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जानें संकटग्रस्त पक्षियों के संरक्षण में, हम कैसे कर सकते हैं मदद

लखनऊ

 03-08-2024 09:35 AM
पंछीयाँ

हमारे शहर रामपुर के पास स्थित, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क, इंडियन ग्रे हॉर्नबिल(Indian Grey Hornbill), जंगली उल्लू व पाइड किंगफिशर(Pied Kingfisher) जैसी कई भारतीय और विदेशी पक्षी प्रजातियों के लिए एक बड़ा प्राकृतिक आवास है। परंतु, भारतीय पक्षियों की 11 प्रजातियों को इंटरनेशनल यूनियन फ़ॉर कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचर(IUCN) द्वारा ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ घोषित किया गया है। पक्षियों की आबादी में गिरावट के लिए ज़िम्मेदार मुख्य कारणों में, उनके निवास स्थान की हानि, संशोधन एवं विखंडन और गिरावट; पर्यावरण प्रदूषण; अवैध शिकार और भूमि उपयोग में परिवर्तन शामिल हैं। तो चलिए, आज हम इन लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। हम वैश्विक स्तर पर लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियों पर भी नज़र डालेंगे। इसके अलावा, हम भारत सरकार द्वारा संकटग्रस्त और लुप्तप्राय पक्षियों के संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में भी बात करेंगे। अंत में, हम चर्चा करेंगे कि, हम एक नागरिक के रूप में, लुप्तप्राय जानवरों और पक्षियों को बचाने में अपना कर्तव्य कैसे पूरा कर सकते हैं।
भारत में कुछ गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी प्रजातियां निम्नलिखित है:
1.) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी, केवल भारत और आसपास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं। बस्टर्ड, पक्षियों की सबसे बड़ी उड़ने वाली प्रजातियों में से एक है। इनका वज़न 15 किलोग्राम तक होता है, और इनकी ऊंचाई लगभग 1 मीटर होती है। यह राजस्थान की झाड़ियों, लंबी घास, अर्ध-शुष्क घास के मैदानों और अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारी शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण, यह पक्षी भारत के कई क्षेत्रों से गायब हो रहा है।
2.) लाल सिर वाला गिद्ध: लाल सिर वाला गिद्ध, जिसे भारतीय काला गिद्ध या राजा गिद्ध भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्राचीन दुनिया के गिद्धों की प्रजातियों में से एक है। पशु चिकित्सा में डायक्लोफेनेक (Diclofenac) के उपयोग के कारण हाल के वर्षों में इस प्रजाति की आबादी में भारी गिरावट आई है। भारतीय गिद्ध, स्लेंडर-बिल्ड गिद्ध(Slender-billed Vulture) और वाइट -रम्प्ड गिद्ध(White-rumped Vulture) कुछ अन्य प्रजातियां है, जो भारतीय पक्षियों की गंभीर रूप से लुप्तप्राय श्रेणी में आती हैं।
3.) जंगली उल्लू: जंगली उल्लू प्रजाति परिवार, मध्य भारत के जंगलों में पाए जाते हैं । छोटे वन उल्लू को विलुप्त माना गया था, लेकिन, बाद में इसे फिर से खोजा गया। परंतु, आज यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय है। मेलघाट बाघ परियोजना, तलोदा वन एवं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र, इस छोटे उल्लू को खोजने के लिए सबसे अच्छी जगह हैं।
4.)स्पून बिल्ड सैंडपाइपर(Spoon Billed Sandpiper): अत्यधिक छोटी आबादी, निवास स्थान व प्रजनन स्थलों की हानि, सैंडपाइपर चूज़ों को विलुप्त होने की कगार पर ले जाती है। भारत में इन पक्षियों के मुख्य मैदान सुंदरबन डेल्टा और पड़ोसी देश हैं।
5.) बंगाल फ़्लोरिकन: बंगाल फ़्लोरिकन, बस्टर्ड परिवार की एक दुर्लभ प्रजाति है, और केवल भारतीय उपमहाद्वीप की मूल निवासी है। बंगाल फ़्लोरिकन, दुनिया के अन्य स्थानों पर लगभग विलुप्त हो चुके हैं । जबकि, भारतीय उपमहाद्वीप में 1,000 से भी कम युवा बंगाल फ्लोरिकन बचे हैं। अवैध शिकार और कृषि के लिए भूमि रूपांतरण के कारण इन पक्षियों का निवास स्थान नष्ट हो गया है।
6.) हिमालयी बटेर: हिमालयी बटेर, तीतर परिवार से संबंधित हैं, और केवल उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालय और भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में पाए जाते हैं । निवास स्थान के नष्ट होने से, ये विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं । बटेर मध्यम आकार की होती है, और केवल नज़दीकी क्षेत्र तक ही उड़ती है।
इसके अलावा, विश्व के सर्वाधिक लुप्तप्राय पक्षी निम्नलिखित हैं:
