रामपुर नवाब के उत्तराधिकारी चुनाव का संघर्ष चला 47 साल तक

लखनऊ

 16-08-2019 05:47 PM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

सन् 1947 में स्वतंत्र होने के बाद भारत स्वतंत्र रियासतों में बंटा हुआ था जिन्हें फिर स्वतंत्र भारत में एकीकृत किया गया। इन्हीं रियासतों में से एक रामपुर की रियासत भी थी। भारत की आज़ादी तक यह ब्रिटिश संरक्षण में रही और 1949 में भारत में प्रवेश करने वाली पहली रियासत बनी। यहां के नवाबों को कला और संगीत, विशेष रूप से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की खयाल गायकी के संरक्षण के लिए जाना जाता था।

यह रियासत देश के सबसे लंबे समय तक चलने वाले दीवानी मामलों में शामिल थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने 47 साल के बाद खत्म किया। दरअसल यह मामला नवाब रज़ा अली खान की विरासत से जुड़ा था जिन्होंने 1949 में भारतीय संघ में प्रवेश करने का निर्णय लिया था। बदले में भारत सरकार ने भी नवाब को दो प्रमुख अधिकार दिए थे। पहला कि वे भारतीय संघ में शामिल होने के बाद भी रियासत से संबंधित सभी निजी संपत्तियों के पूर्ण स्वामित्व, उपयोग और आनंद के हकदार होंगे और दूसरा, यह कि प्रथागत कानून के आधार पर राज्य की गद्दी या शासन उनके उत्तराधिकारी को दी जाएंगी। जिसके अंतर्गत बड़े बेटे को इस विशेष संपत्ति का अधिकार दिया जायेगा। उन्हें सरकार से प्रत्येक वर्ष 7 लाख भुगतान राशि भी दी जाती थी जिसे प्रिवी पर्स (Privy Purse) के नाम से जाना जाता था। उनकी तीन पत्नियाँ, तीन बेटे और छह बेटियाँ थीं।

1966 में रज़ा अली ख़ान की मृत्यु होने पर उनके सबसे बड़े बेटे मुर्तज़ा अली खान को प्रथा के अनुसार राज्य का प्रमुख बनाया गया और उन्हें उनके पिता की सभी निजी संपत्तियों का उत्तराधिकार भी दिया गया। लेकिन उनके भाई ने इस प्रथा के खिलाफ दीवानी न्यायालय में अपील (Appeal) की और इस प्रकार रामपुर का शाही संपत्ति विवाद शुरू हुआ जिसमें अदालतों को यह तय करने के लिए कहा गया कि विरासत को मुस्लिम निजी कानून पर आधारित होना चाहिए या गद्दी कानून पर जिसे खुद शाही परिवार माना करते थे? इसके 47 साल बाद उच्च न्यायालय ने 31 जुलाई को मुस्लिम नीजी कानून या शरीयत के पक्ष में फैसला दिया। इसका मतलब है कि परिवार की महिलाएं भी विरासत के हिस्से की हकदार हैं।

भारत में सम्पत्ति के अधिकार के लिए 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम बनाया गया था जिसमें पहले तक केवल पुरूषों को ही प्रधानता दी जाती थी तथा सम्पत्ति का उत्तराधिकार भी केवल पुरूषों के लिए ही होता था। किंतु 2005 में इस अधिनियम में कुछ संशोधन किये गये जिसके अंतर्गत लड़की चाहे कुंवारी हो या शादीशुदा, वह पिता की संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार मानी जाएगी या उसे पिता की संपत्ति का प्रबंधक भी बनाया जा सकता है। इस संशोधन के तहत बेटियों को वही अधिकार दिए गए हैं, जो पहले बेटों तक सीमित थे। संशोधन के बाद एक पिता अपनी पैतृक संपत्तियों का बंटवारा मनमर्ज़ी से नहीं कर सकता है। यदि पिता की स्वअर्जित संपत्ति है तो वह जिसे चाहे यह संपत्ति दे सकता है। स्वअर्जित संपत्ति को अपनी मर्ज़ी से किसी को भी देना पिता का कानूनी अधिकार है। यदि वसीयत लिखे बिना पिता की मौत हो जाती है तो सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को उनकी संपत्ति पर समान अधिकार होगा। इसका मतलब यह है कि बेटी को भी अपने पिता की संपत्ति पर बराबर का हक मिल सकेगा। अगर बेटी की शादी हो चुकी हो तो भी उसे संपत्ति का समान उत्तराधिकारी माना जायेगा। अर्थात विवाह के बाद भी बेटी का पिता की संपत्ति पर पूर्ण अधिकार होगा। यदि 2005 से पहले बेटी पैदा हुई हो, लेकिन पिता की मृत्यु हो गई हो तो भी पिता की संपत्ति पर उसका बराबर का हिस्सा होगा। वह संपत्ति चाहे पैतृक हो या फिर पिता की स्वअर्जित। दूसरी तरफ, बेटी तभी अपने पिता की संपत्ति में अपनी हिस्सेदारी का दावा कर सकती है जब पिता 2005 तक ज़िन्दा रहे हों। अगर पिता की मृत्यु इस समय से पहले हो गई हो तो बेटी का पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होगा और पिता की स्वअर्जित संपत्ति का बंटवारा उनकी इच्छा के अनुरूप ही होगा।

