लखनऊ की हमारी यह विश्वप्रसिद्ध धरती किसी परिचय की मोहताज नहीं है। वहीं दूसरी ओर कई बार इसके नाम के साथ जुड़ कर कई लोगों का जीवन सफल हो गया। बात है मशहूर कलाकार श्री गुरु दत्त के जीवन के उस पहलू की जब उन्हें सिनेमा जगत में कुछ ख़ास फायदा नहीं हो रहा था। उस समय गुरु दत्त द्वारा निर्मित और निर्देशित फिल्म ‘कागज़ के फूल’ (1959) बॉक्स ऑफिस (Box Office) पर ज़्यादा धमाल नहीं मचा पाई थी। उसी के बाद गुरु दत्त ने अपनी वापसी करते हुए फिल्म ‘चौदहवीं का चाँद’ (1960) का निर्माण किया।
फिल्म का पूर्ण रुप से लखनऊ शहर में स्थित थी तथा फिल्म में इस्लामी संस्कृति का एक मार्मिक स्वरुप भी प्रस्तुत किया गया। अवधी तहज़ीब, नवाबी, शेरो-शायरी और प्यार की यह नगरी लखनऊ गुरु दत्त के लिए इतनी शुभ साबित हुई कि बॉक्स ऑफिस तोड़कर यह मूवी गुरु दत्त की सबसे ज़्यादा व्यापार करने वाली फिल्म बनी। फिल्म में मुख्य भूमिका में स्वयं गुरु दत्त, रहमान और वहीदा रहमान हैं तथा हास्य उत्पन्न करने के लिए मशहूर हास्य कलाकार जॉनी वॉकर भी हैं।
ऊपर दिया गया वीडियो फिल्म के पहले गीत ‘ये लखनऊ की सर ज़मीन’ को दर्शाता है। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में अमर हुआ ये गीत लखनऊ के कई पर्यटन स्थल प्रदर्शित करता है, जैसे: रूमी दरवाज़ा, छतर मंजिल, बड़ा इमामबाड़ा, आदि। तो क्लिक कीजिये ऊपर दिए गए वीडियो पर और मुस्कुराएँ क्योंकि आप एक लखनऊ वासी हैं।
संदर्भ:
1.https://upperstall.com/features/take-5-hindi-cinemas-musical-ode-cities/
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Chaudhvin_Ka_Chand
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