जौनपुर के समृद्ध इतिहास और संस्कृति के बारे में हम पहले भी कई बार चर्चा कर चुके हैं। लेकिन आज हम, एक नई यात्रा पर निकलेंगे, जो हमें 10,000 साल पहले की एक समृद्ध सभ्यता की ओर ले जाएगी। इस सभ्यता को नटूफ़ियन के नाम से जाना जाता है। यह संस्कृति, हमें मध्य पूर्व के प्राचीन समाजों के जीवन के बारे में बहुमूल्य जानकारियाँ प्रदान करती है। नटूफ़ियन सभ्यता (Natufian civilization) के लोग, लेवेंट (Levant) क्षेत्र में निवास करते थे, जिसमें आज के इज़राइल, जॉर्डन, लेबनान और सीरिया शामिल हैं।
आज के इस लेख में, हम नटूफ़ियन लोगों की आकर्षक संस्कृति के बारे में गहराई से जानेंगें। हम जानेंगे कि ये लोग, कैसे रहते थे, उनके खान-पान की आदतें क्या थीं, और उनके निवास स्थान कैसे थे। इसके साथ ही, हम उनके तकनीकी कौशल पर भी चर्चा करेंगे, जिसमें उनके द्वारा विकसित और उपयोग किए जाने वाले विभिन्न औज़ारों और उपकरणों की जानकारी शामिल होगी। अंत में, हम इस युग में प्रचलित कला और शिल्प कौशल का भी अवलोकन करेंगे।
नटूफ़ियन लोगों को पूर्वी भूमध्यसागर में स्थायी गाँव बसाने वाला पहला समुदाय माना जाता है। इससे पहले, लोग मौसम के अनुसार घूमते रहते थे, शिकार के लिए जानवरों का पीछा करते और भोजन के लिए पौधे इकट्ठा करते थे। इन्होनें शिकार और संग्रह के साथ-साथ, साल भर गाँवों में रहने का एक नया तरीका अपनाया। वे अपने आस-पास के प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर थे, जिनमें गज़ेल, जंगली अनाज और समुद्री जीव शामिल थे। इस क्षेत्र में समुद्री जीवन की प्रचुरता थी, जिसका उपयोग न केवल भोजन के लिए, बल्कि उपकरण, कला और सजावट बनाने के लिए भी किया जाता था। ये वस्तुएँ, समाज में व्यक्ति की स्थिति को भी दर्शाती थीं।
अंतिम हिमयुग के बाद, जलवायु गर्म और गीली हो गई, जिससे पूर्वी भूमध्यसागर के खानाबदोश लोगों ने पहली स्थायी बस्तियाँ बनाना शुरू किया। नटूफ़ियन काल का एक महत्वपूर्ण स्थल, एयनन/ऐन मल्लाह है, जो लेवेंट में गैलिली और झील हुला की पहाड़ियों के बीच स्थित है। यह स्थल, 10,000 से 8200 ईसा पूर्व तक नटूफ़ियन काल के दौरान बसा होगा। एयनन (हिब्रू में) या ऐन मल्लाह (अरबी में), पूर्वी भूमध्यसागर में पाए जाने वाले सैकड़ों नटूफ़ियन स्थलों में से एक है। यहाँ, एक समृद्ध और जीवंत कलात्मक परंपरा के अवशेष खोजे गए हैं, जो इस सभ्यता की समृद्धि और रचनात्मकता को दर्शाते हैं।
आइए, अब जानते हैं कि नटूफ़ियन संस्कृति की क्या विशेषताएं थीं?
