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अपनी घ्राणशक्ति को समझिये और कुछ आसान उपायों से सूंघने की क्षमता में सुधार कीजिए!

मेरठ

 06-06-2024 09:29 AM
गंध- ख़ुशबू व इत्र

सूंघने की क्षमता या "घ्राणशक्ति", हमारी सबसे पुरानी इंद्रियों में से एक है, जो हमारे विकास के शुरुआती दिनों से ही हमारे साथ है। घ्राणशक्ति की मदद से हम अपने आस-पास की गंध को पहचानते और इनमें अंतर् कर पाते हैं। देखने या सुनने के विपरीत, जिसमें हमारी आँखों और कानों का उपयोग होता है, सूंघने के लिए हमारी नाक और मस्तिष्क में एक विशेष गंध प्रणाली का उपयोग होता है। आज, हम इसी गंध प्रणाली के बारे में और अधिक जानने की कोशिश करेंगे और उन विभिन्न समस्याओं का पता लगाएंगे जो हमारी गंध की भावना को प्रभावित कर सकती हैं! साथ ही आज हम हमारी गंध शक्ति को मज़बूत करने लिए कुछ प्राकृतिक तरीकों या घरेलू उपचारों पर भी गौर करेंगे। स्वाद की तरह, हमारी गंध की भावना भी अलग-अलग रसायनों के संपर्क में आने पर अलग-अलग प्रतिक्रिया करती है। हमारी नाक के ऊपरी हिस्से के अंदर एक छोटे से क्षेत्र में विशेष गंध कोशिकाएं (smell cells) होती हैं। इनमें से प्रत्येक कोशिका में छोटी-छोटी शाखाएँ होती हैं, जो हमारी नाक के अंदर के श्लेष्म (mucus) में चिपकी रहती हैं। जब हम सांस लेते हैं, तो हवा में मौजूद गंध के अणु इस श्लेष्म में घुल जाते हैं। फिर वे प्रोटीन से बंध जाते हैं, जो उन्हें गंध कोशिकाओं की शाखाओं तक पहुंचने में मदद करते हैं। ये प्रोटीन, गंध कोशिकाओं में प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। गंध कोशिकाएं, हमारी खोपड़ी की हड्डी में एक छेद के माध्यम से तंत्रिका तंतुओं के साथ हमारे मस्तिष्क में संकेत भेजती हैं। ये तंतु आपस में जुड़कर एक तंत्रिका मार्ग (neural pathway) बनाते हैं, जो हमारे मस्तिष्क के एक हिस्से से जुड़ता है, जिसे घ्राण बल्ब (olfactory bulb) कहा जाता है। वहां से सिग्नल हमारे मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों में भेजे जाते हैं। कुछ सिग्नल हमारे मस्तिष्क के उस हिस्से पर भी जाते हैं ,जो स्मृति और भावनाओं से संबंधित है। यही कारण है कि कुछ खास गंधों को सूघने पर हमें पुरानी बातें याद आने लगती हैं, और वही भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं । गंध ही एकमात्र ऐसी इंद्री होती है, जो सबसे पहले हमारे मस्तिष्क के थैलेमस (thalamus) नामक भाग से नहीं जुड़ती है। हालाँकि हवा में मौजूद हानिकारक रसायनों से हमारी नाक की गंध कोशिकाएं क्षतिग्रस्त भी हो सकती हैं, और गंध संबंधी कई विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
 गंध संबंधी विकार कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ की सूची निम्नवत दी गई है:
1. हाइपोस्मिया (Hyposmia): इस विकार में आपकी सूंघने की क्षमता कम हो जाती है।
2. एनोस्मिया (Anosmia): इस विकार में आप बिल्कुल भी गंध महसूस नहीं कर सकते।
3. डिसोस्मिया (Dysosmia): इस विकार में आपकी सूंघने की क्षमता विकृत हो जाती है।
डिसोस्मिया दो प्रकार के होते हैं:
- पेरोस्मिया (Parosmia): इस विकार में आपके लिए गंध ही बदल जाती है। यानी जिस चीज़ की गंध पहले अच्छी लगती थी, अब उसकी गंध ख़राब लग सकती है।
- फैंटोस्मिया (Phantosmia): इस विकार में आपको किसी ऐसी चीज की गंध आती है, जो वहां है ही नहीं।
डिसोस्मिया कई कारणों से हो सकता है:
- नाक और साइनस रोग (Nose and sinus diseases): वायरल संक्रमण और एलर्जी जैसे सामान्य कारण आपकी नाक को अवरुद्ध कर सकते हैं और गंध को प्रभावित कर सकते हैं। नाक के जंतु, विकृत सेप्टम, सर्जरी, और नाक पर लगी चोटें भी आपकी गंध की भावना को बाधित कर सकती हैं।
- सिर का आघात: सिर की चोट, नाक या नाक को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नसों को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे गंध प्रभावित हो सकती है।
- ब्रेन ट्यूमर (Brain tumors): मस्तिष्क में विशेष रूप से घ्राण बल्ब या टेम्पोरल लोब (temporal lobe) के आसपास मौजूद कोई भी ट्यूमर आपकी गंध की भावना को बदल सकते हैं। कभी-कभी, सूंघने की शक्ति खोना ब्रेन ट्यूमर का पहला संकेत होता है।
- पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थ: धूम्रपान और कुछ रसायन (जैसे अमोनिया) आपकी सूंघने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- दवाएँ: कुछ रक्तचाप की दवाएँ (जैसे प्रोकार्डिया, वासोटेक और नॉरवास्क (Procardia, Vasotec, and Norvasc) भी गंध में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं।
- कैंसर के लिए विकिरण: सिर और गर्दन पर विकिरण उपचार गंध को प्रभावित कर सकता है।
- न्यूरोलॉजिकल विकार (Neurological disorders): अल्जाइमर या पार्किंसंस (Parkinson's) से पीड़ित कई लोगों को गंध संबंधी समस्याएं होती हैं।
- मधुमेह: मधुमेह से हुई तंत्रिका क्षति आपकी गंध की भावना को प्रभावित कर सकती है।
- विटामिन की कमी: जिंक या थायमिन जैसे कुछ विटामिनों की कमी से गंध की समस्या हो सकती है।
- स्जोग्रेन सिंड्रोम (Sjogren's syndrome): यह ऑटोइम्यून बीमारी (autoimmune disease), गंध की आंशिक या पूर्ण हानि का कारण बन सकती है।
- उम्र बढ़ना: जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे गंध की अनुभूति स्वाभाविक रूप से कम हो जाती है। गंध की हानि, अथवा एनोस्मिया, अस्थायी या स्थायी हो सकती है। ऐसे कोई विशिष्ट उपचार नहीं हैं जो गंध की हानि को दूर कर सकें। कभी-कभी यह समस्या समय के साथ अपने आप दूर हो जाती है। इन विकारों को दूर करने के लिए शोधकर्ताओं ने विटामिन ए और जिंक की उच्च खुराक का उपयोग करके कोशिश जरूर की है, लेकिन ये प्रयास अभी तक प्रभावी साबित नहीं हुए हैं। हालांकि वर्तमान में घ्राण प्रशिक्षण की एक तकनीक का मूल्यांकन किया जा रहा है और प्रारंभिक अध्ययनों में यह आशाजनक प्रतीत होता है। फिलहाल, गंध की हानि से निपटने पर ही ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। यदि आप गंध नहीं महसूस कर सकते हैं, तो हानिकारक रसायनों से दूर रहने जैसे सुरक्षा उपाय किये जा सकते हैं। इस सन्दर्भ में पोषण संबंधी परामर्श भी मदद कर सकता है, क्योंकि कुछ खाद्य पदार्थ और मसाले गंध रिसेप्टर्स को उत्तेजित कर सकते हैं। हालांकि ऐसे कई उपचार जरूर हैं, जिन्हें घर पर ही आज़माकर, गंध के विकारों को तेज़ी से ठीक करने की कोशिश की जा सकती है। बाल चिकित्सा कान, नाक और गले के विशेषज्ञ डॉ. निकोल एरोनसन (Dr. Nicole Aronson) के अनुसार गंध की हानि का उपचार, काफी हद तक उसके कारण पर निर्भर करता है। गंध प्रशिक्षण: डॉ. एरोनसन घरेलू उपचार के रूप में गंध प्रशिक्षण की सलाह देते हैं। गंध प्रशिक्षण में, आप छह सप्ताह तक, दिन में तीन बार, 20 सेकंड के लिए चार तेज़ या मज़बूत सुगंध (जैसे आवश्यक तेल – Essential Oils) सूंघते रहें। हर दिन वही चार सुगंध अपनाएं और सर्वोत्तम परिणामों के लिए उन पर पूरा ध्यान केंद्रित करें।
आज़माने योग्य कुछ अच्छी सुगंधों में शामिल हैं:
कॉफी
गुलाब
साइट्रस
युकलिप्टुस
वनीला
लौंग
पुदीना
कभी-कभी, आपको गंध प्रशिक्षण के दौरान रबर या कचरे के जलने जैसी अजीब गंध आ सकती है। इसे पेरोस्मिया (parosmia) कहा जाता है और यह आमतौर पर अस्थायी होता है। प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. सैंड्रा एल हज (Dr. Sandra L. Haj) आपकी गंध की भावना को बहाल करने में मदद करने के लिए अरंडी के तेल का उपयोग करने का सुझाव देती हैं। अरंडी के तेल में रिसिनोलिक एसिड (ricinoleic acid) होता है, जो संक्रमण से लड़ने और नाक के मार्ग में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा अदरक में भी तेज़ सुगंध होती है जो गंध प्रशिक्षण के लिए उपयोगी हो सकती है। आप पिसी हुई या कच्ची अदरक का उपयोग कर सकते हैं। डॉ. हज नासिका मार्ग में सूजन और बलगम को कम करने के लिए अदरक की चाय पीने की भी सलाह देती हैं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/44hwp4hh
https://tinyurl.com/5dxhfzj3
https://tinyurl.com/3b3b5fnk
https://tinyurl.com/4wchf9nn

चित्र संदर्भ

1. एक फूल को सूंघते बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. गंध (घ्राण) में शामिल संरचनाओं की रचना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. तंत्रिका मार्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. घ्राण बल्ब को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. गंध की हानि, अथवा एनोस्मिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. फूल को सूंघती बच्ची को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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