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भारतीय पक्षियों की विविधता में लखनऊ की एकाना आर्द्रभूमि का क्या है योगदान?

लखनऊ

 05-04-2024 09:30 AM
पंछीयाँ

हमारा शहर लखनऊ विभिन्न प्रकार के पक्षियों का घर है। खूबसूरत फाख्ता पक्षी से लेकर सुरीली कोयल तक, तथा शानदार कबूतरों से लेकर चहचहाती बुलबुल तक, हमारे शहर के पक्षियों की सूची अंतहीन है। ये पक्षी हमेशा से ही लखनऊ की संस्कृति का एक अभिन्न अंग रहे हैं। जबकि, हमारे देश भारत में पक्षियों की कुल 1,353 प्रजातियां हैं। आज इस लेख को पढ़कर जानते हें कि, हमारे शहर में पक्षियों की कितनी प्रजातियां मौजूद हैं, और लखनऊ को पक्षियों प्रजातियों के लिए भाग्यशाली क्यों माना जाता है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण(Zoological Survey of India) के एक अध्ययन से पता चलता है कि, देश की कुल 1,353 पक्षी प्रजातियों में से, लगभग 78 प्रजातियां, केवल भारत में पाई जाती हैं। इनमें से 28 पक्षी प्रजातियां पश्चिमी घाट, 25 प्रजातियां अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, 4 पूर्वी हिमालय, 1 दक्षिणी दक्कन के पठार और 1 मध्य भारतीय वनों में वितरित हैं। 75वें स्वतंत्रता वर्ष के अवसर पर, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित ‘75 एंडेमिक बर्ड्स ऑफ़ इंडिया(75 Endemic Birds of India)’ पुस्तक में, ऐसी 75 प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के अनुसार, दुनिया में लगभग 10,906 पक्षी प्रजातियों की समृद्ध विविधता है, और उनमें से 1,353 प्रजातियों का घर भारत है। इस प्रकार, ये पक्षी प्रजातियां वैश्विक पक्षी विविधता का 12.4% हिस्सा हैं। हालांकि, प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ(International Union for Conservation of Nature) के वर्गीकरण के अनुसार, भारत की विशेष 78 पक्षी प्रजातियों में से 25 प्रजातियों को ‘थ्रेटन्ड(Threatened)’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रजातियों को ‘थ्रेटन्ड’ के रूप में तब वर्गीकृत किया जाता है जब, निकट भविष्य में उनके विलुप्त होने का खतरा होता है। अब आइए, हमारे शहर लखनऊ के पक्षियों के बारे में जानते हैं। जबकि दुनिया भर के शहर, शहरी वनों के विकास में निवेश कर रहे हैं, और विशाल ‘वायु शोधक(Air purifiers)’ स्थापित कर रहे हैं, लखनऊ काफ़ी भाग्यशाली है। क्योंकि, हमारे शहर के हजरतगंज से बमुश्किल कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही एक आर्द्रभूमि स्थित है। क्या आप इस आर्द्रभुमि का नाम जानते हैं? दरअसल, यह एकाना आर्द्रभुमि है।
प्रकृतिवादियों और पक्षी प्रेमियों के अनुसार, इस स्थान पर देशी और प्रवासी पक्षियों की 100 से अधिक प्रजातियां निवास करती हैं। कुछ बेहद दुर्लभ और शर्मीले प्रवासी पक्षी हर सर्दियों में इसे अपना घर बनाते हैं। यह भूमि बत्तखों, बी इटर्स(Bee-eaters), नीलकंठ, गौरैया, तोते और जकाना(Jacanas) की नियमित उपस्थिति से ही सुंदर बनती है। हालांकि, इनमें से कुछ ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम’ की ‘अनुसूची 1’ में सूचीबद्ध हैं। जो पक्षी पानी पर या उसके निकट रहते हैं, वे जलीय पक्षी कहलाते हैं। ये पक्षी असमुद्री और समुद्री दोनों प्रकार के पानी से संबंधित हो सकते हैं। आर्द्रभूमि कई जल पक्षियों के लिए एक अच्छा निवास स्थान होता है। क्योंकि, ऐसी भूमि कार्बनिक घटकों की समृद्धि के कारण, अच्छी मात्रा में भोजन प्रदान करती हैं, जो जलीय खर-पतवार, फाइटोप्लांकटन(phytoplankton) और जूप्लांकटन(zooplankton) के विकास में योगदान करते हैं।
