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लखनऊ के ‘सनतकदा उत्सव’ में मनाया गया ‘फ्रांसीसी अवधी तालुकात या संबंध’ का जश्न

लखनऊ

 22-06-2024 10:08 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

क्या आप जानते हैं कि, हमारे शहर लखनऊ का २०० वर्ष पहले तक फ़्रांस(France) के साथ संबंध रहा है। हम सभी क्लॉड मार्टिन(Claude Martin) और लखनऊ में उनके योगदान के बारे में जानते हैं। लेकिन, मार्टिन के अलावा, फ्रांसीसी सेना के कुछ अन्य जनरल व महान लोग थे, जो कभी हमारे शहर में रहते थे। आइए, आज लखनऊ की फ्रांसीसी विरासत को फिर से देखें। साथ ही, २०१८ में लखनऊ में फ्रांसीसी-अवध संबंध पर, एक विशेष कला उत्सव के साथ, हमनें इस संबंध का जश्न भी मनाया है। इसके बारे में भी जानते हैं।
फ्रांस के साथ लखनऊ का संबंध सिर्फ मेजर जनरल क्लाउड मार्टिन के कारण ही नहीं, अपितु इससे अधिक है। दरअसल, क्लॉड मार्टिन ने औपनिवेशिक भारत के दौरान, फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया (French East India) कंपनी और बाद में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया (British East India) कंपनी में सेवा दी थी। मार्टिन के अलावा, फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी के कई फ्रांसीसी अधिकारियों ने भी, लखनऊ में फ्रांसीसी प्रभाव में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। उनमें से कुछ लोग, हेनरी पोलियर(Henri Polier), जनरल पेरोन(General Perron), कर्नल पेड्रोन(Colonel Pedron) और कर्नल जीन-बैप्टिस्ट जेंटिल(Colonel Jean-Baptiste Gentil) सहित अन्य थे।
क्लॉड मार्टिन लखनऊ के नवाबी दरबार में सबसे प्रमुख फ्रांसीसी रहे होंगे। जबकि, जीन-बैप्टिस्ट जेंटिल का फैजाबाद के तत्कालीन नवाबी दरबार में एक उल्लेखनीय स्थान था। उन्होंने प्रतिष्ठित त्रिपोलिया गेट का उद्घाटन किया। यह द्वार उस युग में अवध की पहचान था। आसफ-उद-दौला और लखनऊ के बाद के शासकों के संरक्षण में, इन द्वारों को और अधिक विस्तृत रूप दिया गया।
लखनऊ का राजभवन एक प्राचीन और ऐतिहासिक इमारत है, जो २०० वर्ष से अधिक पुरानी है। इस इमारत को शुरू में ‘कोठी हयात बख्श’ कहा जाता था, और क्लॉड मार्टिन ने इस इमारत का नक्शा तैयार किया था। मार्टिन का जन्म ४ जनवरी १७३५ को फ्रांस के ल्योंस(Lyons) नामक शहर में हुआ था। १७७६ में, मार्टिन को लखनऊ में अवध के नवाब – आसफ-उद-दौला खान के लिए शस्त्रागार के अधीक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया। उन्हें उनकी सैन्य प्रतिभा के लिए पहचाना जाता था और विभिन्न सैन्य मुठभेड़ों में उन्हें महत्वपूर्ण अनुभव प्राप्त हुए। उनकी प्रशासनिक कुशलता भी सर्वविदित थी। और, यह उनकी प्रतिष्ठा ही थी, जिस कारण, शुजा-उद-दौला खान ने अवध का नवाब बनकर लखनऊ में मार्टिन की सेवाओं के लिए अनुरोध किया था।
वह लखनऊ की सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और निवासियों के तौर-तरीकों से इतने प्रभावित हुए कि, उन्होंने लखनऊ को अपना स्थायी निवास स्थान चुन लिया। वह १७७६ से अपनी मृत्यु तक लखनऊ में रहे। निःसंदेह क्लॉड मार्टिन अत्यंत प्रतिभाशाली और अनेक क्षमताओं और गुणों से संपन्न व्यक्ति थे। लखनऊ के लिए योजनाएं बनाना, सुंदर और भव्य संरचनाओं के निर्माण और रखरखाव की देखरेख करना, आदि मार्टिन के पसंदीदा शौक थे।
