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भारत में सबसे बड़ी और सबसे पुरानी जनजातियों में से एक, गोंड जनजाति अपनी जीवंत कलाकृतियों के लिए जानी जाती है। अपनी इन कलाकृतियों के माध्यम से गोंड जनजाति के लोग दिलचस्प कहानियां सुनाते हैं। गोंड कला की, कला के रूप में आज जो लोकप्रियता है, उसके लिए जनगढ़ सिंह श्याम को व्यापक रूप से प्रशंसा पाने वाले पहले आदिवासी कलाकार के रूप में जाना जाता है। जनगढ़ सिंह श्याम ने बड़े पैमाने पर जनजाति के मौखिक मिथकों और किंवदंतियों को दृश्य आख्यानों में बदलकर वैश्विक पहचान दिलाई। अपनी कला में उन्होंने बिंदीदार रेखाओं के माध्यम से देवी-देवताओं की कहानियों को बताने के लिए दांतेदार चित्र बनाएं और लहरों के माध्यम से गहरे जंगलों में रहने वाले जानवरों के संचलन को मूर्त रूप दिया। केवल इतना ही नहीं, उन्होंने अकेले ही चित्रकला के एक नए स्कूल “जनगढ़ कलाम” की स्थापना की और गोंड कला को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
जनगढ़ सिंह श्याम का जन्म 1962 में मध्य प्रदेश के मांडला जिले के पाटनगढ़ गांव में प्रधान गोंड परिवार में हुआ था। घोर गरीबी में पले-बढ़े, उन्हें बहुत कम उम्र में स्कूल छोड़ने और खेती में हाथ आजमाने के लिए मजबूर होना पड़ा। सोलह वर्ष की आयु में उनका विवाह सोनपुर गांव की ननकुसिया बाई से हुआ, जो बाद में उनकी साथी कलाकार बनीं। कुछ वर्ष बाद, प्रशंसित समकालीन कलाकार और उनके भावी गुरु, जगदीश स्वामीनाथन द्वारा पहली बार जनगढ़ के अंदर छिपी कला को पहचाना गया, जब वे पाटनगढ़ में झोपड़ियों की दीवारों को गोंड संस्कृति के नियमित हिस्से के रूप में पारंपरिक रूपांकनों से सजा रहे थे। उनकी कला में मौजूद रूपों और रंगों से प्रभावित होकर, स्वामीनाथन उन्हें ‘भारत भवन’, जो एक प्रसिद्ध बहु-कला परिसर और संग्रहालय है, में भित्ति चित्र बनाने के लिए भोपाल ले गए। इस प्रकार, दोनों के बीच आजीवन सहयोग शुरू हुआ। गुरु स्वामीनाथन के मार्गदर्शन में, उन्होंने एक कलाकार के रूप में स्वयं को विकसित किया।
अधिकांश आदिवासी संगीत की तरह, प्रधान संगीत लयबद्ध कंपन में बनता है और चूंकि जनगढ़, प्रधान गोंड वंश (गोंड समुदाय के लोक गायक) से संबंधित थे, इसलिए यह कई जटिल एवं चमकदार बिन्दु, लहरों और कुछ चिन्हों से बनी जनगढ़ की उज्ज्वल कलाकृतियों में परिलक्षित होता है। जनगढ़ की कलाकृतियों में उज्ज्वल और अपरंपरागत रंग और बनावट उनकी शैली की विशिष्टता थी, जिसे ' जनगढ़ कलाम' के नाम से जाना जाने लगा। आदिवासी और समकालीन कला के मिश्रण से उन्होंने देवी-देवताओं, पक्षियों, जानवरों और पेड़ों की शानदार बनावट आदि विषयों पर कई गतिशील चित्रों का निर्माण किया। प्रचुर मात्रा में वनस्पतियों और जीवों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के जंगलों से मंत्रमुग्ध करने वाली कहानियां और रहस्यमय गोंड लोककथाएं जनगढ़ की कलाकृतियों में दृश्य रूप लेने लगी।
1986 में, स्वामीनाथन से मुलाकात के पांच साल बाद, जनगढ़ सिंह श्याम को मध्य प्रदेश सरकार के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘शिखर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उनकी कलाकृतियों को भोपाल, दिल्ली जैसे भारत के शहरों के साथ-साथ टोक्यो (Tokyo) और न्यूयॉर्क (New York) सहित दुनिया भर में प्रदर्शित किया गया। 1989 में, जनगढ़ सिंह श्याम की कला को पेरिस (Paris) में पोम्पिडो सेंटर (Pompidou Centre) में आयोजित ‘मैजिशियन डे ला टेरे’ (Magiciens de la Terre (पृथ्वी के जादूगर)) प्रदर्शनी में भी प्रदर्शित किया गया, यह उनकी सबसे उल्लेखनीय प्रदर्शनियों में से एक है। भित्ति-चित्र के उस्ताद जनगढ़ सिंह ने मध्य प्रदेश की विधान सभा ‘विधान भवन’ और भोपाल के प्रतिष्ठित संग्रहालय ‘भारत भवन’ की गुम्बद की आंतरिक सज्जा भी चित्रित की थी।
