लगभग आधी शताब्दी तक भारतीय सेना के भरोसेमंद हथियार के रूप में उपयोग किया जाने वाला टी 55 टैंक बुधवार को सेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा रामपुर की जौहर यूनिवर्सिटी को भेंट किया गया। इसे भारत ने वर्ष 1967 में रूस से खरीदा था। 36 टन वज़नी इस टैंक में 7.62 एम.एम. की मशीन गन (Machine Gun), 2.7 एम.एम. की एंटी एयर क्राफ्ट गन (Anti-aircraft Gun), नाईट विज़न कैमरा (Night Vision Camera) आदि शामिल हैं तथा यह परमाणु, जैविक और रासायनिक धमाकों से सुरक्षा भी प्रदान करता है। भारतीय सेना द्वारा जौहर यूनिवर्सिटी को दी गयी यह भेंट विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत और प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
यह टैंक बसन्तर की लड़ाई में अपना जौहर दिखा चुका है, इसने भारतीय सेना में पाकिस्तान से जंग में विशेष भूमिका निभाई थी। बसन्तर का युद्ध (4 दिसम्बर से 16 दिसम्बर, 1971) भारतीय एवं पाकिस्तानी सेनाओं के बीच पश्चिमी सीमा पर लड़ा गया एक महत्त्वपूर्ण युद्ध था। यह युद्ध बसन्तर नदी के क्षेत्र में हुआ था जो पाकिस्तान में है। इस युद्ध में कई भारतीय सैनिक घायल व शहीद हुए थे। उनमें से एक शहीद ने इस टी 55 टैंक के माध्यम से पाकिस्तान के 7 टैंकों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था। इस भयंकर युद्ध में भारतीय सैनिक विजयी हुए थे। और इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।
इतिहास गवाह है कि किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए सेना के हथियारों के साथ-साथ सबसे बड़ी भूमिका टैंकों की रहती है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान टैंक का इतिहास शुरू हुआ, विश्वयुद्ध में खाइयों में मोर्चा बनाकर लड़नेवालों के कारण एक ऐसे साधन की आवश्यकता हुई जिस पर खाइयों में छिपे लोगों की गोलाबारी का विशेष प्रभाव न हो और जिसमें बैठनेवाले स्वयं सुरक्षित रह कर शत्रु पर वार भी कर सकें। 1915 में पहला युद्धक टैंक बनाया गया था। इंग्लैंड में बने टैंक के इस पहले प्रारूप को 'लिटिल विलि' (Little Willie) के नाम से पुकारा गया। यह संतोषप्रद नहीं निकला। फिर इसी कंपनी ने दूसरा मॉडल ‘बिग विलि’ (Big Willie) बनाया। यह मॉडल स्वीकार कर लिया गया।
हालांकि शुरुआत में कच्चे और अविश्वसनीय, टैंक अंततः थल सेनाओं का मुख्य आधार बने परन्तु द्वितीय विश्व युद्ध में टैंक डिज़ाइन (Tank Design) में काफी वृद्धि हुई थी, और युद्ध में टैंकों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाने लगा। टैंक अभी भी 21वीं शताब्दी में युद्ध संचालन के लिए अहम भूमिका निभाते है।
रामपुर की यूनिवर्सिटी में टैंक की स्थापना के पीछे भारतीय सेना की मंशा छात्रों में देश भक्ति की इच्छा को जगाना है और भारतीय सेना की तरफ युवाओं को आकर्षित करना है। इस टैंक से छात्र सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के बारे में जानकारी हासिल कर सकेंगे। टी- 55 टैंक विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी के छात्रों को प्रशिक्षण देने के लिए भी यहां लाया गया है।
संदर्भ:
1.https://www.aviation-defence-universe.com/indian-army-presents-t-55-tank-of-1971-vintage-to-mohammad-ali-jauhar-university-rampur/
2.https://indianexpress.com/article/india/army-gifts-t-55-battle-tank-to-azam-khans-university-in-rampur-5038392/
3.https://en.wikipedia.org/wiki/History_of_the_tank
4.http://www.tanks-encyclopedia.com/coldwar/USSR/soviet_T-55.php
5.https://en.wikipedia.org/wiki/Battle_of_Basantar
6.https://www.thebetterindia.com/124098/battle-of-basantar-arun-khetarpal-param-vir-chakra-indian-army/
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