त होते हैं जो 6000 ईसा पूर्व के हैं। इसके अतिरिक्त इसके साक्ष्य ईरान (5000 ईसा पूर्व) और सिसिली (4000 ईसा पूर्व) से भी प्राप्त हुए हैं। चीन में इसी तरह के मादक पेय के प्रमाण प्राप्त हुए जो लगभग 7000 ईसा पूर्व के थे। सबसे पहले ज्ञात वाईन कार्यशाला आर्मेनिया (Armenia) में प्राप्त हुई जोकि 6,100 वर्षीय अरेनी-1 वाइनरी (Areni-1 winery) थी। 4500 ईसा पूर्व तक यह बाल्कन पहुंची जहां से इसका विस्तार प्राचीन यूनान, थ्रेस और रोम में हुआ। पूरे इतिहास में इसका उपयोग नशीले प्रभाव के लिए किया जाता था। पुरातत्वविदों की 2003 की एक रिपोर्ट (Report) के अनुसार 7वीं सहस्राब्दी ईसा पूर्व के शुरुआती वर्षों में चीन में मिश्रित किण्वित पेय का उत्पादन करने के लिए अंगूर को चावल के साथ मिलाया गया था। पश्चिम के देशों में वाईन के प्रसार के लिए फोनीशिया के लोगों को उत्तरदायी माना जाता है। प्राचीन मिस्र में, राजा तुतनखमुन के मकबरे में 36 में से 6 वाईन जार (Jar) पाये गये थे। भारत में अंगूर आधारित वाईन का पहला ज्ञात उल्लेख सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के मुख्यमंत्री चाणक्य के 4थी शताब्दी ईसा पूर्व के लेखों में पाया जाता है। अपने लेखों में चाणक्य ‘मधु’ नाम की वाईन के उपयोग की निंदा करते हैं तथा सम्राट और अन्यों को इसे उपयोग न करने की सलाह देते हैं। प्राचीन भूमध्यसागरीय संस्कृति में वाईन का उपयोग सभी वर्गों और सभी उम्र के लोगों द्वारा नशे के लिए किया जाता था जो उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया था।

संदर्भ:
1.
https://bit.ly/2bLg5IB
2.https://bit.ly/2HjQ6G1
3.https://bit.ly/2KPW97v
चित्र सन्दर्भ:-
1.
https://bit.ly/2zgxkuH
2. https://bit.ly/2Zo7lQH
3. https://bit.ly/2ZbXJJy



RECENT POST

  • आज महावीर जयंती के अवसर पर जैन धर्म की गूढ़ शिक्षाओं को अंगीकार करते हैं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     20-04-2024 10:13 AM


  • क्या प्राचीन भारतीय ‘सिंधु लिपि’ से ही हुई है, ‘ब्राह्मी लिपि’ की उत्पत्ति?
    ध्वनि 2- भाषायें

     19-04-2024 09:45 AM


  • विश्व धरोहर दिवस पर जानें इसका महत्व व देखें लखनऊ की शान जहाज वाली कोठी व तारामंडल
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     18-04-2024 09:53 AM


  • राम नवमी विशेष: एक आदर्श के रूप में स्थापित प्रभु श्री राम अंततः कहाँ गए?
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     17-04-2024 09:41 AM


  • चिकनकारी और ज़रदोज़ी कढ़ाई बनाती है, लखनऊ को पूरब का स्वर्ण
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     16-04-2024 09:43 AM


  • क्यों मनाया जाता है 'विश्व कला दिवस', जानें इतिहास और महत्‍व
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     15-04-2024 09:40 AM


  • ये है सबसे दुर्लभ और अनोखे जीव-जानवर, जो है भारत के जंगलों की शान
    शारीरिक

     14-04-2024 10:00 AM


  • अंबेडकर जयंती विशेष: भारत के सामाजिक स्तर को ऊपर उठाने में डॉ. अंबेडकर का योगदान
    सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

     13-04-2024 09:07 AM


  • दुनियाभर में सिख समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले बैसाखी पर्व का गौरवपूर्ण इतिहास
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-04-2024 09:40 AM


  • ईद की खुशियों पर चार चांद लगाती है लखनऊ के चौक और अमीनाबाद की रौनक
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     11-04-2024 09:41 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id