साथ ही पहली और एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में, आदिवासी कलाकार जनगढ़ सिंह श्याम की 1988 की कृति 'लैंडस्केप विद स्पाइडर’ (Landscape with Spider) 2010 में सोथबी (Sotheby), न्यूयॉर्क (New York) में $31,250 में बिकी। हालांकि कोई भी गोंड कलाकार सोथबी की नीलामी में जनगढ़ के 2010 के 14.5 लाख रुपये के रिकॉर्ड को पार करने में कामयाब नहीं हुआ है, लेकिन हाल के वर्षों में इस श्रेणी में लगातार मूल्य वृद्धि देखी गई है। वहीं लोकप्रियता के साथ कला बाजार में गिरावट भी आती जा रही है। क्योंकि कई युवाओं द्वारा वरिष्ठ कलाकारों की नकल करके उन चित्रों की प्रतिकृति को सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है। इसलिए कई कला के विद्यालय युवाओं को इस कलाकारी को सिखा रहे हैं। ताकि यह कला खत्म न हो जाएं।
हालांकि, जनगढ़ सिंह श्याम की कला उनको मंत्रमुग्ध जंगलों और रहस्यमय कहानियों की दुनिया से काफी आगे ले आई थी। लेकिन लोकप्रियता हासिल करने के बावजूद, जनगढ़ को अधिकांश अन्य स्वदेशी कलाकारों की तरह पक्षपात और सीमांतीकरण पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। कलाकृतियों को बेचकर पर्याप्त धन प्राप्त ना हो पाने के कारण वे अपने परिवार के साथ भोपाल में टिन की छत वाले छोटे मकान में रहते थे। ‘जनगढ़सिंह श्याम: द एनचांटेड फॉरेस्ट' (Jangarh Singh Shyam: The Enchanted Forest) नामक पुस्तक में जो कला विद्वान और संग्रहकर्ता मिशैल अब्दुल करीम क्राइट्स (Mitchell Abdul Karim Crites) द्वारा जनगढ़ की कलाकृतियों का संकलन है, क्राइट्स उस दिन को याद करते हुए लिखते हैं, “जब जनगढ़ उनके घर आए थे, तो उनके द्वारा उनकी चित्रकारी को खरीदने के लिए विनम्रता से प्रार्थना की गई। उसका कारण पूछने पर कलाकार द्वारा धीरे से बताया गया कि उनकी भैंस मर गई है और उन्हें नई भैंस खरीदने के लिए कुछ पैसों की आवश्यकता है।”
जब एक कलाकार को उसकी कला का उचित मूल्य नहीं मिलता तो उसे कितना अवसाद होता है इसका पता इस बात से चलता है कि एक प्रसिद्ध कलाकार होने के बावजूद जनगढ़ सिंह श्याम द्वारा जापान (Japan) में मिथिला संग्रहालय में एक कला निवास में जुलाई 2001 में आत्महत्या कर ली गई, हालांकि इसके पीछे का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनके जापान में बिताए गए समय के दौरान उन्हें अवसाद का सामना करना पड़ा और आखिरकार उनका निधन हो गया। उनके द्वारा लिखे गए एक पत्र में उन्होंने अकेलापन महसूस होने की बात कही थी।
जनगढ़ सिंह श्याम ने अपने कई करीबी और विस्तारित परिवार के सदस्यों को चित्रकला को अपने पेशे के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया, जिससे उनके भीतर छिपी प्रतिभा को पहचाना जा सके।
जनगढ़ का कला के प्रति जुनून और समर्पण जगजाहिर था। एक युवा कलाकार के रूप में वे समकालीन कला की दुनिया का हिस्सा बनने के लिए काफी उत्साहित थे और इसीलिए कई बार उनके द्वारा अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए बिना कुछ लिए ही कई अवसरों को अपनाया गया। आज गोंड कला के अधिकांश साधक प्रधान गोंड वंश से हैं। कागज और कैनवास पर ऐक्रेलिक (Acrylic) रंगों का उपयोग करने वाले पहले गोंड कलाकारों में से एक, जनगढ़ की अविश्वसनीय प्रतिभा ने बड़ी प्रशंसा और विस्मय उत्पन्न किया, और उनका असामयिक निधन भारतीय कला की दुनिया में एक खालीपन छोड़ गया।
संदर्भ :-
https://bit.ly/3HsQGAk
https://bit.ly/3HsODMO
https://bit.ly/44gCjZw
चित्र संदर्भ
1. आदिवासी गोंड कलाकार, जनगढ़ सिंह श्याम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. अपने परिवार के साथ जनगढ़ सिंह श्याम को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
3. संग्रहालय में जनगढ़ सिंह श्याम की कलाकृति को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
4. संग्रहालय में प्रदर्शित जनगढ़ सिंह श्याम की कलाकृति को दर्शाता एक चित्रण (Youtube)
5. चित्रकारी करते जनगढ़ सिंह श्याम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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