1947 के बाद जहां विभिन्न रियासतों का एकीकरण हुआ वहीं भारत-पाक विभाजन ने भी जन्म लिया। ये विभाजन लगभग सभी लोगों के लिए बहुत दु:खदायी समय था क्योंकि कई लोगों को अपना मूल निवास छोड़कर जाना पड़ा था। ऐसे समय में लोग तो चले गये किंतु उन्हें जल्दबाज़ी में अपनी संपत्ति यहीं छोड़कर जानी पड़ी। इस संपत्ति में ज़मीन, घर, पशु, खेत आदि शामिल थे। पाकिस्तान से आए हिंदुओं की संपत्ति को आस-पास रहने वाले लोगों ने हड़प लिया तथा उसका उपयोग करने लगे। इसी प्रकार भारत से पाकिस्तान गये लोगों की कुछ सम्पत्ति को शरणार्थियों को आवंटित किया गया जबकि कुछ को भारत सरकार ने अपने अधीन कर लिया। दोनों देशों के अधिकांश शरणार्थियों को कभी कोई मुआवज़ा नहीं मिला और केवल न्यूनतम मदद ही दी गयी। देश छोड़कर जाने वाले कई लोगों में से कुछ ऐसे भी थे जो समय पर अपने घरों और ज़मीनों को बेचने में कामयाब रहे थे।

इन संपत्तियों के परिपेक्ष में भारत सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम बनाया गया जिसे 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद 1968 में लागू किया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी (Custodian Of Enemy Property) विभाग बनाया गया। इस अधिनियम के तहत पाकिस्तान जा चुके लोगों की संपत्ति को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित किया गया तथा इनकी देख-रेख के लिये भारत सरकार द्वारा अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त किया गया। इस अधिनियम के अंतर्गत सरकार को शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है। इस विभाग का कार्यालय मुम्बई में है जिसकी एक शाखा कोलकाता में भी स्थित है। इसके तहत ज़मीन, मकान, सोना, गहने, कंपनियों के शेयर (Company Shares) और दुश्मन देश के नागरिकों की किसी भी दूसरी संपत्ति को अधिकार में लिया जा सकता है।

कुछ समय पूर्व केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को सार्वजनिक उपयोग के लिए शत्रु संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति दी है। इन सम्पत्तियों की संख्या 9,400 से भी अधिक है जिनकी कीमत लगभग 1 लाख करोड़ रुपये है।

पाकिस्तान जाने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई कुल संपत्तियों में से 4,991 यूपी में, 2,735 पश्चिम बंगाल में, और 487 दिल्ली में स्थित हैं। इसके अतिरिक्त चीनी नागरिकों की कुल 126 संपत्तियों में से 57 मेघालय में, 29 पश्चिम बंगाल में और 7 असम में हैं।

संदर्भ:
1.https://scroll.in/article/932523/for-47-years-rampur-nawabs-family-fought-over-his-inheritance-heres-what-sc-decided-this-week
2.https://www.quora.com/How-were-the-properties-left-behind-by-Hindus-and-Sikhs-dealt-with-by-Pakistan-after-the-partition
3.https://www.quora.com/What-happened-to-the-property-of-the-Muslims-who-went-to-Pakistan-at-the-time-of-partition
4.https://en.wikipedia.org/wiki/Custodian_for_Enemy_Property_for_India
5.https://www.indiatimes.com/news/india/properties-of-those-who-migrated-to-pakistan-during-partition-to-be-put-to-public-use-363521.html
6.https://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/what-every-woman-in-india-must-know-about-her-inheritance-rights/articleshow/70606122.cms


RECENT POST

  • जानें, प्रिंट ऑन डिमांड क्या है और क्यों हो सकता है यह आपके लिए एक बेहतरीन व्यवसाय
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:32 AM


  • मकर संक्रांति के जैसे ही, दशहरा और शरद नवरात्रि का भी है एक गहरा संबंध, कृषि से
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:28 AM


  • भारत में पशुपालन, असंख्य किसानों व लोगों को देता है, रोज़गार व विविध सुविधाएं
    स्तनधारी

     13-01-2025 09:29 AM


  • आइए, आज देखें, कैसे मनाया जाता है, कुंभ मेला
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:32 AM


  • आइए समझते हैं, तलाक के बढ़ते दरों के पीछे छिपे कारणों को
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:28 AM


  • आइए हम, इस विश्व हिंदी दिवस पर अवगत होते हैं, हिंदी के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसार से
    ध्वनि 2- भाषायें

     10-01-2025 09:34 AM


  • आइए जानें, कैसे निर्धारित होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:38 AM


  • आइए जानें, भारत में सबसे अधिक लंबित अदालती मामले, उत्तर प्रदेश के क्यों हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:29 AM


  • ज़मीन के नीचे पाए जाने वाले ईंधन तेल का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कैसे होता है?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:46 AM


  • परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली कैसे बनती है ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id