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हमारे लखनऊ सहित पूरे देश में मधुमक्खी पालन के प्रति रूचि धीरे-धीरे बढ़ रही है। इस उद्योग में बहुत कम निवेश करके भी कई किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण हमारे लखनऊ के एक स्थानीय किसान, ब्रजेश कुमार वर्मा भी हैं, जिन्होंने मधुमक्खी पालन करके प्रसिद्धि और पैसा दोनों कमाए हैं।
शहद, मोम (Beeswax), प्रोपोलिस (Propolis), रॉयल जेली (Royal Jelly) और हनीड्यू (Honeydew) जैसे कई उत्पादों का उत्पादन करने के लिए मधुमक्खियों को पालने की प्रथा को, “मधुमक्खी पालन (Apiculture) कहा जाता है। शहद और इन उप-उत्पादों को इकट्ठा करने के लिए मधुमक्खी पालक, मधुमक्खियों को छत्ते में व्यवस्थित करते हैं। "शहद के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह आपके रक्त और धमनियों को साफ कर सकता है, गले के संक्रमण को दूर कर सकता है और बच्चों की याददाश्त भी बढ़ा सकता है। यह खांसी, सर्दी, पाचन समस्याओं, आंखों के विकारों और उच्च रक्तचाप को रोकने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा शहद कैंसर और हृदय रोग को रोकने सहित अल्सर और अन्य जठरांत्र संबंधी विकारों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
मधुमक्खी पालन से शहद के अलावा अन्य उत्पाद भी तैयार किये जा सकते हैं। मधुमक्खियां शहद खाकर मोम बनाती हैं, जिसका उपयोग वे छत्ते बनाने में करती हैं। मधुमक्खी पालक शहद काटते समय शुद्ध मोम की मोमबत्तियां बनाने के लिए इन छल्लों को इकट्ठा करते हैं।
मधुमक्खी के मोम का उपयोग घर में कई तरह से किया जा सकता है। इसका प्रयोग करके आप घर पर ही डिओडोरेंट (Deodorant), लोशन बार (Lotion Bar), लिप बाम (Lip Balm)और साबुन बना सकते हैं। इसका उपयोग शिशु उत्पादों में, फटी एड़ियों और हाथों को आराम देने के लिए, नियोस्पोरिन (Neosporin) के प्राकृतिक विकल्प के रूप में, सर्दी एवं फ्लू से राहत के लिए और पुन: प्रयोज्य खाद्य आवरण बनाने के लिए किया जा सकता है।
मधुमक्खी पालन एक व्यवसाय के रूप में तेज़ी के साथ लोकप्रिय होता जा रहा है। इसकी लोकप्रियता इसलिए भी बढ़ रही है, क्योंकि इस व्यवसाय में कम निवेश और मधुमक्खियों की सावधानीपूर्वक देखभाल की आवश्यकता होती है।
भारत में मधुमक्खी पालन परंपरागत रूप से पहाड़ी इलाकों में किया जाता है, लेकिन अब अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए इसे मैदानी इलाकों में भी किया जाने लगा है। उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, दक्षिणी राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तराखंड और गुजरात सहित कई राज्यों में मधुमक्खी पालन खूब प्रचलित हो रहा है।
अन्य प्रकार की खेती की तरह, मधुमक्खी पालन भी मौसम से प्रभावित होता है। उत्तर भारत में मधुमक्खी पालन का मौसम लगभग छह से सात महीने तक चलता है, लेकिन दक्षिण में इसे केवल एक महीने के लिए किया जा सकता है। आप मधुमक्खी पालन का व्यवसाय कम से कम 20,000 रुपये से शुरू कर सकते हैं। भारतीय मधुमक्खियों के एक बक्से की कीमत लगभग 2,000 रुपये होती है, जबकि इतालवी मधुमक्खियों के एक बक्से की कीमत 7,500 रुपये तक हो सकती है।
2020 में भारतीय मधुमक्खी पालन बाजार का मूल्य लगभग 18,836.2 मिलियन रुपये था और 2021 से 2026 के बीच इसके 12.4% सीएजीआर (CAGR) की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो 2026 तक 37,235.9 मिलियन रुपये के मूल्य तक पहुंच जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि स्वस्थ भोजन की बढ़ती मांग के साथ ही शहद का बाजार, भी इसी दर (2019 से 2029 तक 5.1% सीएजीआर) के साथ बढेगा। सीएजीआर यानी कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (Compound Annual Growth Rate), किसी निवेश की औसत वार्षिक वृद्धि दर को कहा जाता है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्वास्थ्य लाभों के कारण उनकी खपत भी बढ़ रही है। डाबर इंडिया लिमिटेड (Dabur India Limited), बार्टनिक (Bartnik), अर्नोल्ड हनीबी (Arnold Honey Bee), मिलर्स हनी कंपनी (Miller's Honey Company) और बीहाइव बॉटनिकल इंक (Beehive Botanicals Inc) जैसी प्रमुख कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में कई रणनीतिक कदम उठा रही हैं।
