उपर दिए गए चित्र में, आप लखनऊ की ऐतिहासिक ईमारतों के गौरवशाली अतीत को दर्शाती कुछ शानदार झलकियों को देख सकते हैं! यह एक दुर्लभ पोस्टकार्ड है, जिसमें हमारे प्यारे लखनऊ की कई ऐतिहासिक इमारतों का अद्भुत संग्रह समाहित है। आज, विश्व डाक दिवस पर, हम आपके लिए, ब्रिटिश अधीन लखनऊ के साथ-साथ कलकत्ता की दुर्लभ तस्वीरों को प्रदर्शित करते ऐतिहासिक पोस्टकार्डों को ढूंढकर लाए हैं। लेकिन इन छवियों का आनंद हम पोस्टकार्ड की अनोखी विशेषताओं, सामाजिक महत्व और इसके ऐतिहासिक मूल्यों को समझते हुए लेंगे!
किसी स्थान के अतीत को समझने के लिए, पोस्टकार्ड एक अनमोल दृश्य संसाधन साबित होते हैं। हालांकि कई विद्वान, इनके महत्व को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन ये वास्तव में हमें संस्कृति और वास्तुकला से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य प्रदान करते हैं। पोस्टकार्ड, लोगों को किसी स्थान की यात्रा किए बिना उस स्थान के बारे में सभी ज़रूरी जानकारियां हासिल करने का अवसर देते हैं। ये न केवल दृश्यों का अनुभव कराते हैं, बल्कि घर पर दोस्तों के साथ पुरानी यादें साझा करने का अनोखा माध्यम भी होते हैं।
पोस्टकार्ड की शुरुआत, 19वीं सदी के अंत में हुई और इनकी लोकप्रियता में लगातार उतार-चढ़ाव आया है। आधुनिक दुनिया तेजी से छवियों पर निर्भर होती जा रही है, इसलिए शोधकर्ताओं को इतिहास के अध्ययन के लिए सभी उपलब्ध स्रोतों का उपयोग करना आवश्यक है। कई वर्षों तक छवियों को महत्वहीन माना जाता था, इसलिए इन्हें अकादमिक पत्रिकाओं (Academic Journals) से भी बाहर रखा गया! लेकिन अब इन्हें महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाता है।
पोस्टकार्डों में दर्शाई गई छवियाँ अपने समय की रोज़मर्रा की जिंदगी और अविस्मरणीय पलों को कैद करती हैं। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में, इनका उपयोग, व्यावसायिक तौर पर भी होता था! इस दौरान, इनके माध्यम से व्यवसायों और उत्पादों का विज्ञापन किया जाता था। कभी-कभी, एक पोस्टकार्ड किसी विशेष समय में किसी स्थान का एकमात्र रंगीन रिकॉर्ड होता है! अधिकांश मुद्रित पोस्टकार्ड (Printed Postcards), पेशेवर फ़ोटोग्राफ़रों (Photographers) के संग्रह से प्राप्त होते हैं, जिस कारण इनमें उच्च-गुणवत्ता वाली छवियाँ होती हैं।।
पोस्टकार्ड, ट्रेन स्टेशनों (Train Stations), सार्वजनिक भवनों, पार्कों, पुस्तकालयों, थिएटरों (Theaters) और मुख्य सड़कों जैसे महत्वपूर्ण स्थलों को दिखाकर शहर या कस्बे की विशेषता को उजागर करते हैं। ये स्थान, स्थानीय संसाधनों और शैलियों को दर्शाते हैं। इसके अलावा, पोस्टकार्ड अद्वितीय प्राकृतिक विशेषताओं और उल्लेखनीय ऊँचाई या गहराई वाले स्थानों का भी रिकॉर्ड रखते हैं, साथ ही वे विशिष्ट क्षेत्रों और अपने समय के कपड़ों की शैलियों का दस्तावेज़ीकरण भी करते हैं।
