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नदियाँ, पृथ्वी पर बहने वाली जल की धारा मात्र नहीं हैं! वास्तव में ये हमारे संपूर्ण ग्रह की स्थिरता के लिए बेहद ज़रूरी हैं! नदियाँ न केवल सभ्यताओं के आधार स्तंब के रूप में काम करती हैं, बल्कि वे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करते हुए, मानव जीवन को आकार देने में भी बड़ी भूमिका निभाती हैं। मानव सभ्यता में नदियों की ज़रूरत का बेहतर आंकलन करने के लिए आज हम भारत में पूजनीय माने जाने वाली दो उल्लेखनीय नदियों 'कावेरी और गोमती' में गोता लगाएँगे।
कावेरी नदी का उद्गम तालकावेरी मदिकेरी नामक एक स्थान से होता है, जो कर्नाटक के कोडागु ज़िले के भागमंडला शहर की ब्रह्मगिरी पहाड़ियों में स्थित एक पवित्र स्थान है। यह केरल के कासरगोड ज़िले के भी करीब है। यहाँ का मंदिर मुख्य शहर से 48 किमी दूर है, जहाँ कॉफ़ी बागानों से होकर जाने वाली सड़क से पहुँचा जा सकता है।
तालकावेरी में मुख्य देवता देवी कावेरम्मा हैं, साथ ही इस मंदिर में भगवान अगस्त्येश्वर की भी पूजा की जाती है। तालकावेरी में, कावेरी या ब्रह्म कुंडिके नामक एक आयताकार तालाब है, जिसे कावेरी नदी का जन्मस्थान या स्त्रोत माना जाता है। कावेरी नदी, प्रारंभ में भूमिगत हो जाती है, भागमंडला के पास फिर से प्रकट होती है! अंततः यह त्रिवेणी संगम नामक स्थान पर दो अन्य नदियों, कन्निके और सुज्योति से मिलती है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि तालाकावेरी के पानी में चमत्कारी उपचार शक्तियाँ हैं। कहा जाता है कि इस पवित्र जल में स्नान करने से कई शारीरिक और मानसिक बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।
कावेरी नदी को दक्षिण की गंगा भी कहा जाता है। माँ कावेरी के धरती पर आगमन से जुड़ी कई किवदंतियां प्रचलित हैं। इन सभी में सबसे लोकप्रिय कहानी राजा कावेरा के बारे में है, जो ब्रह्मगिरी पहाड़ियों में रहते थे। उन्होंने भगवान ब्रह्मा से संतान प्राप्ति के लिए कठोर तप किया जिससे प्रसन्न होकर उन्हें कावेरी नाम की एक बेटी का आशीर्वाद मिला, जो वास्तव में जल देवी का मानवीय रूप था।
माना जाता है कि महर्षि अगस्त्य का विवाह कावेरी से हुआ और उन्होंने माँ कावेरी को अपने कमंडल में स्थान दिया। एक दिलचस्प किवदंती के अनुसार एक बार अत्यंत सूखा पड़ रहा था और इस सूखे के दौरान, श्री गणेश ने कौवे का वेश धारण कर घड़े को पलट दिया, जिससे कावेरी नदी कमंडल से बाहर निकल गई।
कावेरी केवल एक नदी नहीं है; वह एक जीवित शक्ति है। माँ कावेरी का आशीर्वाद पाने वाला पहला स्थान कूर्ग है, जो हरे-भरे वनस्पतियों से भरपूर क्षेत्र है। इस क्षेत्र को चंदन, देवदार, पान की बेलों, सुपारी और इलायची के पौधों की प्रचुरता के लिए जाना जाता है। यह जंगल वन्यजीवों से भरपूर हैं, और यहाँ खूबसूरत पहाड़ियाँ और घाटियाँ इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग बना देती हैं।
जब कावेरी कुशालनगर से पश्चिम की ओर बहती है, तो इसके मार्ग में पहला प्रमुख मंदिर रामनाथपुरा में पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि रावण को मारने के बाद, प्रभु श्री राम ने यही पर शिव लिंग की पूजा की थी। इस क्षेत्र की आभा ऊँची जंगली पहाड़ियों, गहरी घाटियों और हरे-भरे धान के खेतों के कारण अत्यंत सुंदर प्रतीत होती है। चुनचनकट्टे के मंदिर में श्री कोडंडाराम और उनकी पत्नियों की सुंदर मूर्तियाँ हैं।