इसी क्रम में हमारे लखनऊ जिले के मदारपुर केवली गांव के निवासी ब्रजेश कुमार वर्मा भी भविष्य के मधुमक्खी पालको के लिए एक प्रेरणापुंज बन गए हैं। वह मधुमक्खी पालन से न केवल अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं बल्कि क्षेत्र के कई किसानों और ग्रामीण युवाओं को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं। वह उत्तर प्रदेश और यहाँ के पड़ोसी राज्यों में अन्य लोगों को भी मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
वर्मा जी ने आर्थिक तंगी के कारण अपने परिवार की छोटी सी ज़मीन पर खेती शुरू की थी। उन्होंने खेती के लिए अपने पड़ोसियों से कुछ ज़मीन पट्टे पर लेने की भी कोशिश की। लेकिन 1990 में उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के उद्यान विभाग से मधुमक्खी पालन के बारे में सीखा। मधुमक्खी पालन की शुरुआत उन्होंने विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए एक निःशुल्क मधुमक्खी बॉक्स से की। कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ, वह शहद बेचकर कमाए गए पैसे से दो साल के भीतर 10 और मधुमक्खी बक्से खरीदने में सक्षम हो गए।
अपने उद्योग में सफलता पाने के बाद, ब्रजेश कुमार वर्मा जी ने "अभिषेक ग्रामोद्योग संस्थान" नामक मधुमक्खी पालकों का एक समूह बनाया और इसे उत्तर प्रदेश सरकार के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत किया। आज की तारीख में यह संगठन बड़ी मात्रा में शहद का उत्पादन करता है और राज्य सरकार के ग्राम विकास विभाग के सहयोग से, लखनऊ जिले के गोसाईगंज में एक प्रसिद्ध शहद प्रसंस्करण इकाई बन चुका है।
उनकी टीम विभिन्न गांवों से कच्चा शहद एकत्र करती है, इसे उच्च गुणवत्ता वाले शहद में संसाधित करती है और राज्य में विभिन्न दुकानों पर बेचती है। वर्मा ने कृषि विज्ञान केंद्र , आईसीएआर-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी भाग लिया। इससे उन्हें मधुमक्खी के छत्ते से उच्च गुणवत्ता वाला शहद निकालने, उत्पाद की ब्रांडिंग करने और राज्य में विभिन्न दुकानों पर बेचने के कुशल तरीके सीखने में मदद मिली।
केवीके, आईसीएआर-आईआईएसआर, लखनऊ द्वारा किए गए ऑन-फार्म परीक्षण (On-Farm Testing) से सकारात्मक परिणाम देखने के बाद, वर्मा ने 2011 से मधुमक्खी पालन के सहायक उत्पादों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। आज के समय में लखनऊ और आसपास के जिलों और राज्यों में भी कई किसान इस तकनीक को अपना रहे हैं।
वर्मा जी मधुमक्खियों के लिए भोजन की उपलब्धता के आधार पर अपने 600 मधुमक्खी बक्सों को साल भर अलग-अलग राज्यों में ले जाते हैं। वह नवंबर से फरवरी तक लखनऊ जिले में सरसों की फसलों में मधुमक्खी बक्से स्थापित करना शुरू करते हैं। फिर, वह मार्च से सितंबर तक लीची, मक्का और बाजरा की फसल के लिए बिहार के मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा और बेगूसराय जिलों में चले जाते हैं। उन्होंने छोटे पैमाने पर प्रवास के लिए उत्तर प्रदेश के कासगंज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, उन्नाव और सीतापुर जिलों में नए क्षेत्रों की भी पहचान की है। अब तक, उन्होंने लगभग 6,000 किसानों को प्रशिक्षित किया है और विभिन्न जिलों में ग्रामीण युवाओं को मुफ्त में मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रेरित और प्रशिक्षित करते रहते हैं।
उनके संगठन से लखनऊ जिले में लगभग 1,120 मधुमक्खी पालक जुड़े हुए हैं, जो सालाना लगभग 350 टन शहद, 150 किलोग्राम पराग और 100 किलोग्राम प्रोपोलिस का उत्पादन करते हैं। यह उद्यम प्रति वर्ष लगभग 3 करोड़ रुपयों की आय उत्पन्न करता है। हालांकि यदि आप मधुमक्खी पालन करना चाह रहे हैं तो आपको भी शुरू-शुरू में छत्ता स्थापित करना और मधुमक्खियों को ऑर्डर करने के कारण यह प्रक्रिया कठिन लग सकती है।