1.) पीली कलगी वाला कॉकटू(Yellow-crested cockatoo): यह पक्षी इंडोनेशिया(Indonesia) और तिमोर-लेस्ते(Timor-Leste) का मूल निवासी है। कॉकटू मध्यम आकार का सफ़ेद तोता है। कॉकटू की संख्या में गिरावट, मुख्य रूप से पिंजरे वाले पक्षियों के व्यापार और तस्करी के कारण है। ये पक्षी अक्सर ही, विदेशी पालतू व्यापार के शिकार होते हैं।
2.) कैलिफ़ोर्निया कोंडोर(California condor): कैलिफ़ोर्निया कोंडोर गंभीर रूप से लुप्तप्राय है, और उनके लिए प्राथमिक खतरा, सीसा विषाक्तता रहा है। सीसा विषाक्तता शिकार में इस्तेमाल की जाने वाली गोलियों के कारण होती है। लगभग 3 मीटर लंबे पंखों वाले ये विशाल पक्षी, अमेरिका के पश्चिमी तट के मूल निवासी हैं। वर्तमान में वे केवल कैलिफ़ोर्निया और उत्तरी एरिज़ोना(Arizona) में ही पाए जाते हैं।
3.) उत्तरी बाल्ड आईबिस(Northern bald ibis): यह लाल चेहरे और लंबी व घुमावदार चोंच वाला, एक बड़ा काला पक्षी है। सीरिया(Syria) में इनकी आबादी के लिए मुख्य खतरा, शिकार था। जबकि, तुर्की(Turkey) में, इन पक्षियों में कीटनाशकों के कारण विषाक्तता और प्रजनन की सफलता में कमी आई है। मोरक्को(Morocco) में इन पक्षियों को अवैध निर्माण और खेती में बदलाव का सामना करना पड़ा है।
4.) अफ़्रीकी ग्रे तोता(African grey parrot): मध्य और पश्चिम अफ़्रीका के ये मूल पक्षी, दुनिया भर में विदेशी पालतू व्यापार के लिए अत्यधिक मांग में हैं। उनकी तस्करी व निवास स्थान के नुकसान के कारण उनकी आबादी में गिरावट आई है। अफ़्रीकी ग्रे तोते का जीवनकाल लगभग 60 से 80 वर्ष अर्थात मनुष्यों के समान होता है।
5.) माउई पैरटबिल(Maui parrotbill): यह एक छोटा, पीले-हरे रंग का पक्षी है, जिसकी चोंच तोते जैसी होती है। आज यह पक्षी, केवल माउई द्वीप(Maui island) के एक छोटे से क्षेत्र में पाया जाता है।
6.) मैंग्रोव फ़िंच(Mangrove Finch): मैंग्रोव फ़िंच में हल्के भूरे, ज़ैतून और सफ़ेद पंख होते हैं। यह गैलापागोस द्वीपों(Galápagos island) का मूल निवासी है। आज इनकी संख्या घटकर, केवल 20-40 ही रह गई है। आक्रामक प्रजातियों द्वारा शिकार और परजीवियों के खतरे के कारण, मैंग्रोव फिंच की संख्या घट रही है।
ऐसी संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए, भारत सरकार ने अपनी 10 वर्षीय योजना में कुछ कदम उठाए हैं। देश में पक्षी विविधता, उनके पारिस्थितिकी तंत्र, आवास और परिदृश्य के संरक्षण के लिए, दूरदर्शी परिप्रेक्ष्य योजना (2020-2030) का मसौदा, फरवरी, 2020 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा रखा गया था।
भारत में दर्ज की गई, 1,317 पक्षी प्रजातियों में से 72 हमारे देश के लिए स्थानिक हैं। जबकि, आईयूसीएन के 2018 के एक आकलन के अनुसार, भारतीय पक्षियों की कुल 100 प्रजातियों को ‘संकटग्रस्त’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसीलिए, मसौदा योजना में 15 प्रमुख कार्यक्रमों और विभिन्न गतिविधियों की परिकल्पना की गई है, जिन्हें अल्पावधि (2020-2024), मध्यम अवधि (2024-2027) और दीर्घकालिक अवधि (2027-2030) में लागू किया जाएगा।
•यह भारत की राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना (2017- 2031) के संयोजन में है, जिसमें पक्षियों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए कई संरक्षण कार्य शामिल हैं।
•मंत्रालय हाल ही में, ‘मध्य एशियाई फ़्लाइवे (2018-2023) के साथ, प्रवासी पक्षियों और उनके आवासों के संरक्षण के लिए भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना’ भी लेकर आया था।
•मसौदा योजना में पक्षियों और अन्य जीवों के संरक्षण के लिए, चुनिंदा परिदृश्यों में “पक्षी सर्वेक्षण” की भी सिफ़ारिश की गई है। संरक्षण रणनीतियों को विकसित करने के लिए, उच्च पक्षी विविधता वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता की सिफ़ारिश भी योजना के तहत की गई है। साथ ही, पारिस्थितिकी तंत्र की वस्तुओं, सेवाओं और कार्यों के आर्थिक मूल्य को निर्धारित भी किया जाएगा।
•योजना में उन तटीय और समुद्री क्षेत्रों की पहचान करने की सिफारिश की गई है, जो समुद्री और तटीय पक्षी प्रजातियों के लिए उपयुक्त आवास के रूप में काम करते हैं। इसके बाद, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए एक एकीकृत संरक्षण और प्रबंधन योजना बनाई जाएगी। मसौदा योजना में मैक्रोप्लास्टिक्स(macroplastics) सहित समुद्री मलबे का आकलन करने की भी मांग की गई है, जो तटीय पक्षियों की आबादी को घुटन या भोजन के कारण प्रभावित करते हैं।
