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आप संयुक्त राज्य अमेरिका (United States Of America) में गोलीबारी से जुड़ी ख़बरों को आए दिन पढ़ते या सुनते होंगे। इन दुखद घटनाओं के पीछे का एक प्रमुख कारण यह भी है कि वहां पर घातक हथियारों को खरीदना और उनका लाइसेंस (License) प्राप्त करना बहुत आसान है। हालांकि इसके विपरीत भारत में हथियारों का लाइसेंस हासिल करना बहुत मुश्किल और झंझटभरा काम है। लेकिन इसके बावजूद भी भारत में गैर कानूनी रूप से हथियार पकड़े जाने की घटनाएँ अक्सर देखी जा सकती हैं, जिसका खामियाजा देश के आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है।
आंतरिक सुरक्षा में चूक भारत के लिए एक उभरता हुआ खतरा माना जाता रहा है, जिससे जल्द से जल्द निपटने की जरूरत है। छोटे हथियारों का दुरुपयोग और प्रसार, भारत के लिए सबसे बड़े सुरक्षा खतरों में से एक है। ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में पुलिस प्रशासन द्वारा कुल 74,877 हथियारों / आग्नेयास्त्रों (Firearms) को जब्त किया गया था, जिनमें से 71,135 हथियार बिना लाइसेंस वाले और स्वदेशी थे। भारत के कुछ हिस्सों, जैसे पूर्वोत्तर भारत में होने वाले छोटे संघर्षों के कारण हथियारों की मांग में काफी वृद्धि हुई है। चूंकि छोटे हथियारों की तस्करी करना आसान होता है, जिस कारण इन हथियारों तक विद्रोहियों, माओवादियों, आतंकवादियों और अपराधियों की पहुंच आसान होती है ।
भारत के असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा जैसे पूर्वोत्तर राज्य म्यांमार (Myanmar) और बांग्लादेश (Bangladesh) जैसे देशों के निकट हैं, जिस कारण यहां पर हथियारों की तस्करी करना आसान हो जाता है। पूर्वोत्तर भारत में तस्करी किए गए हथियारों का बड़ा हिस्सा चीन के युन्नान प्रांत (Yunnan Province) से म्यांमार और बांग्लादेश के रास्ते इस क्षेत्र में लाया जाता है। इसके अलावा म्यांमार और पाकिस्तान की ‘इंटर सर्विस इंटेलीजेंस’ (Inter Service Intelligence (ISI) द्वारा अनुरक्षित विद्रोही समूह भी वर्जित हथियारों की तस्करी करवाते हैं। अपर्याप्त बाड़ सुरक्षा, लोगों के नियमित प्रवास और सीमावर्ती क्षेत्रों के उबड़-खाबड़ इलाकों के कारण स्थिति को नियंत्रित करना और भी मुश्किल हो जाता है।
हालांकि, केवल भारत ही नहीं, बल्कि हाल के वर्षों में दुनिया भर में विशेष रूप से दक्षिण एशिया (South Asia) और दक्षिण पूर्व एशिया (South East Asia) में अवैध हथियारों के व्यापार में व्यापक वृद्धि हुई है। ये हथियार विभिन्न देशों, धार्मिक समूहों या जातीय समूहों के बीच आपसी संघर्ष में इस्तेमाल किए जाते हैं।
अफगानिस्तान अवैध हथियारों के व्यापार के कारण हमेशा से गंभीर रूप से प्रभावित रहा है। यहां के विभिन्न सशस्त्र समूहों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिकांश हथियार अफगानिस्तान के नांगरगर प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा के पाकिस्तान प्रांत के बीच स्थित गुरुको (Guruko) से आते हैं। गुरुको एक अराजक क्षेत्र है जहां घर में विस्फोटक बनाने के लिए हथियार और आधार रसायन बड़ी ही आसानी से मिल जाते हैं। पाकिस्तान में दर्रा आदम खेल (Darra Adam Khel) नामक स्थान वहां का सबसे बड़ा अवैध हथियारों का बाजार है। इसे ‘गन वैली’ (Gun Valley) के नाम से भी जाना जाता है और यह बाजार अमेरिकी तथा रूसी बंदूकों एवं राइफलों (Rifles) की नकल बनाने में माहिर है। पाकिस्तान ने अपने फलते-फूलते हथियार बाजारों के माध्यम से पूरे क्षेत्र में अवैध हथियारों के व्यापार में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