वर्ष १७९८ में नवाब आसफ-उद-दौला खान के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार ने, बनारस के रहने वाले सआदत अली खान को अवध का नया शासक बनाया। नए शासक को भी मार्टिन द्वारा यूरोपीय शैली में निर्मित इमारतें पसंद आईं। इसलिए, सआदत अली खान की इच्छा के अनुसार, मार्टिन ने नवाब के लिए इमारतों के निर्माण का ठेका लिया। कोठी हयात बख्श उन दोनों की साझेदारी में बनाई गई कला का एक ऐसा ही नमूना है। सेरिंगपट्टनम में टीपू पर हमले के दौरान, कंपनी को पूरक सहायता के साथ-साथ नवाब आसफ-उद-दौला के दरबार में मार्टिन की सेवा से पता चलता है कि, उनके रणनीतिक कौशल उनके बाद के वर्षों में भी बरकरार रहे। साथ ही, उनके वास्तुशिल्प कौशल की लखनऊ में बहुत मांग थी और नवाब आसफ-उद-दौला के साथ उनकी निकटता ने उन्हें आधुनिक लखनऊ के निर्माण में भाग लेने का एक अनूठा अवसर दिया। मार्टिन लगभग उसी समय लखनऊ आये जब आसफ-उद-दौला ने अपनी राजधानी को लखनऊ स्थानांतरित किया था।
लखनऊ की कुछ इमारतें जिनमें मार्टिन का विशिष्ट स्पर्श है, वे फरहाद बख्श, आसफी कोठी, बिबियापुर, बारोवेन और कॉन्स्टेंटिया (Constantia) हैं। मार्टिन की अधिकांश इमारतें अद्वितीय थीं, और सैन्य हमले के खिलाफ उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, अन्य डिजाइनरों ने उनकी नकल की थी। अवध के नवाब आसफ-उद-दौला के अधीन काम करते हुए, मार्टिन ने लगभग ४०,००,००० रुपये की भारी संपत्ति अर्जित की। उन्होंने कॉन्स्टेंटिया का महल और फरहत बख्श का अपना बढ़िया घर भी बनवाया। इन दोनों इमारतों को उन्होंने विलासिता से सुसज्जित किया, जिसमें कई भाषाओं में लिखी गई लगभग ४,००० खंडों की एक लाइब्रेरी (library)और कला कार्यों के एक अच्छे संग्रह वाली एक चित्र गैलरी शामिल थी। उनकी मृत्यु के समय, उनके संग्रह में पक्षियों की ६५० से अधिक कंपनी शैली की पेंटिंग शामिल थीं, जिन्हें मुगल-प्रशिक्षित चित्रकारों द्वारा चित्रित किया गया था।
लखनऊ के साथ फ्रांस के इसी संबंध या ‘फ्रांसीसी अवधी तालुकात’ का जश्न मनाने के लिए फरवरी 2018 में कैसरबाग बारादरी में ‘सनतकदा लखनऊ महोत्सव’ आयोजित किया गया था। प्रदर्शन में फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा, अवध की पुराने समय की पेंटिंग और तस्वीरों वाले पैनल लगाए गए थे। मोहसिना मिर्जा द्वारा क्लॉड मार्टिन के प्राकृतिक इतिहास संग्रह और ला मार्टिनियर कॉलेज(La Martiniere College) के ड्रोन कैमरे की छवियों से ली गई तस्वीरों ने, महोत्सव में आगंतुकों का स्वागत किया था। साथ ही, इस पांच दिवसीय उत्सव के पहले दिन, दो विशेष पुस्तकों का पाठ किया गया था, जो मजबूत अवधी-फ्रांसीसी संबंधों को दर्शाते थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yyxp862c
https://tinyurl.com/yx8z83cy
https://tinyurl.com/y8cvw83m
https://tinyurl.com/2fxmnx9m
https://tinyurl.com/jdyasut7

चित्र संदर्भ
1. सनतकदा उत्सव और क्लॉड मार्टिन को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, wikimedia)
2. यह जोहान ज़ोफ़नी द्वारा कर्नल एंटोनी पोलियर, क्लाउड मार्टिन, जॉन वॉम्बवेल की एक पेंटिंग है, जिसमें वे स्वयं पृष्ठभूमि में हैं और भारतीय सेवादारों द्वारा उनकी सेवा की जा रही है! को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. यूरोपीय लोगों के साथ मुर्गों की लड़ाई में शामिल आसफ-उद-दौला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. 1814 में ला कॉन्स्टेंटिया के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. सनतकदा लखनऊ महोत्सव के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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