हमारे रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी में मौजूद हैं, ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियाँ

मेरठ

 06-03-2020 02:10 PM
वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

जैसा हम सब जानते ही हैं कि रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी में कई मूल्यवान चीजें संग्रहीत हैं, जो हमें इतिहास के पन्नों में ले जाती हैं। इन्हीं मूल्यवान चीजों में से एक ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियाँ भी मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश तेलुगु, संस्कृत, कन्नगढ़, सिंहली और तमिल भाषाओं में हैं। ये पांडुलिपियाँ आमतौर पर स्वरूप में धार्मिक होती हैं क्योंकि कई में धार्मिक अनुष्ठानों का उल्लेख किया गया है। जैसे यहाँ मौजूद एक तमिल लिपि में लिखी गई पांडुलिपि में छवियों और चिह्नों और पूजा की विधि को तैयार करने के नियमों का भी उल्लेख मिलता है। वहीं एक और पत्ते की पांडुलिपि में कई जड़ी-बूटियों के औषधीय गुणों (जो विभिन्न बीमारियों का इलाज करते हैं) के बारे में बताया गया है। ऐसी ही एक ग्रंथ लिपि में लिखी गई संस्कृत भाषा की एक पांडुलिपि में महत्वपूर्ण महाकाव्य रामायण भी मौजूद है। जो रामायण को ब्रह्मवाचम (Bhahmavachakam) के रूप में प्रतिष्ठित करती है।

भारत में पांडुलिपियों का सबसे पुराना और सबसे बड़ा संग्रह मौजूद है। इन पांडुलिपियों को सूखे ताड़ के पत्तों से बनाया जाता था। भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में लेखन सामग्री के रूप में ताड़ के पत्तों का उपयोग 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व या इससे भी पहले किया गया था। पांडुलिपियों का उपयोग दक्षिण एशिया में शुरू हुआ और उसके बाद यह विभिन्न स्थानों में फैल गया। पूर्ण ग्रंथ के सबसे पुराने जीवित ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियों में से एक 9 वीं शताब्दी का संस्कृत शैव पाठ है, जिसे नेपाल में खोजा गया था और वो अब कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी (Cambridge University Library) में संरक्षित है।

पांडुलिपियों के बारे में इतना जानने के बात यह विचार आना संभव है कि इन्हें बनाया कैसे जाता था। दरसल इन पांडुलिपियों को बनाने के लिए ताड़ के पत्तों को पहले पकाया जाता था और फिर उन्हें सुखाया जाता था। इसके बाद लेखकों द्वारा पत्रों में अपने लेख को अंकित करने के लिए एक लेखनी का उपयोग किया जाता था। साथ ही स्याही को खांचे में चिपकाने के लिए सतह पर प्राकृतिक रंग को प्रयुक्त किया जाता था। यह प्रक्रिया इंटैग्लियो प्रिंटिंग (intaglio printing) के समान है। बाद में, एक साफ कपड़े का उपयोग करके अतिरिक्त स्याही को पोंछ कर और पत्ती को पांडुलिपि का रूप दिया जाता है।

वहीं क्या आप जानते हैं कि विभिन्न विद्वानों ने इन प्राचीन पांडुलिपि संग्रहों के संरक्षण को प्रलेखित किया है, जिसमें ताड़ के पत्तों की पांडुलिपियों को संरक्षित करने के स्वदेशी तरीके, जैसे प्राकृतिक उत्पादों के अर्क और अन्य रासायनिक उपचार शामिल हैं। इन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण पर भी अध्ययन किया गया है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके ज्ञान को पारित किया जा सके। हालांकि इन लुप्तप्राय दस्तावेजों को डिजिटाइज़ करने और जैविक, रासायनिक और जलवायु परिस्थितियों जैसे कारकों के कारण गिरावट को रोकने के लिए प्रयास किए गए हैं।

लेकिन एक ताड़ के पत्ते की पांडुलिपि सीडी या माइक्रोफिल्म जैसे आधुनिक उपकरणों से कहीं अधिक लंबे समय तक चलती है। मुद्रित पुस्तकों की बढ़ती लोकप्रियता ने भारत में पांडुलिपियों के संग्रह और संरक्षण के लिए रुचि को पुनर्जीवित किया है। भारत सरकार ने भारत भर में कई अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से संरक्षण और पांडुलिपियों तक पहुंच प्रदान करने के लिए संगठित प्रयास किए हैं।

संदर्भ :-
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/Palm-leaf_manuscript
2. http://www.waccglobal.org/articles/preserving-india-s-palm-leaf-manuscripts-for-the-future
3. http://razalibrary.gov.in/manuscripts.html

RECENT POST

  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन तेलुगु गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:25 AM


  • भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:29 AM


  • आइए, समझते हैं, मंगर बानी और पचमढ़ी की शिला चित्रकला और इनके ऐतिहासिक मूल्यों को
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:24 AM


  • बेहद प्राचीन है, आंतरिक डिज़ाइन और धुर्री गलीचे का इतिहास
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:36 AM


  • विविधता और आश्चर्य से भरी प्रकृति की सबसे आकर्षक प्रक्रियाओं में से एक है जानवरों का जन्म
    शारीरिक

     01-01-2025 09:25 AM


  • क्या है, वैदिक दर्शन में बताई गई मृत्यु की अवधारणा और कैसे जुड़ी है ये पहले श्लोक से ?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:33 AM


  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id