उदाहरण के लिए, लंदन के पोस्टकार्ड प्रकाशक, फ़्रेड्रिक हार्टमैन (Frederick Hartmann) ने पोस्टकार्ड हेतु कई प्रारंभिक छवियाँ बनाई, जिनमें दार्जिलिंग से "ए भूतिया कुली (A Bhutia Coolie)" का एक स्टूडियो शॉट (Studio Shot) भी शामिल है। यह तस्वीर, कोलकाता के प्रसिद्ध फ़ोटोग्राफ़ी स्टूडियो, जॉनस्टन एंड हॉफ़मैन (Johnston and Hoffman) द्वारा ली गई थी। हार्टमैन ने बाद में श्रीनगर, कश्मीर की प्रसिद्ध नहर को दर्शाते हुए रंगीन पोस्टकार्ड (Colored Postcards) भी पेश किए। ये पोस्टकार्ड वैश्विक धरोहरें हैं, जिन्होंने पुरानी भौगोलिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक बाधाओं को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, पोस्टकार्डों ने लोगों को जोड़ने में मदद की, लेकिन इसके साथ कुछ गलतफहमियाँ भी उत्पन्न हुईं। इन्होनें कुछ नकारात्मक रूढ़ियों को भी सुदृढ़ किया।
20वीं सदी की शुरुआत में, चित्रित पोस्टकार्ड, आधुनिक समय के इंस्टाग्राम (Instagram) की तरह काम करते थे, जो यूरोपीय लोगों को ब्रिटिश उपनिवेशी भारत में अपने परिवार और दोस्तों के जीवन की झलक दिखाते थे।
ब्रिटिश काल में पोस्टकार्ड, एक शहर के शानदार दृश्य प्रस्तुत करते थे! जैसे कि ऊपर दिया गया यह पोस्टकार्ड चेन्नई में उस समय के पोस्ट और टेलीग्राफ़ कार्यालय को दर्शाता है। ये चित्र "ऐतिहासिक कथाओं" को "व्यक्तिगत, रोज़मर्रा की कहानियों" से जोड़ते हैं।
पोस्टकार्ड, भारत में ब्रिटिश अधिकारियों की भारतीयों के प्रति सोच, शहरों की योजना, वास्तुकला, दैनिक जीवन तथा यूरोपीय और स्थानीय लोगों के बीच के संबंधों को दर्शाते हैं। इनमें भारतीयों द्वारा किए जाने वाले छोटे-मोटे काम भी एक सामान्य विशेषता के रूप में शामिल होते हैं।
ऊपर दिए गए इस पोस्टकार्ड का शीर्षक "द मॉर्निंग टब (The Morning Tub)" है! यह पोस्टकार्ड 20वीं सदी की शुरुआत में प्रकाशित हुआ था। यह दिखाता है कि यूरोपीय लोग अक्सर नहाते समय मदद के लिए किसी भारतीय सेवक की सहायता लेते थे।
एक लोकप्रिय पोस्टकार्ड सेट "मास्टर्स (Masters)" श्रृंखला से संबंधित था, जिसे 1900 के दशक की शुरुआत में चेन्नई के एक प्रकाशक द्वारा बनाया गया था। इसे भारत में, ब्रिटिश शासन के केंद्र में स्वामी-सेवक संबंध पर "हास्यपूर्ण" टिप्पणी के रूप में प्रस्तुत किया गया था। लेकिन यह "ब्रिटिश अधिकारियों के डर" और "असुरक्षाओं" को भी उजागर करता था कि एक "सेवक", "स्वामी" के न होने पर क्या करेगा।
ऑस्ट्रिया में प्रकाशित रोएस्लर श्रृंखला (Roessler Series) में कलकत्ता के सबसे पुराने ज्ञात पोस्टकार्ड दर्ज हैं, जिन पर "कलकत्ता" नाम प्रमुखता से अंकित है। प्रत्येक रोस्लर पोस्टकार्ड में शहर की चार छवियां होती हैं, जिनमें एक हिंदू देवता (जैसे काली, दुर्गा, या गणेश), एक औपनिवेशिक इमारत (जैसे उच्च न्यायालय या राजभवन), भारतीय नौकरियों (जैसे अय्याह) का चित्रण , और कालीघाट मंदिर, बर्निंग घाट, या ईडन गार्डन पगोडा जैसे महत्वपूर्ण स्थान शामिल होते हैं।
