भारत में विभिन्न प्रकार मौसम होते हैं, इसलिए लोगों को उनके अनुरूप रहने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, गर्मियों के मौसम में ऐसे पेय पदार्थों की ज़रूरत होती है, जो न केवल प्यास बुझाएं, बल्कि लोगों को एक नई ऊर्जा से भी भरें। गर्मियों के मौसम में कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन हमारे लिए एक अच्छा विकल्प है। हालाँकि, देश के कुछ हिस्सों में, कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन पूरे साल भी किया जाता है। कोल्ड ड्रिंक्स या शीतल पेय सूखी या सामग्री को पानी में मिलाकर बनाया जाता है। इनका उत्पादन, कारखानों में या फिर घर पर किया जा सकता है। शीतल पेय को यदि घर पर बनाना हो, तो हम कार्बोनेटेड पानी में सिरप या सूखी सामग्री मिलाकर या लैक्टो-किण्वन (lacto fermentation) द्वारा शीतल पेय का निर्माण कर सकते हैं। कोल्ड ड्रिंक्स के सिरप को सोडा-क्लब जैसी कंपनियों द्वारा व्यावसायिक रूप से बेचा जाता है, जबकि सूखी सामग्री, अक्सर अमेरिकी पेय मिश्रण, कूल-एड (Kool-Aid) की शैली में पाउच के रूप में बेची जाती है। कार्बोनेटेड पानी को सोडा साइफ़न (soda siphon) या घरेलू कार्बोनेशन (carbonation system) सिस्टम का उपयोग करके या पानी में सूखी बर्फ़ डालकर बनाया जाता है। पेय पदार्थों को कार्बोनेट करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला खाद्य-ग्रेड कार्बन डाइऑक्साइड, अक्सर अमोनिया संयंत्रों के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। तो, आज, आइए देखें कि कोल्ड ड्रिंक्स कैसे बनाई जाती हैं। साथ ही हम जानेंगे कि भारत की दो सबसे लोकप्रिय सॉफ़्ट ड्रिंक्स, कोका कोला (Coca Cola) और स्प्राइट (Sprite) को बनाने के लिए किस निर्माण प्रक्रिया, सामग्री और तकनीक का उपयोग किया जाता है। उसके बाद, हम जानेंगे कि एक कोल्ड ड्रिंक निर्माण व्यवसाय कैसे शुरू किया जा सकता है।
संदर्भ:
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