परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से प्राप्त स्वच्छ ऊर्जा की, क्या कीमत चुकाई जा रही है ?

मेरठ

 06-01-2025 09:27 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति
परमाणु ऊर्जा संयंत्र, हमें स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करते हैं। बिजली बनाने के दौरान इनसे बहुत कम कार्बन उत्सर्जन होता है। हालांकि, ये संयंत्र स्थानीय पर्यावरण को प्रभावित कर सकते हैं। इन्हें बनाने और चलाने के कारण आस-पास की प्रकृति में कई बदलाव हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, संयंत्रों को ठंडा करने के लिए उपयोग किया जाने वाला पानी, जल के तापमान को बदल सकता है। इसका असर मछलियों और अन्य जलीय जीवों पर पड़ता है। इसके अलावा, संयंत्र के लिए ज़मीन का इस्तेमाल करने से वहां रहने वाले पौधों और जानवरों का घर छिन सकता है। परमाणु संयंत्र के फ़ायदे भी हैं। ये साफ़ ऊर्जा बनाते हैं और बड़े पैमाने पर बिजली की ज़रुरत को पूरा करते हैं। लेकिन, इनके नुकसान भी हैं। इनका उपयोग करने से पहले पर्यावरण पर इनके प्रभाव को ध्यान में रखना जरूरी है। आज के इस लेख में हम देखेंगे कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र अपने आस-पास की प्रकृति पर क्या प्रभाव डालते हैं। साथ ही हम इनके फ़ायदों और नुकसान को भी समझेंगे। अंत में, यह भी जानेंगे कि ये संयंत्र आपात स्थितियों के लिए कैसे तैयार रहते हैं।
परमाणु ऊर्जा संयंत्र, अक्सर झीलों, नदियों या महासागरों के पास बनाए जाते हैं। इसका कारण यह है कि रिएक्टरों को ठंडा करने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की ज़रुरत होती है। लेकिन जब संयंत्र इस पानी को वापस ठन्डे पानी में छोड़ते हैं, तो यह पानी के जीवों के पारिस्थितिक तंत्र को बदल सकता है। पानी का बहुत गर्म या बहुत ठंडा होना मछलियों और कीड़ों जैसे जलीय जीवों को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे मछलियों के अंडे देने की जगहें प्रभावित होती हैं और उनके भोजन की मात्रा भी कम हो सकती है।
परमाणु संयंत्र में ऊर्जा उत्पादन के दौरान होने वाला यूरेनियम (Uranium) खनन भी पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यह नदियों और प्राकृतिक क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाता है। खनन से कई बार मिट्टी और जल के रसायन बदल जाते हैं, जो जलीय जीवन के लिए खतरनाक होता है। यूरेनियम खदानें अक्सर सेलेनियम से भरपूर क्षेत्रों में होती हैं। खनन के बाद बनने वाले जलाशयों में सेलेनियम (Selenium) का स्तर बढ़ सकता है। अगर यह स्तर प्रति लीटर दो माइक्रोग्राम (2mg) से अधिक हो जाए, तो यह जलीय पक्षियों के जीवन और प्रजनन प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है। यह समस्या जैव संचय के कारण बढ़ती है, जहाँ खाद्य श्रृंखला के ऊपरी हिस्से में सेलेनियम जमा होता है। पुरानी खदानों से हानिकारक पदार्थ पर्यावरण में रिस सकते हैं।
रेडियोधर्मी रिसाव का खतरा भी बना रहता है। संयंत्र शुरू करने से पहले, क्षेत्र में विकिरण का स्तर जांचा जाता है। इसके बाद संयंत्र के आसपास हवा, पानी, दूध और पौधों की निगरानी की जाती है। जांच के लिए यह डेटा सरकारी एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है। यहां तक कि थोड़ी मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्री भी जलीय जीवों के स्वास्थ्य और व्यवहार पर असर डाल सकती है।
आइए, अब जानते हैं कि हमें परमाणु ऊर्जा के क्या लाभ पहुचते हैं?
- परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं होता!
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र बहुत बड़ी ज़मीन नहीं घेरते!
- इनसे बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जा सकता है।
- यह ऊर्जा का भरोसेमंद स्रोत साबित होती है।
परमाणु ऊर्जा के नुकसान
- यूरेनियम एक सीमित संसाधन है।
- परमाणु संयंत्र बनाने में बहुत अधिक खर्च होता है।
- इससे निकलने वाले अपशिष्ट को संभालना मुश्किल है।
- दुर्घटनाओं से बड़े नुकसान हो सकते हैं।
हालांकि आपातकालीन स्थिति के लिए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को हमेशा तैयार रहना ज़रूरी है! भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों (एन पी पी) को कठोर सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप डिज़ाइन, निर्माण, कमीशन और संचालित किया जाता है! भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एन पी पी) सख्त सुरक्षा नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों का उद्देश्य उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। संयंत्रों के डिज़ाइन में सुरक्षा के लिए रक्षा-गहराई, अतिरेक और विविधता जैसे सिद्धांतों को शामिल किया गया है। ये सिद्धांत संयंत्रों को सुरक्षित रूप से संचालित करने में मदद करते हैं।
उदाहरण के लिए, रिएक्टर को बंद करने के लिए फ़ैल-सेफ़ शटडाउन सिस्टम (Fail-safe shutdown system) लगाए गए हैं। इसके साथ ही, बैकअप कूलिंग सिस्टम भी मौजूद हैं। रेडियोधर्मिता को फैलने से रोकने के लिए मज़बूत रोकथाम प्रणालियाँ भी स्थापित की गई हैं।
हालाँकि ये सुरक्षा उपाय प्रभावी हैं, लेकिन फिर भी आपातकालीन तैयारी और प्रतिक्रिया (ई पी आर) योजनाओं का होना बहुत ज़रूरी है। ये योजनाएँ सावधानीपूर्वक बनाई जाती हैं। इन्हें नियमित रूप से परखा और अपडेट किया जाता है ताकि वे प्रभावी बनी रहें।
एनपीपी में रेडियोलॉजिकल आपात स्थितियों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
- प्लांट आपात स्थिति।
- ऑन-साइट आपात स्थिति।
- ऑफ़ -साइट आपात स्थिति।
ये श्रेणियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि स्थिति से कौन-सा क्षेत्र प्रभावित है।
परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (ए ई आर बी (AERB)) प्लांट और ऑन-साइट आपात स्थितियों की योजनाओं की समीक्षा और अनुमोदन करता है। ऑफ-साइट आपात स्थितियों के लिए, एईआरबी योजनाओं की समीक्षा करता है, लेकिन अंतिम अनुमोदन ज़िला प्रशासन या स्थानीय सरकार द्वारा किया जाता है।
आपातकालीन योजनाओं की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिए नियमित अभ्यास किए जाते हैं। इन अभ्यासों में उन सभी एजेंसियों की भागीदारी होती है, जो आपात स्थिति के दौरान सक्रिय रहेंगी। ए ई आर बी इन अभ्यासों का निरीक्षण करता है और अगर ज़रुरत हो, तो उन्हें सुधारने के सुझाव भी देता है। इसके अलावा, नियमित निरीक्षणों के दौरान आपातकालीन तैयारियों की भी जांच की जाती है। किसी आपात स्थिति के दौरान ए ई आर बी स्थिति पर नज़र रखता है। वे स्थिति का आकलन करते हैं और प्रतिक्रिया देने वाली एजेंसियों को निर्देश देते हैं।
आपात स्थिति में, ए ई आर बी, जनता को स्थिति के बारे में जानकारी देता है। साथ ही, ई पी आर योजनाएँ बनाने के लिए दिशा-निर्देश तय करता है। इस तरह, भारत के परमाणु ऊर्जा संयंत्र हर संभावित आपात स्थिति के लिए तैयार रहते हैं। इनके सख्त सुरक्षा नियम और आपातकालीन योजनाएँ, संयंत्रों को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाती हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yafc547v
https://tinyurl.com/2xofe878
https://tinyurl.com/2cztqj9r