जलवायु: नटूफ़ियन संस्कृति का उदय, यंगर ड्रायस काल के दौरान हुआ, जिसे ठंडी और बर्फ़ीली परिस्थितियों के लिए जाना जाता है।
जीवनशैली: इस संस्कृति को शुरुआती, खाद्य-उत्पादक समाज के रूप में देखा जा सकता है।
सांस्कृतिक महत्व: नटूफ़ियन समुदायों को इस क्षेत्र में, और शायद पूरी दुनिया में, नियोलिथिक बस्तियों की स्थापना करने वाले पहले समुदायों में से एक माना जाता है। फ़िलिस्तीन में जेरिको जैसी जगहों पर इनके लंबे समय तक रहने के संकेत मिले हैं, जो उनकी स्थायी बस्तियों की ओर इशारा करते हैं।
आहार: नटूफ़ियन लोग, मुख्य रूप से शिकारी-संग्राहक के रूप में जीवन यापन करते थे। उनका ध्यान गज़ेल का शिकार करने पर था, और उन्होंने अपने आस-पास के जंगली अनाज को भी अपने आहार में शामिल किया। साक्ष्य बताते हैं कि उन्होंने सीरिया में अबू हुरेरा जैसी जगहों पर अनाज उगाना शुरू किया, जो खेती के प्रारंभिक संकेतों को दर्शाता है। इसके अलावा, उन्हें दुनिया के शुरुआती बीयर (beer) उत्पादक के रूप में भी पहचाना जाता है।
रहने की व्यवस्था: कुछ नैटुफ़ियन समूह गुफाओं में निवास करते थे, जबकि अन्य ने नए गाँव बसाने का प्रयास किया। यह विविधता उनकी जीवनशैली और आवास के तरीकों को दर्शाती है।
नटूफ़ियन लोग, अपनी प्रभावशाली तकनीकी प्रगति के लिए भी जाने जाते हैं, जो उनके औज़ारों और कलाकृतियों में साफ नज़र आती है। उन्होंने, स्थानीय चकमक पत्थर से उच्च गुणवत्ता वाले औज़ार जैसे ब्लेड और दरांतियाँ बनाई थीं। इन पत्थर के औज़ारों का बारीकी से किया गया निर्माण, उनके कौशल के उच्च स्तर को दर्शाता है। अनाज की कटाई के लिए, वे हड्डी के हैंडल वाली चकमक दरांती का इस्तेमाल करते थे | अनाज या अन्य खाद्य वस्तुओं को पीसने के लिए, वे पत्थर के मोर्टार और मूसल का भी उपयोग करते थे। इसके अलावा, नटूफ़ियन, हड्डी शिल्पकला में भी उन्नत थे| वे लोग,
हड्डियों से मछली पकड़ने के हुक, हार्पून, सुई, आवल और पेंडेंट जैसी बनाने में माहिर थे।
माइक्रोलिथिक तकनीक का उपयोग करते हुए, उन्होंने छोटे पत्थर के औजार बनाए जिन्हें "माइक्रोलिथ (Microliths)" कहा जाता है। ये माइक्रोलिथ बारीकी से तैयार किए जाते थे और इनका उपयोग शिकार, लकड़ी के काम और संभवतः अनुष्ठानों के लिए भी किया जाता था। नटूफ़ियन औज़ारों की सटीकता, उस युग में मानव तकनीकी विकास के एक अहम कदम का प्रतीक थी।
नटूफ़ियन लोगों का कृषि की ओर बढ़ता रुझान: अधिकांश नटूफ़ियन, शिकारी-संग्राहक थे, लेकिन उनकी स्थायी बस्तियों और तकनीकों ने बाद में कृषि क्रांति की नींव रखी। आधुनिक सीरिया में नटूफ़ियन संस्कृति से जुड़े कई स्थानों पर खुदाई के दौरान शुरुआती पौधों की खेती के प्रमाण मिले हैं, जो कृषि की दिशा में एक धीमे बदलाव को दर्शाते हैं। भूमध्यसागरीय क्षेत्र के दक्षिणी लेवेंट में अनाज, दालें और मेवे जैसे विभिन्न खाद्य पौधे पाए जाते थे। हालांकि, नटूफ़ियन स्थलों पर बहुत अधिक वनस्पति साक्ष्य नहीं मिलते, क्योंकि समय के साथ उनका संरक्षण नहीं हो सका।
ये लोग, स्थानीय पौधों और जानवरों के बारे में गहरी समझ रखते थे और उन्होंने अपने परिवेश में बदलाव करने की क्षमता हासिल कर ली थी। इस ज्ञान ने पौधों और जानवरों को पालतू बनाने की नींव रखी, जिसे मानव इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण माना जाता है। इसने स्थायी बस्तियों के निर्माण और जटिल कृषि समाजों के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
