कई वर्षों से भारत में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता आ रहा है। मिट्टी के बर्तन में खाना पकाने और खाने से लोग निरोग व स्वस्थ रहते हैं। उसमें भोजन में उपस्थित सूक्ष्म पोषक तत्वों की हानि नहीं होती है जबकि प्रेशर कुकर (Pressure Cooker) व अन्य बर्तनों में भोजन पकाने से उसके सूक्ष्म पोषक तत्व कम हो जाते हैं जिससे भोजन की पौष्टिकता में कमी आती है। पौष्टिक आहार और स्वाद के लिए मिट्टी के बर्तन सभी प्रकार के खाना पकाने हेतु अनुकूल हैं। इसमें धीमी गति से खाना पकाने की प्रक्रिया शामिल है जो कि भोजन की गुणवत्ता के साथ-साथ स्वाद को भी बरकार रखती है। इसके अलावा, मिट्टी के बर्तन में पकाये गये खाने में आयरन (Iron), कैल्शियम (Calcium), मैग्नीशियम (Magnesium) और सल्फर (Sulphur) की मात्रा भी अधिक होती है, जो हमें अनेक प्रकार के रोगों विशेषकर कैंसर (Cancer) से बचाता है। तो आइए जानते हैं मिट्टी के बर्तनों के फायदे के विषय में।
मिट्टी के बर्तन-
कम आंच में पके मिट्टी के बर्तन प्रारंभ में अच्छी तरह से भोजन नहीं पकाते हैं जबकि गहरे रंग, उच्चतापित और कलप का कार्य किये हुए मिट्टी के बर्तन भलि-भांति कार्य करते हैं। मिट्टी के बर्तनों की सतह कम आंच में पकने के कारण पतली या छिद्रपूर्ण रह जाती है, जिस कारण भोजन पकाने के दौरान बर्तनों से तरल के वाष्पीकृत होने या अवशोषित होने की समस्या उत्पन्न हो जाती है। निम्न ताप में पके मिट्टी के बर्तनों के छिद्रों को भरकर उनपर कलप करके इन्हें उच्च ताप में पके मिट्टी के बर्तनों के समान उपयोग किया जा सकता है। इनके छिद्रों को भरने के लिए बर्तन को खाद्य तेल में भिगोकर इनमें प्राकृतिक राल को भरा जाता है। तेल बर्तन में भलि भांति ऊष्मा का संचालन करता है।
मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बिंदु-
अच्छे बर्तनों का चयन करना-
मिट्टी के बर्तनों का चयन करते हुए ध्यान रखें कि उन पर किसी विशेष प्रकार की धात्विक कलप का उपयोग ना किया गया हो। सही और विश्वसनीय मिट्टी के बर्तनों का चयन करते समय स्थानीय कुम्हारों को प्राथमिकता दें।
देख-भाल-
ये बर्तन धात्विक बर्तनों की अपेक्षा बहुत नाजुक होते हैं। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाते समय आंच को बहुत कम या मध्यम पर रखना चाहिए।
सफाई-
मिट्टी के बर्तनों को साफ करने के लिए इन्हें सर्वप्रथम 10-15 मिनट तक पनी में भिगोएं फिर 1 चम्मच नमक डालकर स्क्रबर (Scrubber) के साथ साफ़ करें। बेहतर परिणाम के लिए आप इसमें नमक के साथ बेकिंग सोडा (Baking Soda) का उपयोग कर सकते हैं।
रखरखाव-
महीने में कम से कम दो बार मिट्टी के बर्तनों को 5-10 मिनट तक धीमी आंच पर गर्म करें। यह उनके छिद्रों के अंदर फंसी अशुद्धियों को जला देता है।
खाना पकाने हेतु मिट्टी के बर्तन का उपयोग और उनके फायदे-
भारी धातु मुक्त-
मिट्टी के बर्तन पूर्णतः मिट्टी से बने होते हैं अतः आप निश्चिंत होकर इनमें भोजन पका सकते हैं, इनसे आपके भोजन में किसी प्रकार की धातु जैसे एल्युमिनियम (Aluminium), कैडमियम (Cadmium) या लेड (Lead) आदि नहीं मिलेंगे।
कम तेल और पानी की आवश्यकता-
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के लिए कम तेल और कम पानी की आवश्यकता होती है। इसमें अधिकांश सब्जियां अपनी प्राकृतिक नमी के साथ पकती हैं।
मिट्टी की छिद्रपूर्ण प्रकृति और संपूर्ण रूप से ओवन (Oven) की तरह धीमी गति से पकने से अधिकांश सब्जियां प्राकृतिक नमी के साथ अच्छी तरह से पकती हैं।
मिट्टी के बर्तनों में पकाया गया भोजन बेहतर स्वाद देता है-
धीमी आंच पर पका भोजन मसालों के स्वाद और सुगंध को बेहतर बनाए रखता है। इसमें अतिरिक्त पानी नहीं डालना पड़ता है, चूंकि भोजन को उसमें उपस्थित प्राकृतिक नमी के माध्यम से ही पकाया जाता है जिससे इसका स्वाद और बेहतर बना रहता है।
कार्य-कुशल प्रक्रिया-
मिट्टी के बर्तन समान रूप से ऊष्मा का संचालन करते हैं। एक बार जब बर्तन गर्म हो जाता है, तो भोजन कम आंच पर भी पक जाता है। यहाँ तक कि भोजन के 50% तक पक जाने पर ही आंच को बंद कर यदि उसे ढक दिया जाए तो उसमें मौजूद गर्मी से ही भोजन 100% पाक सकता है। इससे काफी ऊर्जा की बचत की जा सकती है।
संदर्भ:
1.https://solarcooking.fandom.com/wiki/Solar_cooking_pots
2.https://stayfitnyoung.com/nutrition/clay-pots-health/
चित्र सन्दर्भ:
1. https://picryl.com/media/pottery-pots-ceramic-music-d8df02
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