तीन पोस्टकार्ड, विशेष रूप से क्लाइव स्ट्रीट (Clive Street), ओल्ड कोर्टहाउस स्ट्रीट (Old Courthouse Street), और शिबपुर बोटैनिकल गार्डन (Shibpur Botanical Garden) को दर्शाते हैं। इनका निर्माण लंदन में राफ़ेल टक एंड संस (Raphael Tuck & Sons) द्वारा किया गया था, और ये छवियां मुख्य रूप से शहर के यूरोपीय हिस्सों पर केंद्रित हैं।
ऑयलेट पोस्टकार्ड (Oilette Postcard) में कलकत्ता: क्लाइव स्ट्रीट के ऑयलेट पोस्टकार्ड के निचले दाएं कोने में "ऑयलेट" शब्द दिखाई देता है। इस पोस्टकार्ड के पीछे एक नोट है, जिसमें बताया गया है कि यह टक की वाइड-वाइड-वर्ल्ड श्रृंखला (Wide-Wide-World Series) का हिस्सा है, साथ ही इसमें खरीदारों और संग्राहकों के लिए एक सीरियल नंबर भी है। अधिकांश ऑइलेट पोस्टकार्ड (Oilette Postcards) में ऐसे कैप्शन होते हैं जो औपनिवेशिक कहानियों को दर्शाते हैं! इस तरह के पोस्टकार्ड , लॉर्ड कर्ज़न के वायसराय के समय में लोकप्रिय हुए थे।
ऊपर दिए गए चित्र में आप प्रारंग चित्र संग्रह से लिए गए हमारे लखनऊ के हार्डिंग ब्रिज (Hardinge Bridge) के चित्र पोस्टकार्ड (Picture Postcard) को देख सकते हैं! इसे पक्का पुल के नाम से भी जाना जाता है और आज यह लखनऊ में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और स्थापत्य स्थल है। इस चित्र पोस्टकार्ड के माध्यम से आप ब्रिटिश कालीन लखनऊ के लोगों की दिनचर्या, सामाजिक स्थिति, गोमती नदी के स्तर और लोगों की वेशभूषा से जुड़ी ढेरों जानकारियों को हासिल कर सकते हैं।
इस लेख में, हमने लखनऊ और कलकत्ता के ऐतिहासिक पोस्टकार्डों के माध्यम से अतीत की एक झलक प्रस्तुत की है। ये पोस्टकार्ड, न केवल दृश्य कला का एक अद्भुत संग्रह हैं, बल्कि वे उस समय की सामाजिक, सांस्कृतिक और वास्तुशिल्पीय विशेषताओं का भी दस्तावेज़ीकरण करते हैं। इन चित्रों के माध्यम से, हम न केवल भूतकाल की कहानियों को समझते हैं, बल्कि उन जटिल संबंधों को भी उजागर करते हैं जो उपनिवेशी भारत में यूरोपीय और स्थानीय लोगों के बीच थे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2bvhgpa6
https://tinyurl.com/yv6jb4o2
https://tinyurl.com/22636kuh
https://tinyurl.com/2d4g3rd8
चित्र संदर्भ
1. लखनऊ की ऐतिहासिक ईमारतों को दर्शाते पोस्टकार्डों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. लखनऊ इमामबाड़े को दर्शाते चित्र पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. बैंगलोर, कर्नाटक के एक बाज़ार को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. द मॉर्निंग टब नामक पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. कलकत्ता शहर को दर्शाते सबसे पहले पोस्टकार्डों में से एक को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
6. कलकत्ता शहर के ओल्ड कोर्टहाउस स्ट्रीट को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
7. क्लाइव स्ट्रीट, कलकत्ता के दृश्य को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
8. लखनऊ के हार्डिंग ब्रिज को दर्शाते पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)