•योजना में प्रवासी पक्षियों के स्थलों के मानचित्रण और मूल्यांकन का सुझाव दिया गया है।
•इसके अलावा, योजना के तहत सिफ़ारिश की गई है कि, जंगली पक्षियों में बीमारियों की पहचान और निगरानी के लिए एक अत्याधुनिक रोग निगरानी केंद्र की स्थापना की जाए।
लुप्तप्राय पक्षियों और जानवरों को बचाने के लिए, सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के साथ ही, हम निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
1.) अपने क्षेत्र की लुप्तप्राय प्रजातियों के बारे में जानें: लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा के लिए पहला कदम यह सीखना है कि, वे कितनी दिलचस्प और महत्वपूर्ण हैं। अतः इस विषय में ज्ञान प्राप्त करें।
2.) राष्ट्रीय वन्यजीव शरणस्थल, उद्यान या प्रकृति में जाना: लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका, उन स्थानों की रक्षा करना है जहां वे रहते हैं। अपने स्थानीय प्रकृति केंद्र या वन्यजीव शरण में स्वयंसेवा करके शामिल हों। साथ ही, आस-पास के उद्यानों में वन्य जीवन या पक्षियों को भी देखने जाएं।
3.) देशी पौधे देशी वन्यजीवों को भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं: मधुमक्खियों और तितलियों जैसे देशी जीवों को आकर्षित करने से, आपके पौधों को परागित करने में मदद मिलती है। विदेशी प्रजातियों के प्रसार ने दुनिया भर में, पक्षियों व पेड़–पौधों की मूल आबादी को बहुत प्रभावित किया है। आक्रामक प्रजातियां संसाधनों और आवास के लिए देशी प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करती हैं। वे सीधे देशी प्रजातियों का भी शिकार कर सकते हैं, जिससे देशी प्रजातियां विलुप्त होने के लिए मजबूर हो जाती हैं।
4.)पुनर्चक्रण करें और टिकाऊ उत्पाद खरीदें: वन प्रजातियों की रक्षा के लिए पुनर्चक्रित कागज़, बांस जैसे टिकाऊ उत्पाद और वन प्रबंधन परिषद के लकड़ी के उत्पाद खरीदें। साथ ही, वर्षावनों की लकड़ी से बना फर्नीचर कभी न खरीदें।
5.) संकटग्रस्त या लुप्तप्राय प्रजातियों से बने उत्पाद कभी न खरीदें: विदेशी यात्राएं रोमांचक और मज़ेदार होती हैं। लेकिन, कभी-कभी वहां से जो स्मृति चिन्ह हम साथ लाते हैं, वे विलुप्त होने वाली प्रजातियों से बनाए जाते हैं। कछुआ-खोल, हाथी दांत व मूंगा सहित अवैध वन्य जीवन के बाजार का समर्थन करने से बचें। इसके अलावा, बाघों, ध्रुवीय भालू, समुद्री ऊदबिलाव और अन्य लुप्तप्राय वन्यजीवों के बाल, मगरमच्छ की खाल, जीवित बंदरों या वानरों, तोते, कॉकटू और फिंच सहित अधिकांश जीवित पक्षियों, कुछ जीवित सांप, कछुए और छिपकलियों आदि जानवरों से बने उत्पादों से सावधान रहें।
6.)वन्यजीवों के आवास की रक्षा करें: शायद कई प्रजातियों के सामने, सबसे बड़ा खतरा उनके आवास का व्यापक विनाश है। वन्यजीवों के पास भोजन, आश्रय खोजने और अपने बच्चों को पालने के लिए स्थान होने चाहिए। अतः लुप्तप्राय प्रजातियों के आवास की रक्षा की जानी चाहिए और इन प्रभावों को कम किया जाना चाहिए।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5n728b3s
https://tinyurl.com/4z4w48hw
https://tinyurl.com/bdhyxv5b
https://tinyurl.com/586z5999

चित्र संदर्भ
1. उत्तरी बाल्ड आईबिस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को दर्शाता चित्रण (unsplash)
3. जंगली उल्लू को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. स्पून बिल्ड सैंडपाइपर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. बंगाल फ़्लोरिकन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. हिमालयी बटेर को संदर्भित करता एक चित्रण (Animalia)
7. पीली कलगी वाले कॉकटू को दर्शाता चित्रण (Animalia)
8. कैलिफ़ोर्निया कोंडोर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. उत्तरी बाल्ड आईबिस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10. अफ़्रीकी ग्रे तोते को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
11. माउई पैरटबिल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
12. मैंग्रोव फ़िंच को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
13. विविध पक्षियों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)



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