जल ही जीवन है। इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पृथ्वी पर जीवन का सृजन भी जल की उपलब्धता के बाद से ही शुरू हुआ। आज वर्तमान काल में पृथ्वी के गर्भ में पानी का संचयन है जिससे मानव को पीने व कृषि आदि करने के लिए जल उपलब्ध हो पाता है।
पृथ्वी पर दो प्रकार से जल की उपलब्धता है – एक सतही जल और दूसरा भूगर्भीय जल। सतही जल में नदियों, तालाबों, नहरों, महासागरों आदि का जल आता है और वहीँ भूगर्भीय जल में पृथ्वी के अन्दर पाया जाने वाला जल आता है। मानव भूगर्भीय जल का प्रयोग बड़े पैमाने पर करता है। आइये समझते हैं कि आखिर भूगर्भीय जल होता क्या है? यह जल पृथ्वी के सतह के नीचे स्थित होता है जो कि वर्षा के दौरान ज्यादा मात्रा में जल को संरक्षित करती है जिसका प्रयोग पेड़ पौधे अपनी जड़ों के जरिये करते हैं और मानव जिसका प्रयोग नलों, मशीनों और कुओं को खोद कर करता है। पानी के ऊपर के भूगर्भीय भाग को वॉटर टेबल (Water Table) कहा जाता है।
इस जल का स्तर मौसम के अनुकूल बढ़ता घटता रहता है। मानव द्वारा किये जाने वाले दोहन से भी इस पर प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी के नीचे पाए जाने वाले जल से ही कई कार्य किये जाते हैं। रामपुर उत्तर प्रदेश में स्थित एक जिला है। वर्तमान में आये आंकड़ों को यदि देखा जाए तो उत्तर प्रदेश में भूगर्भीय जल के स्तर में बड़ी गिरावट देखने को मिली है जिसका सीधा तात्पर्य है यहाँ पर होने वाला बेतरतीब पानी का दोहन।
जल के इसी दोहन के कारण भूगर्भीय जल खतरे के निशान से नीचे चला गया। इसी के मद्देनज़र उत्तर प्रदेश में भूजल सेना का गठन किया गया जिसका कार्य है भूजल के प्रति लोगों को जागरूक करना। प्रदेश के 271 प्रगतिशील ब्लाक जो कि 22 जिलों में स्थित हैं, की भूजल की समस्या अत्यंत दयनीय है। सभी ब्लाको में ब्लाक 113 को अत्यंत दयनीय स्थिति में रखा गया है, 59 को दयनीय और 99 को अर्ध दयनीय स्थिति में। ऐसी हालत में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि जल का संरक्षण किया जाए।
आज से करीब 25 वर्ष पहले चेन्नई में जल की अत्यधिक कमी थी। वहां के लोगों को मुश्किल से जल उपलब्ध हो पा रहा था। वहां पर वर्षा के जल को संरक्षित करने की प्रक्रिया का प्रतिपादन किया गया और घरों आदि के पीछे कुओं आदि का निर्माण कर के वर्षा के जल को संरक्षित किया जाने लगा जिससे वहां पर जल के संकट को कम किया जा सका। उत्तर प्रदेश में एक अन्य आंकड़े के अनुसार यहाँ पर जल में उच्च मात्रा में विषैला पानी अथवा टोक्सिन (Toxin) पाया जाता है: यह आंकड़ा कुल 300 स्कूलों में किये गए सर्वे से प्राप्त हुआ था।
यह इस कारण है क्यूंकि जल में विभिन्न उद्योगों का रसायन छोड़ा जाता है। अब यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि नदियों आदि में उद्योगों के जल को छोड़ने से पहले उनका उपचार किया जाए। रामपुर में भूगर्भ जल संरक्षण से इन समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। वर्षा के जल को विभिन्न तालाबों, कुओं आदि से लिया जा सकता है। वर्षा के जल के संरक्षण से भूगर्भ जल के स्तर में भी बढ़ोतरी होती है जिसका प्रयोग मानव पीने से लेकर कृषि तक कर सकता है।
1. https://www.britannica.com/science/water-table
2. https://www.nationalgeographic.org/encyclopedia/water-table/
3. https://www.hindustantimes.com/lucknow/depleting-ground-water-level-in-uttar-pradesh-bhujal-sena-pani-panchayat-formed/story-pbGFF3hAyUMUv1FnmcAKGJ.html
4. https://scroll.in/article/886435/how-chennai-used-rainwater-to-quench-its-thirst-and-avoid-a-cape-town-like-water-crisis
5. https://timesofindia.indiatimes.com/city/agra/high-level-of-toxins-in-water-at-300-uttar-pradesh-schools-finds-survey/articleshow/59992044.cms
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