एकाना आर्द्रभुमि में किए गए एक अध्ययन के दौरान, 6 अनुक्रम(Order) और 8 अलग-अलग परिवारों(Family) से यहां कुल 17 प्रजातियां देखी गई थी। एनाटिडे परिवार(Anatidae family) की प्रजातियों का घनत्व सबसे अधिक (7 और 41%) था। इसके बाद रैलिडे(Rallidae) (2 और 11.7%), सिकोनिडे(Ciconiidae) (2 और 11.7%), अलसेडिनिडे(Alcediinidae) (2 और 11.7%), जैकानिडे(Jacanidae) तथा चराड्रिडे(Charadriidae) परिवारों का स्थान आया। जबकि, स्कोलोपैसिडे(Scolopacidae) परिवार से सबसे कम प्रजाति घनत्व (1 और 5.8%) था। एन्सेरिफोर्मेस(Anseriformes) अनुक्रम – जिसमें यहां पाई जाने वाली सभी प्रजातियों का 41% हिस्सा शामिल है । प्रजातियों की सबसे अधिक बहुतायत है। इसके बाद, चाराड्रीफोर्मेस(Charadriiformes) (3 और 17.6%), ग्रुइफोर्मेस(Gruiformes), सिकोनीफोर्मेस(Ciconiiformes) और कोरासीफोर्मेस(Coraciiformes) (2 और 11.7%) और पेलेकेनिफोर्मेस(Pelecaniformes) (1 और 5.8%) का स्थान आता हैं।
परंतु आज, 3-4 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला यह स्थान धीरे-धीरे इसके क्षेत्र में हो रही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से वंचित होता जा रहा है। इस आर्द्रभूमि के खत्म होने की आशंका के चलते पक्षी प्रेमियों के एक समूह ने हमारे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसे बचाने की गुहार लगाई है। जब तक ऐसे मामलों में सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है, यह स्थान बढ़ते निर्माण से वंचित हो जाएगा। अतः इससे पहले कि यह भूमि बंजर हो जाए, इसे बचाने हेतु प्रयास किए जाने चाहिए। आर्द्रभूमियों का यह अध्ययन, इस पारिस्थितिकी तंत्र की वर्तमान स्थिति को बहाल करने और बनाए रखने के लिए जल पक्षियों का रिकॉर्ड बनाने में मदद करता है। जबकि, इस अध्ययन का प्रयास जल पक्षियों की जैव विविधता के बारे में जानकारी प्रदान करना है, ताकि, इन स्थलों को जल पक्षियों की आबादी के संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण आवास के रूप में पहचाना जा सके।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3d9f2kxt
https://tinyurl.com/5d42a2b5
https://tinyurl.com/2s3e8t56

चित्र संदर्भ
1. आर्द्रभूमि में भारतीय स्पॉट-बिल्ड बत्तख को संदर्भित करता एक चित्रण (Animalia)
2. दो सुंदर पक्षियों को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)
3. रंगनथिट्टू पक्षी अभयारण्य में माइक्टेरिया ल्यूकोसेफला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. तने पर बैठे सफेद गले वाले किंगफिशर को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
5. आर्द्रभूमि में फेंके गए कूड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (2Fpixahive)
6. आर्द्रभूमि में घूम रहे पक्षियों को संदर्भित करता एक चित्रण (2Fanimalia)



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