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झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का जीवन दर्शन, आज भी भारतीय महिलाओं को आगे बढ़ने
और अपने अधिकारों के लिए लड़ने तथा उनकी रक्षा करने का साहस प्रदान करता है। उनके जीवन
के आखिरी क्षण आज भी इतिहास की किताबों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हैं। माना जाता
है कि, 1858 के शुरुआती दिनों में अंग्रेजों ने झांसी के किले
पर हमला कर दिया। पूरा शहर धू-धू कर जलने लगा। ऐसी विषम स्थिति
में भी रानी लक्ष्मी बाई ने अपने बेटे को पीठ पर बांधा और घोड़े पर सवार होकर दौड़ पड़ी,
युद्ध के मैदान में। चूँकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था, इसलिए उन्होंने विद्रोही सेना में
शामिल होकर, ग्वालियर में सेना को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया।
लेकिन जून 1858 में एक भीष्म गर्मी के दिन, अंग्रज़ों द्वारा ग्वालियर सेना पर हमला कर दिया गया। इस हमले से बचने के लिए
उन्होंने एक पुरुष का भेष धरा, लेकिन दुर्भाग्य से वह पकड़ी गई
और इस युद्ध में उनकी जान चली गई।
इस लड़ाई को 1857 के विद्रोह का अंतिम युद्ध माना
जाता है। ब्रिटिश अधिकारी, सर ह्यू रोज़ (Sir Hugh
Rose) ने उनके पराक्रम को देखते हुए यह टिप्पणी की: "यहाँ वह महिला थी, जो सभी विद्रोहियों के बीच एकमात्र
पुरुष थी” ("here lay the
woman who was the only man among the rebels")।
भारतीय संस्कृति में, अवसर पड़ने पर महिलाओं को भी युद्ध
में उतरने का विचार, हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा से
शुरू होकर, ऐतिहासिक चरित्र, रानी लक्ष्मी
बाई के साथ अपने उत्कर्ष पर पहुंचा । आज 18 जून के दिन ही,
वर्ष 1858 में रानी लक्ष्मी बाई ने हमारे देश
की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था।
उनकी मृत्यु के लगभग 90 साल बाद, भारतीय राष्ट्रीय सेना ने एक पूर्ण-महिला इकाई का गठन किया, जिसने 1940 के दशक में आजादी की लड़ाई में अहम् भूमिका निभाई थी।
कल की हमारी पोस्ट ने रानी झांसी रेजिमेंट की महिलाओं की अदम्य भावना का जश्न मनाया। आज ऊपर दिए गए वीडियो में हम, झांसी की रानी रेजिमेंट (Rani of Jhansi Regiment) में महिलाओं को प्रशिक्षण दिए जाने के दौरान फिल्माए गए दुर्लभ वीडियो को देख सकते हैं, जिसे जापान ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ने बनाया और संरक्षित रखा। इसके साथ ही, आइए सुनते हैं आज़ाद हिंद फ़ौज की महिलाओं के लिए लिखा गया प्रतिष्ठित गीत - "हम भारत की बेटी है"
सेना और रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए साल 2024 में गणतंत्र दिवस समारोह में मार्च और प्रदर्शनों में महिलाओं की भागीदारी भी बढाई जाएगी। सेना के सभी पहलुओं में महिलाओं की ताकत और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने महिला दलों को शामिल करने का फैसला लिया है। ऊपर दिए गए विडियो में आप 2015 में, गणतंत्र दिवस परेड के दौरान महिलाओं के एक समूह को राजपथ पर मार्च करते हुए देख सकते हैं।
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