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कम समय में गंतव्य पर पहुंचने का लक्ष्य तो अच्छा है,लेकिन सुरक्षित रेल सफर सर्वोपरि है

जौनपुर

 19-06-2023 10:11 AM
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

लखनऊ शहर में अवध क्रॉसिंग (Crossing), शहर के साथ एक्सप्रेसवे (Expressway) और राजमार्ग को जोड़ती है।अब यह क्रॉसिंग वर्ष 2029 तक दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (Delhi-Varanasi High Speed Rail Corridor–DVHSR) पर दौड़ने वाली भविष्य की ‘बुलेट ट्रेन(Bullet Train)’ के लिए एक महत्वपूर्ण जंक्शन भी हो सकती है। रेल मंत्रालय ने डीवीएचएसआर समेत अन्य सात गलियारों(कॉरिडोर) के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है।
पूरे 813 किलोमीटर के इस ट्रैक पर 13 रेलवे स्टेशन होंगे। इनमें से 12 उत्तर प्रदेश में, जबकि एक भूमिगत स्टेशन दिल्ली में होगा। इस रेल लाईन पर ट्रेन 330 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी।इस ट्रेन में सीमित ठहराव के साथ दिल्ली से वाराणसी पहुंचने में केवल 3 घंटे 33 मिनट का समय लगेगा। डीवीएचएसआर का मार्ग संरेखण यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के साथ है।साथ ही, जंगल और वन्य जीवन को नुक्सान न पहुंचाने के उद्देश्य से, गंगा एक्सप्रेसवे प्रस्तावित है; इसलिए ट्रेन के अवध क्रॉसिंग पर लखनऊ में एक स्टेशन होने की संभावना है। प्रति दिन कुल 43 ट्रेनें अवध क्रॉसिंग स्टेशन पर हर 22 मिनट में पहुंचेंगी। दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन से शुरू होकर यह ट्रेन नोएडा सेक्टर 146 मेट्रो स्टेशन, जेवर एयरपोर्ट, मथुरा, आगरा, इटावा, कन्नौज, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, प्रयागराज, भदोही आदि स्टेशनों पर रुकेगी और वाराणसी (मंडुआडीह) स्टेशन पर अपनी यात्रा समाप्त करेगी ।डीवीएचएसआर के एक अन्य खंड को लखनऊ और अयोध्या से जोड़ने का प्रस्ताव भी दिया गया है। अवध क्रॉसिंग पर एक फुट ओवर ब्रिज (Foot Over Bridge) इस स्टेशन को सिंगर नगर मेट्रो स्टेशन से जोड़ेगा ताकि यात्री शहर में अपने गंतव्य तक पहुंच सकें। इसी तरह प्रयागराज स्टेशन से फाफामऊ रेलवे स्टेशन तक फुट ओवर ब्रिज बनाया जाएगा। प्रस्तावित योजना के अनुसार, वाराणसी से प्रतिदिन 47 मिनट के अंतराल पर 18 ट्रेनें चलेंगी। दिल्ली में डीवीएचएसआर अंडरग्राउंड स्टेशन हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के सामने होगा, जबकि नोएडा में यह सेक्टर 146 मेट्रो स्टेशन के सामने होगा। दूसरी तरफ, भारतीय रेलवे ने देश भर में “वंदे भारत एक्सप्रेस” ट्रेनों की शुरुआत को गति दी है।अब, रेलवे विभाग हमारे उत्तर प्रदेश राज्य को भी दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस देने के प्रस्ताव पर काम कर रहा है, जो लखनऊ और गोरखपुर के बीच शुरू होने की संभावना है। यह उत्तर पूर्व रेलवे(North Eastern Railway) ज़ोन और उत्तर रेलवे(Northern Railway) ज़ोन के लिए क्रमशः पहली और पाँचवीं नई ट्रेन होगी। गोरखपुर और लखनऊ के बीच वंदे भारत ट्रेन चलाने का प्रस्ताव अभी प्रारंभिक चरण में है, और इसकी व्यवहार्यता का अध्ययन किया जा रहा है। यह अत्याधुनिक ट्रेन चार घंटे से भी कम समय में 270 किलोमीटर से अधिक दूरी तय कर सकती है। गोरखधाम एक्सप्रेस और बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस वर्तमान में, इन दो शहरों के बीच चलने वाली सबसे तेज़ ट्रेनें हैं।ये दोनों ट्रेनें समान दूरी तय करने में चार घंटे पैंतालीस मिनट का समय लेती हैं। रेलवे में इस गतिशील विकास को लेकर हालांकि कुछ चिंताएं भी व्यक्त की जा रही है।अभी,ओडिशा के बालासोर में 2 जून की शाम को, कोरोमंडल एक्सप्रेस को एक खतरनाक दुर्घटना का सामना करना पड़ा। यह ट्रेन अपने मूल ट्रैक से भटक गई और एक अलग ट्रैक पर मालगाड़ी के इंजन से टकरा गई। इसके बाद, ट्रेन के कई डिब्बे पटरी से उतर गए, और बेंगलुरु और हावड़ा के बीच यात्रा करने वाली एक अन्य ट्रेन कोरोमंडल एक्सप्रेस के फिसलते डिब्बों के साथ दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसके परिणामस्वरूप 288 लोगों की मौत हो गई और 1,000 से अधिक लोग घायल हो गए। दरअसल, बालासोर ट्रेन दुर्घटना से पहले भी हमारे देश में ट्रेन के भीषण अपघात हो चुके है। वर्ष 1995 में, पुरुषोत्तम एक्सप्रेस फिरोजाबाद के पास खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से टकरा गई थी, जिसमें लगभग 305 लोग मारे गए थे। 