चित्र संदर्भ
1. भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में नरोरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन के कूलिंग टावर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ज़्वेनटेनडॉर्फ परमाणु ऊर्जा संयंत्र के रिएक्टर दबाव पोत के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. भीतर से परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. परमाणु ऊर्जा संयंत्र के नियंत्रण कक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. तमिलनाडु में स्थित कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • आइए जानें, भारत और अमेरिका की न्यायिक प्रणाली के बीच के अंतरों को
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     08-01-2025 09:26 AM


  • आइए जानें, हमारी प्रगति की एक प्रमुख चालक, बिजली के व्यापार के बारे में
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:43 AM


  • भारत में परमाणु ऊर्जा का विस्तार: स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक सशक्त कदम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:30 AM


  • आइए, आज देखें, अब तक के कुछ बेहतरीन तेलुगु गीतों के चलचित्र
    ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि

     05-01-2025 09:25 AM


  • भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     04-01-2025 09:29 AM


  • आइए, समझते हैं, मंगर बानी और पचमढ़ी की शिला चित्रकला और इनके ऐतिहासिक मूल्यों को
    जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

     03-01-2025 09:24 AM


  • बेहद प्राचीन है, आंतरिक डिज़ाइन और धुर्री गलीचे का इतिहास
    घर- आन्तरिक साज सज्जा, कुर्सियाँ तथा दरियाँ

     02-01-2025 09:36 AM


  • विविधता और आश्चर्य से भरी प्रकृति की सबसे आकर्षक प्रक्रियाओं में से एक है जानवरों का जन्म
    शारीरिक

     01-01-2025 09:25 AM


  • क्या है, वैदिक दर्शन में बताई गई मृत्यु की अवधारणा और कैसे जुड़ी है ये पहले श्लोक से ?
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     31-12-2024 09:33 AM


  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id