कैसे पड़ा हिन्‍द महासागर का नाम भारत के नाम पर?

लखनऊ

 17-08-2019 01:54 PM
समुद्र

विश्‍व के पांच महासागरों में से एक हिन्‍द महासागर, एकमात्र ऐसा महासागर है जिसका नाम भारत के नाम पर पड़ा है। किंतु इस महासागर का नाम ही देश के नाम पर क्‍यों पड़ा यह एक विचारणीय विषय है। हिन्‍द महासागर के नाम की उत्‍पत्ति के विषय में प्रत्‍यक्ष प्रमाण किसी के पास उपलब्‍ध नहीं हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि इसको यह नाम भारत आए उपनिवेशियों द्वारा दिया गया है।

यह तो सर्वविदित है कि प्राचीन और मध्‍यकालीन भारत ‘सोने की चिडि़या’ कहलाता था, जिस कारण वह विश्‍व के आकर्षण का केन्‍द्र बना हुआ था, अनेक पाश्‍चात्‍य व्‍यापारी भारत पहुंचने वाले मार्ग की खोज में निकले, जिसमें वास्‍कोदिगामा को सफलता मिली और इन्‍होंने भारत आने वाले जलमार्ग की खोज की। आगे चलकर इस मार्ग में पश्‍चिमी व्‍यापारियों की आवाजाही बढ़ गयी तथा जैसे-जैसे भारत में व्‍यापारियों का आवागमन बढ़ा तो उनके मध्‍य संपर्क भी स्‍थापित होने लगा तथा इन्‍होंने भारत के निचले हिस्‍से में मौजूद महासागर को हिन्‍द महासागर के रूप में पुकारना प्रारंभ किया। तभी से यह हिन्‍द महासागर के नाम से प्रचलित हो गया। भारतीय पौराणिक ग्रन्‍थों (संस्‍कृत) में इसे रत्नाकर नाम दिया गया है।

नाइंटी ईस्‍ट रिज (Ninety East ridge) हिन्‍द महासागर को पश्चिम और पूर्वी हिंद महासागर में विभाजित करती है, यह हिन्‍द महासागर के तल में स्थि‍त एक रेखीय संरचना है। जिसका नाम पूर्वी गोलार्ध के केंद्र में 90 वीं मध्याह्न रेखा के पास समानांतर टकराव पर रखा गया है। इसकी लंबाई लगभग 5,000 किलोमीटर (3,100 मील) है तथा इसे बंगाल की खाड़ी से दक्षिण-पूर्व भारतीय रिज (SEIR) की ओर स्थलाकृतिक रूप में देखा जा सकता है। रिज का विस्तार अक्षांश 33° दक्षिण और 17° उत्‍तर के मध्‍य है तथा इसकी औसत चौड़ाई 200 किमी है। पूर्वोत्तर की ओर इसका नाम व्हार्टन बेसिन (Wharton basin) है तथा यह डायमेंटिना फ्रैक्चर जोन (Diamantina fracture zone) के पश्चिमी छोर पर समाप्‍त होता है, जो कि पूर्व में प्रायः ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप तक फैला है। रिज मुख्य रूप से ओशन आइलैंड थोलेइट्स (Ocean Island Tholeiites -OIT) से बना है, जो कि बेसाल्ट (basalt) का एक उप-समूह है।

इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट (Indo-Australian Plate) के नीचे स्थित एक हॉटस्पॉट (Hotspot) ने इस रिज का निर्माण किया है, क्योंकि यह प्लेट समय के साथ मेसोज़ोइक और सेनोज़ोइक में उत्तर की ओर बढ़ी है। कई भू-वैज्ञानिकों और रसायन वैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर की ओर बढ़ने के बाद केर्गुएलन हॉटस्पॉट (Kerguelen hotspot) में ज्वालामुखी की शुरूआत के समय बाढ़ बेसाल्ट की शुरूआत भी हुयी थी। माना जाता है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया लगभग 32 मिलियन वर्षों से टेक्टोनिक प्लेट (Tectonic plate) पर मौजूद हैं। हालाँकि, नब्बे पूर्वी रिज क्षेत्र में बड़े भूकंपों के उच्च स्तर और मध्य हिंद महासागर में विरूपण के साक्ष्‍यों को देखते हुए, मध्य हिंद महासागर में विरूपित क्षेत्र भारतीय प्लेट और ऑस्ट्रेलियाई प्लेट को अलग करने वाली प्लेट सीमा क्षेत्र मानना अधिक उपयुक्त होगा।

लगभग 150 मिलियन वर्ष पूर्व जब वृहत महाद्वीप गोंडवाना का टूटना प्रारंभ हुआ तभी से हिंद महासागर का निर्माण भी शुरू हुआ। हालांकि, लगभग 36 मिलियन वर्ष पहले तक भी इसने अपनी वर्तमान स्थिति और आकार को प्राप्त नहीं किया था। हिन्‍द महासागर के नाम का पहला अधिकारिक उपयोग 1515 ईस्‍वी में किया गया था, जो आज भी प्रचलित है।

संदर्भ:
1. https://en.wikipedia.org/wiki/Ninety_East_Ridge
2. https://brainly.in/question/1201721
3. https://www.quora.com/Why-was-the-Indian-Ocean-named-after-India



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