2016 में इंदौर-राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पुखरायां में पटरी से उतर गए थे, जिसमें 152 लोगों की मौत हो गई थी और 260 घायल हो गए थे। जबकि, 6 जून 1981 के दिन भारत ने सबसे भीषण ट्रेन दुर्घटना देखी है। तब एक ट्रेन पुल पार करते समय बिहार में बागमती नदी में गिर गई थी, जिसमें 750 से अधिक लोग मारे गए थे। बालासोर की भयानक ट्रेन दुर्घटना के बाद, भारत की ट्रेनों की सुरक्षा का विषय एक बार फिर सामने आ गया है।भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक(Comptroller and Auditor General of India) की 2022 की एक रिपोर्ट में ट्रेन प्रणाली की कई कमियों को चिह्नित किया गया था और इसके लिए सिफारिशें की गई । यह सामने आया कि रेलवे पटरियों की ज्यामितीय और संरचनात्मक स्थितियों का आकलन करने के लिए आवश्यक ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों(Track Recording Cars) द्वारा किए जाने वाले निरीक्षण में 30-100% तक की कमी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि, अधिकांश दुर्घटनाएँ खराब ड्राइविंग के कारण हो सकती हैं।लोको पायलटों(Loco Pilot) की गलतियों द्वारा होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या 154 थी। खराब ड्राइविंग या ओवर स्पीडिंग(Over Speeding) ट्रेन के पटरी से उतरने के लिए एक प्रमुख कारक था। साथ ही, रेलवे प्रणाली में आवश्यक सुरक्षा उपायों की अवहेलना की जा रही है, जबकि रेल सुरक्षा में निवेश करने के बजाय गैर-प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के लिए धन आवंटित किया जा रहा है। इसके अलावा, “ट्रैक प्रबंधन प्रणाली” (Track Management System), जो कि रेलवे लाइन या ट्रैक के रखरखाव गतिविधियों की ऑनलाइन निगरानी के लिए एक वेब आधारित एप्लिकेशन (App) है, वह भी उपयोग में नहीं थी ।निरीक्षण नोट्स को बंद करने से संबंधित जानकारी भी पोर्टल में नहीं भरी गई थी। ट्रेन के पटरी से उतरने से होने वाले लगभग 289 (26%) मामले ट्रैक नवीनीकरण से जुड़े थे| डेटा से पता चलता है कि वर्ष 2017 और 2021 के बीच कुल 217 ट्रेन दुर्घटनाओं में से 75% दुर्घटनाएं पटरी से उतरने के कारण हुईं थी। इसके अतिरिक्त, सिग्नल विफलता के कारण भी 211 दुर्घटनाएँ हुईं।
इसके अलावा, भारतीय रेलवे में खाली पड़े विभिन्न पद भी ट्रेन दुर्घटनाओं की आशंका की ओर इशारा करते हैं। लोको पायलट से लेकर सुरक्षा विभाग में रिक्त पदों पर कर्मचारियों की कमी साफ नजर आ रही है। भारतीय रेलवे में कर्मचारियों की कमी बड़ी दुर्घटनाओं का कारण बन रही है। साल 2017 में बताया गया कि रेलवे में करीब 1.42 लाख सेफ्टी स्टाफ(Safety staff) के पद खाली पड़े हैं। जनवरी 2023 तक, मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय रेलवे में 3.12 लाख से अधिक पद खाली हैं।
रिपोर्ट ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि, रेलवे प्रणाली के लिए निर्धारित समय-सीमा का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना है। ट्रैक के रखरखाव हेतु बेहतर प्रौद्योगिकियों के पूर्ण यंत्रीकृत तरीकों को अपनाकर रखरखाव गतिविधियों के समय पर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए भी एक मजबूत निगरानी तंत्र विकसित करना है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ywdurhz7
https://tinyurl.com/bpu7dhbn
https://tinyurl.com/xe6zedf8
https://tinyurl.com/4wzc9rer
https://tinyurl.com/5en9unxa
https://tinyurl.com/3wpbku7h

चित्र संदर्भ

1. जौनपुर जंक्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारतीय रेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. रेलवे लाइन के निर्माण को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4. पलटी हुई रेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. बालासोर की भयानक ट्रेन दुर्घटना को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. एक साथ कई ट्रेनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



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