इसके बाद कावेरी नदी पूर्व की ओर बढ़ती है, और मैसूर के पास कृष्णराजसागर जलाशय को भरती है। यह जलाशय वृंदावन उद्यान के रूप में प्रसिद्ध है, जिसे अपने नाचते हुए फव्वारों और रंगीन रोशनी के लिए जाना जाता है! शाम के समय इस बगीचे के नज़ारे देखते ही बनते हैं।
कावेरी नदी की दिशा में आगे श्रीरंगपट्टनम के रास्ते में रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य है, जहाँ सफ़ेद सारस, रात्रि बगुले और डार्टर जैसे कई पक्षी रहते हैं। मैसूर से लगभग 15 किमी दूर श्रीरंगपट्टनम, एक समय में टीपू सुल्तान की राजधानी हुआ करती थी। यहाँ श्री रंगनाथ (विष्णु) का मंदिर स्थित है, जहाँ टीपू सुल्तान ने सोने के आभूषण और चाँदी के बर्तन भेंट किए थे।
मैसूर से लगभग 40 किमी दूर सोमनाथपुरा है, जो अपने लक्ष्मीकेशव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है! यह मंदिर होयसल वास्तुकला का एक सुंदर उदाहरण है, जिसे 1268 ई. में होयसल राजा मुम्मदी नरसिंह के दरबार के एक अधिकारी सोमा ने बनवाया था। मंदिर की दीवारें और छतें जटिल रूप से गढ़ी गई हैं।
तलकाड़ कावेरी के किनारे एक और प्रसिद्ध तीर्थस्थल है, जहाँ नदी चार बिंदुओं पर अपनी दिशा बदलती है, जिनमें से प्रत्येक बिंदु या स्थल शिव को समर्पित मंदिर हैं, जिन्हें पंचलिंगेश्वर मंदिर कहा जाता है।
इसके बाद कावेरी नदी शिवनासमुद्रम में पहुचकर एक बड़े झरने में बदल जाती है, जिसका उपयोग जलविद्युत शक्ति के लिए किया जाता है। फिर वह मेके दातु (बकरी की छलांग) नामक एक संकीर्ण मार्ग से तमिलनाडु की ओर बहती है, जहाँ उसकी सहायक नदियाँ कण्व और अर्कावती उससे मिलती हैं।
तमिलनाडु में, कावेरी नदी तिरुचि और तंजौर ज़िलों की कृषि आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए अंततः एक साल की यात्रा के बाद, कावेरीपट्टिनम में बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।
कावेरी नदी की कई सहायक नदियाँ भी हैं, जिनकी सूची निम्नवत दी गई है:
हरंगी नदी: हरंगी नदी कर्नाटक के कोडागु में पश्चिमी घाट की पुष्पगिरी पहाड़ियों से निकलती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान भारी बारिश से इसे पानी मिलता है। यह नदी अपने उद्गम से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तह बहती है जहाँ यह कुडिगे के पास कावेरी से मिलती है, जो कुशालनगर से 5 किलोमीटर उत्तर में है।
हेमावती नदी: हेमावती नदी पश्चिमी घाट में लगभग 6,000 फीट की ऊँचाई पर प्रारंभ होती है। यह कर्नाटक के चिकमगलूर ज़िले के मुदिगेरे तालुक से शुरू होती है और हसन क्षेत्र से होकर बहती है। यह यागाची नदी से मिलती है और फिर कृष्णराजसागर के पास कावेरी से मिलने से पहले मंड्या क्षेत्र में बहती है। हेमावती लगभग 245 किलोमीटर लंबी है और लगभग 5,410 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करती है।
लक्ष्मण तीर्थ: लक्ष्मण तीर्थ नदी कर्नाटक राज्य के कोडागु क्षेत्र से शुरू होकर पूर्व की ओर बहती है और कृष्ण राजा सागर में कावेरी से मिलती है। यह नदी कोडागु ज़िले के ब्रह्मगिरी क्षेत्र में 1,450 मीटर की ऊँचाई से शुरू होती है।