दक्षिण पूर्व एशिया भी अवैध हथियारों का एक प्रमुख बाजार बन गया है। कंबोडिया (Cambodia), थाईलैंड (Thailand) और म्यांमार (Myanmar) इन हथियारों के प्रमुख स्रोत के रूप में उभरे हैं। कंबोडिया, विशेष रूप से अपने रणनीतिक स्थान और कमजोर शासन व्यवस्था के कारण अवैध हथियारों के प्रसार का प्रमुख गढ़ बन गया है। 1991 में तीसरे भारत-चीन युद्ध की समाप्ति के बाद संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण कार्यक्रम भी इस देश में हथियारों के प्रवाह को नियंत्रित करने में असफल रहे हैं । थाईलैंड इन हथियारों की आपूर्ति के लिए परिवहन मार्ग के रूप में कार्य करता है। कंबोडिया से आने वाली अवैध खेप का लगभग 60 प्रतिशत थाईलैंड के पानी से होकर गुजरता है।
थाईलैंड एक आकर्षक पर्यटन स्थल है और यहां बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक और व्यवसायी हैं जो हथियारों को खरीदने, बेचने और परिवहन के लिए उन्नत संचार और परिवहन बुनियादी ढांचे में पारंगत हैं। इसके अलावा ‘लिबरेशन टाइगर ऑफ़ तमिल ईलम' (The Liberation Tiger of Tamil Eelam (LTTE) को हथियारों के व्यापार के गहन नेटवर्क चलाने के लिए जाना जाता है। दक्षिण थाईलैंड के बंदरगाहों के माध्यम से इंडोनेशिया (Indonesia) और फिलीपींस (Philippines) में संचालित मुस्लिम गुरिल्लाओं के लिए बड़े पैमाने पर हथियारों की तस्करी की जाती है। दक्षिण पूर्व एशिया में चीन हल्के हथियारों के एक अन्य स्रोत के रूप में उभरा है और इसके कई कारखाने छोटे और हल्के हथियारों का उत्पादन करते हैं।
हमारे अपने देश भारत में भारतीय सुरक्षा एजेंसियां (Indian Security Agencies) हर साल हजारों अवैध बंदूक, राइफल आदि जैसे हथियारों को जब्त करती हैं, जिनकी सीमाओं के पार से तस्करी की जाती है। छोटे और हल्के हथियारों को नियंत्रित करने के लिए सख्त कानून होने के बावजूद भी भारत में अवैध तस्करी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी संदीप आर्य (Sandeep Arya) के अनुसार, “छोटे और हल्के हथियारों के अवैध व्यापार को रोकने, इस समस्या का मुकाबला करने तथा इनके उन्मूलन के लिए ‘यूएन प्रोग्राम ऑफ एक्शन’ (UN Program Of Action (UNPOA) महत्वपूर्ण है।” यूएनपीओए छोटे और हल्के हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की कार्रवाई के लिए एक वैश्विक समझौता है, जिसका उद्देश्य छोटे और हल्के हथियारों के अवैध व्यापार को रोकना, उनका मुकाबला करना और उन्मूलन करना है। हालांकि, इसके बावजूद आतंकवादियों और अन्य अनधिकृत समूहों के पास अवैध आग्नेयास्त्र आसानी से उपलब्ध हैं, जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है।
भारत का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों की प्राथमिक जिम्मेदारी यही है कि वे राष्ट्रीय कानूनों और विनियमों, उनके प्रवर्तन, निर्यात नियंत्रण और सूचना साझाकरण के माध्यम से यूएनपीओए को गंभीरता से लागू करें। हालांकि, कुछ देशों में छोटे और हल्के हथियारों के अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त उपायों का अभाव है। इसके अलावा, हथियारों के तकनीकी विकास ने भी इन हथियारों की अवैध तस्करी को और बदतर बना दिया है।