लेकिन नीचे दिए गए आसान चरणों का पालन करके आप भी एक लाभदायक मधुमक्खी पालन व्यवसाय शुरू कर सकते हैं:
1. छत्ते का स्थान चुनना: मधुमक्खियों का ऑर्डर देने या आपूर्ति इकट्ठा करने से पहले, तय करें कि आपको अपना छत्ता कहाँ रखना है। जाँच करें कि क्या आपके क्षेत्र में मधुमक्खी पालन के विरुद्ध कोई स्थानीय कानून या नियम तो नहीं हैं। मधुमक्खी के छत्ते के लिए पूर्व की ओर आदर्श स्थान होता है और जहां पूरे दिन पूर्ण सूर्य रहता है। इसके इलावा मधुमक्खी के छत्ते को आपके आँगन में किसी शांत स्थान पर रखा जाना चाहिए।
2. न्यूक और पैकेज मधुमक्खियों की तुलना: यदि आप मधुमक्खी पालन शुरू कर रहे हैं, तो आपको निर्णय लेना होगा कि आप नक्स और पैकेज मधुमक्खियों (Nucs And Package Bees) के बीच किसे चुनेंगे। दोनों को पालने के अपने फायदे और नुकसान होते हैं, और इसका चुनाव आपकी आवश्यकताओं और बजट पर निर्भर करता है।
3. शहद मधुमक्खियों का ऑर्डर देना: एक बार जब आप नक्स या पैकेज मधुमक्खियों के बीच निर्णय ले लेते हैं, तो अपनी मधुमक्खियों को जल्दी ऑर्डर करें ताकि आपूर्ति खत्म न हो जाएं। आप आपूर्तिकर्ताओं से स्थानीय मधुमक्खी पालन क्लबों (Beekeeping Clubs), विज्ञापनों, स्थानीय मधुमक्खी पालन फेसबुक समूहों या मौखिक प्रचार के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।
4. मधुमक्खी पालन की आपूर्ति इकट्ठा करें: मधुमक्खी के छत्ते का स्थान तय करने और मधुमक्खियों का ऑर्डर देने के बाद, मधुमक्खी पालन के सभी आवश्यक आपूर्ति उपकरण इकट्ठा करें। आप सेकेंड-हैंड सामान ढूंढकर या अपना खुद का छत्ता बनाकर अपने पैसे भी बचा सकते हैं।
5. नए मधुमक्खी के छत्ते में शहद की मक्खियां स्थापित करें: मधुमक्खियां लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका छत्ता स्थापित हो गया है और आपके मधुमक्खी पालन के उपकरण तैयार हैं।
6. नियमित रूप से मधुमक्खी के छत्ते की जांच करें: अपनी मधुमक्खियों को उनके नए छत्ते में स्थापित करने के बाद, एक या दो सप्ताह में छत्ते की जांच करना जरूरी है।
मधुमक्खियों की रानी पर नज़र रखें और सुनिश्चित करें कि वह स्वस्थ हो और नियमित रूप से बच्चे दे रही हो। प्रारंभिक छत्ते की जाँच के बाद, लगभग हर दो से तीन सप्ताह में छत्ते की जाँच अवश्य करें।
7. मधुमक्खी के छत्ते से शहद इकट्ठा करें: शहद इकट्ठा करने का सबसे अच्छा समय गर्मियों के अंत से शुरुआती पतझड़ के बीच होता है। सर्दियों में जीवित रहने के लिए मधुमक्खियों के छत्ते में कम से कम 100 पाउंड शहद छोड़ने की आवश्यकता होती है। यदि आपके पास मधुमक्खी का नया छत्ता है, तो मधुमक्खियों के पास नए छत्ते बनाने और सर्दियों के लिए पर्याप्त शहद जमा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं होगा। मधुमक्खियाँ शहद का कितना उत्पादन और भंडारण कर सकती हैं, यह मौसम और चारे की उपलब्धता पर निर्भर करता है। याद रखें, मधुमक्खी पालन एक लाभदायक शौक है लेकिन इसके लिए धैर्य और निरंतर सीखते रहने की आवश्यकता होती है।
संदर्भ
https://shorturl.at/nFKSZ
https://shorturl.at/eqrAK
https://shorturl.at/hiCEO
चित्र संदर्भ
1. एक भारतीय मधुमक्खी पालक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चम्मच में रखे गये प्राकृतिक शहद को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
3. लैंगस्ट्रॉथ छत्ते के फ्रेम का निरीक्षण करते हुए एक मधुमक्खी पालक को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
4. फूल पर बैठी मधुमक्खी को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
5. शहद के छत्ते को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
6. भारतीय मधुमक्खी पालको को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. फर्रुखाबाद में मधुमक्खी पालन को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
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