अमरावती नदी: अमरावती नदी दक्षिण भारत के तमिलनाडु में उदुमलपेट, धारापुरम और करूर के उपजाऊ क्षेत्रों में कावेरी की सबसे लंबी सहायक नदी है। यह अमरावतीनगर में अमरावती जलाशय और बाँध से गुज़रते हुए उत्तर की ओर बहती है।
भवानी नदी: भवानी नदी पश्चिमी घाट में नीलगिरी पहाड़ियों से शुरू होती है। यह केरल में साइलेंट वैली नेशनल पार्क (Silent Valley National Park) में बहती है, फिर वापस तमिलनाडु में आ जाती है। नदी मुख्य रूप से तमिलनाडु के कोयंबटूर और इरोड ज़िलों से होकर बहती है। इसके लगभग 90% पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। यह नदी कुडुथुरई अभयारण्य में कावेरी से मिलती है।
कबीनी नदी: कबीनी नदी कावेरी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह केरल के कोझीकोड ज़िले में कविलुम्परा के पास से शुरू होती है, जहाँ पनामारम और मनंतवडी नदियाँ मिलती हैं। यह वायनाड से होकर पूर्व में कर्नाटक के मैसूर क्षेत्र में बहती है और मैसूर ज़िले में कावेरी से मिलती है।
नोय्याल नदी: नोय्याल नदी पश्चिमी तमिलनाडु में एक छोटी नदी है और यह तमिलनाडु के पश्चिमी घाट में वेलिंगिरी पहाड़ियों से शुरू होती है, जो केरल की सीमा के करीब है। यह कोयंबटूर और तिरुपुर के कई गाँवों और कस्बों से होकर बहती है और फिर नोय्याल में कावेरी में मिल जाती है।
अर्कवती नदी: अर्कवती नदी कर्नाटक की एक पहाड़ी नदी है, जो चिक्काबल्लापुरा क्षेत्र में नंदी पहाड़ियों से शुरू होती है। यह रामनगर ज़िले में कनकपुरा से 34 किलोमीटर दक्षिण में संगमा नामक स्थान पर कावेरी से मिलती है। यह नदी कनिवेनारायणपुरा के पास चिक्करायप्पनहल्ली झील में बहती है।
शिमशा नदी: शिमशा नदी कर्नाटक से होकर बहती है। यह तुमकुर क्षेत्र में देवरायणदुर्गा पर्वत के दक्षिणी भाग से शुरू होती है और कावेरी में मिलने से पहले लगभग 221 किलोमीटर की यात्रा करती है।
क्या आप जानते हैं कि कावेरी नदी लंबे समय से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद का कारण भी बनी है। कावेरी जल विवाद के रूप में जाना जाने वाला यह विवाद नदी के पानी को साझा करने के तरीके पर असहमति से उपजा है, जो दोनों राज्यों में खेती के लिए आवश्यक है।
जैसा कि हमने अभी पढ़ा यह नदी कर्नाटक में निकलती है और बंगाल की खाड़ी तक पहुँचने से पहले तमिलनाडु से होकर बहती है। इस नदी में जल स्तर मानसून की बारिश पर निर्भर करता है, जिससे शुष्क अवधि के दौरान पानी का संघर्ष होने लगता है। कई समझौतों के बावजूद, अलग-अलग वर्षा के स्तर, बढ़ती पानी की मांग और बदलती कृषि पद्धतियों के कारण, इस नदी के पानी के बंटवारे को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। यहां तक कि इस विवाद के कारण व्यापक विरोध और हिंसा हो चुकी है, जिससे दोनों राज्यों में किसान, व्यापार, परिवहन और सामाजिक सद्भाव प्रभावित हुए हैं। इस संघर्ष को हल करने के कई प्रयास किये गए हैं जिनमें बातचीत, न्यायाधिकरण और केंद्र सरकार की मध्यस्थता भी शामिल है, लेकिन आज तक इस विवाद का कोई स्थायी समाधान नहीं मिल सका है।
कावेरी नदी की भांति भारतीय संस्कृति की एक और प्रसिद्ध नदी गोमती, हमारे शहर और बल्कि संपूर्ण भारतीय समाज में विशेष स्थान रखती है:
