किसी को पट्टी पढ़ाने के भी होते हैं 6 सिद्धांत

लखनऊ

 04-05-2019 07:15 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

अपने उन विचारों और मान्‍यताओं को बनाए रखने के लिए जो हमने पहले से ही स्वीकार या तय किये हैं, हम सभी समय-समय पर खुद को बेवकूफ बनाते हैं।
रॉबर्ट सीयालडीनी (Robert Cialdini)

आप अक्‍सर ऐसे लोगों से मिलते होंगे जो बड़ी ही सहजता से अपने विचारों में आपकी सहमति प्राप्‍त कर लेते हैं या आपका विचार परिवर्तन कर लेते हैं। इस प्रक्रिया को अनुनय कहा जाता है। जहां वार्तालाप के दौरान बोलने वाले के द्वारा श्रोता पक्ष की मनोवृत्ति में परिर्वतन कर दिया जाता है। विज्ञापन कर्ता, राजनेता, प्रेरक व्‍यक्ति इत्‍यादि इसके प्रत्‍यक्ष उदाहरण हैं। एक सफल विज्ञापन कर्ता बड़े खूबसूरत तरीके से दर्शकों को अपना उत्‍पाद खरीदने के लिए तैयार कर देता है, तो वहीं एक राजनेता अपने शब्दों के जाल से मतदाताओं के मत प्राप्‍त कर लेता है। वैज्ञानिक पिछले 60 वर्षों से अनुनय मनोविज्ञान पर अध्‍ययन कर रहे हैं, कि कैसे कोई व्‍यक्ति दूसरे की सहमति प्राप्‍त कर लेता है। रॉबर्ट सीयालडीनी (Robert Cialdini) अमेरिकी प्रोफ़ेसर और लेखक हैं जिन्होंने अनुनय पर शोध किया और अनुनय के लिए निम्नांकित 6 सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं:

पारस्‍परिकता

एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है ‘बोए पेड़ बबूल का आम कहां से खाए’ अर्थात हम जो बोते हैं वही प्राप्‍त करते हैं। यही स्थिति हमारे व्‍यवहार की भी होती है, हम दूसरों से जैसा व्‍यवहार करते हैं, उसके प्रतिफल में हमें वैसा ही व्‍यवहार प्राप्‍त होता है। पारस्‍परिकता सिद्धांत इसी की पुष्टि करता है तथा यह कई स्‍तरों पर कार्य करता है। हम उन्‍हीं व्‍यक्तियों पर विश्‍वास करते हैं, जो हम पर विश्‍वास करते हैं तथा हम उन्‍हीं से अपने रहस्‍य साझा करते हैं जो हमसे अपने रहस्‍य साझा करते हैं। 80 के दशक में हरे कृष्‍णा आंदोलन में इसी सिद्धांत का प्रयोग किया गया था, जिसमें इन्‍होंने हवाई अड्डों पर लोगों को फूल भेंट करके दान देने का अनुरोध किया, इसमें देखा गया कि जिन लोगों को फूल प्राप्‍त हुए उन्‍होंने उन लोगों की अपेक्षा अधिक दान किया जिन्‍हें फूल प्राप्‍त नहीं हुए थे।

पारस्परिकता का सिद्धांत बाजार क्षेत्र में कार्य नहीं करता है, क्योंकि हम यहां जो कुछ भी प्राप्‍त करते हैं, उसके बदले में भुगतान करते हैं इसलिए यहां पारस्परिकता की कोई गुंजाइश बाकि नहीं रह जाती है। क्‍योंकि यह सिद्धांत कहता है कि आप दूसरों को जो देते हैं, वही वापस प्राप्‍त करते हैं। व्‍यापार के क्षेत्र में निशुल्‍क उपहार प्रदान कर आप इस सिद्धांत का उपयोग कर सकते हैं।