हथियारों की इस अवैध तस्करी का खामियाजा हमारे उत्तर प्रदेश की आम जनता को भी भुगतना पड़ रहा है। हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश की पुलिस द्वारा अलग-अलग इलाकों से बड़ी संख्या में अवैध हथियार बरामद किए गए हैं। पुलिस द्वारा उन कारखानों का भी पता लगाया गया है, जहाँ हथियार बनाए जा रहे थे। दरअसल चुनाव भी नजदीक हैं, ऐसे में सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सब कुछ सुरक्षित रहे। खोजबीन के दौरान उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में पुलिस को एक नदी के किनारे एक जंगल में हथियारों की अवैध फैक्ट्री (Illegal Factory) मिली।
यहां पर 12 बंदूकों के साथ हथियार बनाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। 12 पूरी तरह से निर्मित देशी रिवाल्वर के साथ पुलिस ने यूनिट से आंशिक रूप से निर्मित रिवॉल्वर, सात जिंदा कारतूस, फर्निश (furnish), ब्लोअर (blower), हथियार निर्माण के उपकरण, पुर्जे और कई अन्य सामान भी बरामद किए। गिरफ्तार अपराधियों के अनुसार “वे हथियार इसलिए बना रहे थे, क्योंकि उन्हें पता था कि चुनावों के दौरान हथियारों की मांग बढ़ जाएगी।” इसी बीच, एटीएस वाराणसी फील्ड यूनिट और दुबहार थाने की संयुक्त टीम ने बलिया जिले में पांच देशी पिस्तौल, 10 मैगजीन (Magazines) और एक एसयूवी (SUV) के साथ पांच हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया। इतना ही नहीं हमारे अपने शहर जौनपुर में भी पुलिस ने अवैध तमंचे बेचने का प्रयास कर रहे पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इन अपराधियों से पुलिस को एक बड़ी बंदूक और चार छोटी बंदूकों के साथ ही गोलियां भी बरामद हुई हैं।
अतः इस तरह के उभरते अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए यह अनिवार्य हो गया है कि राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत उपाय किए जाएं। राष्ट्रीय स्तर पर, भारत को एक बहुदिशा दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। भारत-म्यांमार और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, इन क्षेत्रों में सीमा प्रबंधन को और मजबूत बनाने की आवश्यकता है। जहां पर सैनिकों की शारीरिक मौजूदगी या बाड़ों की संभावना नहीं हो सकती, उन क्षेत्रों में ‘मानवरहित हवाई वाहन’ (Unmanned Aerial Vehicles (UAVS) का उपयोग किया जा सकता है। साथ ही, छिपे हुए हथियार, ड्रग और अवैध रेडियोलॉजिकल सामग्री (Illegal Radiological Material) का पता लगाने के लिए घातक वाष्प डिटेक्टर (Noxious Vapour Detector), फुल-बॉडी स्कैनर (Full-Body Scanner), मेटल डिटेक्टर (Metal Detector) और हैंडहेल्ड पदार्थ डिटेक्टर (Handheld Substance Detector) जैसी गैर-आक्रामक जांच तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
संदर्भ
https://rb.gy/u9w7i
https://rb.gy/yctp3
https://rb.gy/e3lag
https://rb.gy/th7tw
चित्र संदर्भ
1. हथियार दिखाते अपराधी को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)
2. हथियारों के जखीरे को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
3. पूर्वोत्तर भारत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पाकिस्तान में दर्रा आदम खेल (Darra Adam Khel) नामक बाजार में मौजूद अवैध हथियारों को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
5. छोटे हथियारों को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
6. अपराधी को पकड़ती भारतीय पुलिस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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