नैटुफ़ियन लोगों की कला और शिल्प की खोज: अभिनव मिट्टी के बर्तन
नवपाषाण काल में प्री -पॉटरी नटूफ़ियन संस्कृति, नवपाषाण काल के दौरान, अपने प्री-पॉटरी (pre-pottery) के बर्तनों के लिए जानी जाती है। यह ऐसा समय था जब उनकी अधिकांश वस्तुएं, प्राकृतिक तत्वों से बनाई जाती थीं । उन्होंने चूना पत्थर को तराशकर मोर्टार और मूसल जैसे औज़ार बनाए, जो उनके कौशल और रचनात्मकता का परिचायक है।
नवपाषाण काल में चूना पत्थर का प्लास्टर: पुरातत्वविदों ने सीरिया, उत्तरी जॉर्डन और लेबनान सहित लेवेंट क्षेत्र की कई नटूफ़ियन बस्तियों में चूना पत्थर का प्लास्टर खोजा है।
इस प्लास्टर का उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाता था:
- इसका इस्तेमाल, उनके घरों की दीवारों को मज़बूत बनाने के लिए किया जाता था।
- यह घर के अंदर एक मज़बूत और चमकदार फ़र्श के रूप में कार्य करता था।
- इससे भंडारण क्षेत्रों को भी सजाया जाता था।
इसके अलावा, इसका उपयोग प्रारंभिक कला में भी किया जाता था।
चूने के पत्थर के प्लास्टर का उपयोग, नटूफ़ियन वाइट वेयर (Natufian White Ware) नामक प्रारंभिक मिट्टी के बर्तनों के निर्माण में भी किया जाता था। यह भुरभुरा पदार्थ, असली मिट्टी के बर्तनों के समान था, जिसे डार्क- फ़ेस बर्निश्ड वेयर (Dark-faced burnished ware) के रूप में जाना जाता है। ये दोनों प्रकार के बर्तन, समय के साथ ओवरलैप होते गए। इतिहासकारों का मानना है कि नटूफ़ियन लोगों द्वारा चूना पत्थर के बर्तनों के उपयोग ने मिट्टी के बर्तनों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन लोगों ने यह भी सीखा कि चूना पत्थर को कुचलकर और 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर गर्म करके उसे चूने में बदला जा सकता है। यह खोज शायद संयोगवश हुई होगी, जब वे आग पर खाना पका रहे थे।
ये संस्कृति, अचानक गायब नहीं हुई, बल्कि लोग धीरे-धीरे लेवेंट क्षेत्र के आस-पास के समुदायों में घुलमिल गए। उनकी महत्वपूर्ण कलाकृतियों में चूने के प्लास्टर की मूर्तियाँ शामिल हैं, जो लगभग 6500 ईसा पूर्व की हैं। ये मूर्तियाँ, मानव कला के शुरुआती उदाहरणों में से कुछ मानी जाती हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/24melnrt
https://tinyurl.com/2by2holw
https://tinyurl.com/28rbs64o
https://tinyurl.com/24qf9eqe
चित्र संदर्भ
1. सानलिउरफ़ा, तुर्की के एक पुरातत्व संग्रहालय में नटूफ़ियन संस्कृति के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नटूफ़ियन संस्कृति के व्यक्ति के कंकाल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. दागोन संग्रहालय, इज़राइल में प्रदर्शित, नटूफ़ियन संस्कृति से संबंधित, मिट्टी के बर्तनों से भी पूर्व उपयोग हुए, पत्थर के सिल बट्टों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. नटूफ़ियन संस्कृति से संबंधित, एक सिल बट्टे (सामग्री पीसने का एक उपकरण) को संदर्भित करता चित्रण (wikimedia)
5. नटूफ़ियन संस्कृति से जुड़े बोवाइन-रिब डैगर नामक एक खंजर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)