जानलेवा चाइनीज़ मांझा असल में है भारतीय

लखनऊ

 20-10-2018 01:51 PM
हथियार व खिलौने

भारत में पतंगबाजी का खेल बहुत ही लोकप्रिय है। पंतग से संबंधित एक मज़ेदार किस्सा आप मुंशी प्रेमचंद की ‘बड़े भाई साहब’ कहानी में देख सकते है। वैसे तो पंतग बारामास ही उड़ाई जा सकती है परन्तु भारत में कुछ विशेष त्यौहार पर पंतग उड़ाना अनिवार्य माना जाता है जैसे 'मकर संक्रांति' और '15 अगस्त'। इन दिनों देश के आसमान में चारों ओर पतंगें ही पतंगें दिखाई देती हैं। अलग-अलग रंगों की ये पतंगें भिन्न-भिन्न धागों से बंधी हुई होती हैं। किसी का धागा कच्चा है तो किसी का मजबूत। यदि डोर कच्ची हो तो पंतग टूटकर नीचे आ गिरती है। इसी कच्ची डोर को समय के साथ मजबूत बनाते-बनाते इतना खतरनाक बना दिया गया है कि लोगों को जान तक की हानि हो जाती है।

पहले जब आपकी पतंग आकाश की ऊंचाई छुने लगती थी तो पेच लड़ाना तो स्वभाविक होता ही था और कभी-कभी पेच लड़ाते समय मांझे को तेजी से घसीटने के चक्कर में ऊंगली कट जाती थी। परंतु आज, लोकप्रिय होता जा रहा ‘चाइनीज़ मांझा’ उंगली तो क्या, आपकी जिंदगी की डोर भी काट सकता है। असल में जैसे-जैसे पतंगबाज़ी का जूनून बढ़ता जा रहा है, वैसे ही हर कोई इसमें सबसे श्रेष्ठ होना चाहता है। सबसे श्रेष्ठ वही होगा जो सबसे अधिक पतंगें काटेगा। और इसी जूनून का फायदा उठा रहे हैं ये चाइनीज़ मांझे के उत्पादक। शुरुआत में इस धागे पर कांच के चूरे की एक परत चढ़ाई जाती थी ताकि इसे मज़बूत बनाया जा सके। पर समय के साथ उच्च मुनाफे के लोभ में इस पर अब लोहे जैसे धातुओं का चूरा भी चढ़ाया जाने लगा है जो अत्यंत घातक है।

चाइनीज़ मांझा, ये नाम सुनते ही आपके मन में यही आया होगा कि इसे भारत के बाहर से मंगवाया जाता है। किंतु ऐसा नहीं है। यह पूरी तरह से भारत में निर्मित सूती मांझे का नवीनीकृत रूप है। दो कारणों से इसे चाइनीज़ मांझा नाम मिला है:

1. सबसे पहला तो ये है कि ये नायलॉन के धागे से निर्मित होता है इसलिए इसे ये नाम मिला। नायलॉन से बने होने के कारण ये मजबूत तो होता ही है परंतु इसमें धार भी काफी होती है।

2. यह सूती मांझे की तुलना में सस्ता भी होता है जैसे कि हर चाइनीज़ चीज़ (जिन्हें भारत में चाइना द्वारा भेजा जाता है) होती है। उदाहरणतः सूती मांझों की 12 रीलों की कीमत गुणवत्ता के आधार पर लगभग 1,150 रुपये होती है, वहीं चाइनीज़ मांझे की 12 रीलों की कीमत 350 से 500 रुपये ही होती है। हालांकि इस पर हाईकोर्ट की पाबंदी है परंतु फिर भी ये अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं।

इस पर केंद्र सरकार और व्यापार कानून कहता है कि चूंकि पतंगों के लिए उपयोग किये जाने वाले इस धागे के लिए कोई विशिष्ट आयात-निर्यात (EXIM) कोड भारतीय व्यापार वर्गीकरण, 2012 के तहत मौजूद नहीं है और साथ ही इस धागे के बारे में कोई अन्य संबंधित जानकारी भी उपलब्ध नहीं है, इसलिये यह मांझा आवश्यक रूप से चीन से आयात नहीं किया जा सकता है। यह एक गलतफहमी है कि चाइनीज़ मांझा चीन से आयात किया जाता है।

रामपुर के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में चाइनीज़ मांझे की चपेट में आकर एक बच्चा घायल हो गया। जिसे तुरंत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। चाइनीज़ मांझे से दो साल के भीतर छह लोगों की जान जा चुकी है। साथ ही 20 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। इसके अलावा अक्सर पक्षियों के भी इस तरह के सिन्थेटिक (Synthetic) माझें में फंसने से घायल होने की खबरें आए दिन देखने-सुनने को मिलती हैं। हाईकोर्ट की पाबंदी के बाद भी जिले में चाइनीज़ मांझे की बिक्री रुकी नहीं है। रामपुर की पुलिस का कहना है कि चाइनीज़ मांझे की बिक्री को रोकने के लिए हर समय जगह-जगह छापेमारी की जा रही है। चाइनीज़ मांजे की बिक्री करते हुए पाए जाने पर सख्त कार्रवाई भी की जाती है। परंतु पुलिस इसकी बिक्री को रोक पाने में सफल नहीं हो पा रही है, जिसका खामियाजा मासूम जनता को झेलना पड़ता है।

जिले में मदर टेरेसा वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों ने चाइनीज़ मांझे पर लगी रोक को सख्ती से लागू कराने की मांग को लेकर सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दिया। डीएम को संबोधित इस ज्ञापन में कहा गया कि चाइनीज़ मांझे पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है। फिर भी जिले भर में मांझे की बिक्री कैसे हो रही है।

जुलाई 2017 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने देशभर में पतंग उड़ाने के लिए उपायोग किये जाने वाले नायलॉन और चाइनीज़ मांझे की खरीद, संचयन और इस्तेमाल पर दिल्ली समेत पूरे देश में सख्ती से रोक की बात कही। यह आदेश खास तौर पर लगातार चाइनीज़ मांझे से घायल होने वाले लोगों को देखते हुए दिया गया था और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का ये बैन पूरे देश पर लागू है। यह रोक ग्लास कोटिंग (Glass Coating) और कॉटन (Cotton) मांझे पर भी लगायी गई थी। एन.जी.टी. ने अपने आदेश में सिर्फ सूती धागे से ही पतंग उड़ाने की इजाज़त दी है। इस आदेश का पालन सभी राज्य गंभीरता से करें तो मांझे से घायल होने वाले लोगों और पक्षियों की जान को बचाया जा सकता है।

संदर्भ:
1.https://www.firstpost.com/india/chinese-manja-kite-flying-thread-that-delhi-banned-has-nothing-to-do-with-china-2966320.html
2.https://aajtak.intoday.in/story/ngt-final-ban-on-chinese-manjha-kites-1-940559.html
3.https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/rampur/child-injured-from-chinees-thread-in-rampur
4.https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/rampur/41539717153-rampur-news



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