निरंतरता
जब हम किसी कार्य को करने का निर्णय ले लेते हैं या उसे पूर्ण कर लेते हैं, तो उस कार्य को निरंतर करने के लिए हमारे ऊपर सामाजिक दबाव बनने लगता है। रोबर्ट ने इस सिद्धांत को एक अध्‍ययन के माध्‍यम से प्रतिपादित किया जिसमें दो स्‍वयंसेवक समूह कुछ लोगों के घर एक सुरक्षित वाहन चालक निर्देश बोर्ड लगाने की अनुमति लेने के लिए गए, जिसमें एक समूह विफल हुआ जबकि दूसरे समूह ने 450% से उच्‍च सफलता प्राप्‍त की अर्थात वे लोगों को मनाने में सफल रहे। निरंतरता सिद्धांत बताता है कि बार्ड के अनौचित्‍य के बावजूद भी उन लोगों ने उनका समर्थन किया जो पहले से ही सुरक्षित ड्राइविंग का समर्थन करने का फैसला ले चुके थे तथा अपने निर्णय पर निरंतर बने रहना चाहते थे अर्थात एक बार व्‍यक्ति जो स्‍वीकार कर लेता है वह निरंतर उसका ही अनुसरण करने के लिए बाध्‍य हो जाता है।

सामाजिक प्रमाण
यह सिद्धांत बताता है कि हम जो दूसरों से सीखते हैं उसी का अनुसरण करते हैं। अर्थात यदि आप किसी आपात स्थिति में फंस जाते हैं, तो आप तुरंत वही कदम उठाएंगे जो आप अपने आस-पास से सीखे होंगे जैसे आपात नबंर डायल (Dial) करना इत्‍यादि। सामाजिक प्रमाण का सिद्धांत बताता है कि लोग वही करना चाहते हैं जो बाकी सब कर रहे हैं। यह सिद्धांत आज ऑनलाइन मार्केटिंग (Online Marketing) का एक आधुनिक हथियार बन गया है।

पसंद
हम उन लोगों को ज्‍यादा पसंद करते हैं, जो हमारी पसंद का व्‍यवहार करते हैं या उसी के अनुरूप कार्य करते हैं। अनुनय सिद्धांत बताता है कि पसंद करने के तीन प्रमुख कारक हैं, हम उन लोगों को पसंद करते हैं जो हमारे समान हैं, हमारी प्रशंसा करते हैं या हमारे लक्ष्‍यों की पूर्ति हेतु हमारी सहायता करते हैं। इन्‍हीं के माध्‍यम से लोग एक दूसरे को पसंद करते हैं। तथा जिन्हें आप पसंद करते हैं, उनकी बातों से आप जल्द ही सहमत होते हैं।

प्राधिकरण
इस सिद्धांत में बताया गया है कि हम हर चीज में विशेषज्ञ नहीं हो सकते, इसलिए हम विशेषज्ञों के दिशा निर्देशों का अनुसरण करते हैं। जैसे हम वही करते हैं जो चिकित्‍सक हमें बताते हैं, क्‍योंकि उनके पास उस क्षेत्र की विशेषज्ञता उपलब्‍ध है। इस सिद्धांत के अनुसार दूसरों को निर्देश देने से पूर्व स्‍वयं आपको उस विषय विशेष की जानकारी हासिल करनी होगी।

अभाव
यह अटल सत्‍य है हम उन्‍हीं चीजों को ज्‍यादा पसंद करते हैं जो हमारे पास नहीं होती या कम मात्रा में होती है। अभाव का सिद्धांत कहता है कि जो चीज सीमित है लोग उसे और अधिक प्राप्‍त करना चाहते हैं। या फिर कोई ऐसी चीज़ जो बहुत ही नायाब है और किसी और के लिए उसे पाना काफी मुश्किल हो। इसलिए जब भी कोई व्यक्ति हमें कुछ बेचना चाहता है तब वह वस्तु की गुणवत्ता के साथ-साथ हमें ये भी जता देता है कि वह वस्तु ‘लाखों में एक है’ और उसे खरीदने का ‘ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा’।

संदर्भ:
1. https://www.influenceatwork.com/principles-of-persuasion/
2. https://fs.blog/2014/04/influence-psychology-persuasion/
3. https://www.crazyegg.com/blog/psychology-of-persuasion/
4. https://bit.ly/2ZTSz1q

चित्र सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2ZRJ1nT
2. https://bit.ly/2IZjy6J



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