गोमती नदी, जिसे गुमती नदी भी कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के पीलीभीत शहर के पूर्व में 200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित फुलहार नामक एक झील से शुरू होती है। यह गंगा नदी की एक सहायक नदी है, जो रामगंगा और शारदा नदियों के बीच के क्षेत्र को सींचती है। दक्षिण की ओर बहते हुए, यह गंगा में मिलने से पहले हमारे लखनऊ, बाराबंकी, सुल्तानपुर, फैज़ाबाद और जौनपुर से होकर गुज़रती है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, गोमती को ऋषि वशिष्ठ की पुत्री माना जाता है, और ऐसी मान्यता है कि एकादशी (हिंदू कैलेंडर के ग्यारहवें दिन) पर नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। श्रीमद्भागवतम्, में गोमती नदी का उल्लेख भारत की कई पवित्र नदियों में से एक के रूप में किया गया है। यह नदी उत्तर प्रदेश से होकर 960 किलोमीटर (600 मील) तक बहती है और वाराणसी ज़िले के सैदपुर, कैथी के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
गोमती नदी की 22 सहायक नदियाँ हैं, जिनमें सई नदी मुख्य है। 240 किलोमीटर (150 मील) बहने के बाद, गोमती नदी हमारे लखनऊ शहर में प्रवेश करती है, जहाँ यह लगभग 12 किलोमीटर (7 मील) तक घूमते हुए बहती है। इस नदी का पानी शहर की ज़रूरतों को पूरा करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। दुर्भाग्य से, लखनऊ क्षेत्र में 25 शहरी नालों से नदी में अनुपचारित सीवेज छोड़ा जाता है। लखनऊ में नदी के निचले छोर पर एक बैराज बनाकर नदी के प्रवाह को रोकते हुए एक झील बनाई गई है। सीएफएसडी द्वारा किए गए शोध से पता चलता है कि 1950 से अब तक गोमती का दो-तिहाई पानी गायब हो चुका है, जिससे जलीय जीवन को नुकसान पहुंच रहा है। अगर कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो 31 साल में नदी सूख सकती है। नदी करीब एक लाख परिवारों का भरण-पोषण करती है और इसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yhhf99e2
https://tinyurl.com/bdh9n57y
https://tinyurl.com/2ttzkrhp
https://tinyurl.com/2bc6y4uk
https://tinyurl.com/yc24f2mx
चित्र संदर्भ
1. गोमती व् कावेरी नदियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बिलिगुंडलु के पास बहती कावेरी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तला कावेरी मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कर्नाटक में कावेरी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. हरंगी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. हेमावती नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. अमरावती नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. भवानी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. कबीनी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. नोय्याल नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. अर्कवती नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
12. शिमशा नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
13. सीतापुर जिले में गोमती नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
14. गोमती रिवर फ्रंट,लखनऊ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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