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बौद्ध धर्म, ईसा पूर्व छठी शताब्दी के अंत में स्थापित हुआ था। सिद्धार्थ गौतम या “बुद्ध” द्वारा स्थापित, यह धर्म एशिया के अधिकांश देशों में एक महत्वपूर्ण धर्म है। आज बौद्ध धर्म ने कई अलग-अलग रूप धारण किए हैं, लेकिन, प्रत्येक रुप में बुद्ध के जीवन के अनुभवों, उनकी शिक्षाओं और उनकी शिक्षाओं की “भावना” या “सार”(जिन्हें ‘धम्म’ या ‘धर्म’ कहा जाता है) को, धार्मिक जीवन के मौलिक रूप में लेने का प्रयास किया गया है। पहली या दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में अश्वघोष (बौद्ध महाकवि तथा दार्शनिक)द्वारा लिखित, बुद्ध चरित्र(बुद्ध का जीवन) के आने तक हमारे पास उनके जीवन का कोई विस्तृत विवरण नहीं था।
बुद्ध का जन्म (लगभग) 563 ईसा पूर्व में हिमालय की तलहटी के पास लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। जबकि, उन्होंने बनारस के आसपास सारनाथ में उपदेश देना शुरू किया। उनका युग सामान्यतः आध्यात्मिक, बौद्धिक और सामाजिक उत्साह वाला था। यह वह युग था, जब सत्य की खोज करने वाले पवित्र व्यक्तियों द्वारा परिवार और सामाजिक जीवन के त्याग का हिंदू आदर्श पहली बार व्यापक हुआ। और इसी समय उपनिषद भी लिखे गए थे।
गौतम बुद्ध ने हमें चार ‘आर्य सत्यों’ के बारे में सिखाया है।
पहले सत्य को “दुःख” कहा जाता है, जो सिखाता है कि, जीवन में हर कोई किसी न किसी तरह से पीड़ित है। दूसरा सत्य है “दुख की उत्पत्ति(समुदय)”, यह बताता है कि, सभी दुख इच्छा (तन्हा) से आते हैं। तीसरा सत्य है– “दुख का निरोध (निरोध),” यह कहता है कि, दुख को रोकना और आत्मज्ञान प्राप्त करना संभव है। चौथा सत्य– “दुख की समाप्ति का मार्ग (मग्गा)” मध्य मार्ग के बारे में है, जो आत्मज्ञान प्राप्त करने का चरण है।
साथ ही, बौद्ध लोग विभिन्न शरीरों में पुनर्जन्म के चक्र में विश्वास करते हैं। यह “कर्म” से जुड़ा है, जो बताता है कि, किसी व्यक्ति के अतीत या पिछले जीवन में किए गए अच्छे या बुरे कर्म भविष्य में उन्हें कैसे प्रभावित कर सकते हैं।
भगवान बुद्ध का जीवन हमेशा से ही, बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आकर्षण का विषय रहा है। उनका जीवन कैसा था और बौद्ध धर्म के बारे में कुछ बातें जानने हेतु, भक्त बड़े उत्साह के साथ कई बौद्ध स्थलों की तीर्थयात्रा करते हैं। हमारे संपूर्ण देश में ऐसे कई स्थल हैं, जो बौद्धों के लिए महत्वपूर्ण हैं और बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चलिए, इनमें से कुछ स्थानों के बारे में जानें।
1. बोध गया
यह वह स्थान है, जहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के लिए, बोधि वृक्ष के नीचे 49 दिनों तक ध्यान लगाया था। यहां बोधि वृक्ष एवं भगवान बुद्ध की 80 फुट ऊंची मूर्ति के साथ, महाबोधि मंदिर भी है। यूनेस्को(UNESCO) ने इस बौद्ध मंदिर को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।
2. सारनाथ
यह शांत शहर वाराणसी के पास स्थित है। भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं दिया था। साथ ही, उन्होंने धम्म के मार्ग के बारे में शिक्षा भी यहीं दी थी। सारनाथ में ही उन्होंने संघ या मठवासी व्यवस्था की स्थापना की। यहां के कुछ लोकप्रिय स्थलों में धमेक स्तूप, अशोक स्तंभ, महाबोधि मंदिर और सारनाथ संग्रहालय आदी शामिल हैं।
3. कुशीनगर
कुशीनगर में भगवान बुद्ध को महापरिनिर्वाण (मुक्ति)प्राप्त हुआ था। सम्राट अशोक के आदेश पर, इस स्थान को चिह्नित करने हेतु, एक स्तूप का निर्माण किया गया था। इसे महापरिनिर्वाण मंदिर कहा जाता है, जिसमें भगवान बुद्ध की 6 फीट ऊंची प्रतिमा है। कुशीनगर शहर में उस स्थान पर भी एक स्तूप है, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था। इसे रामाभार स्तूप कहा जाता है।
4. श्रावस्ती
माना जाता है कि, ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने अपना अधिकांश जीवन श्रावस्ती में ही बिताया था। इसमें आनंद बोधि वृक्ष है, जिसे भगवान बुद्ध के एक प्रमुख शिष्य ने लगाया था, और अनाथपिंडिका स्तूप है। श्रावस्ती में जेतवन मठ भी है, जहां भगवान बुद्ध ने यहां होते हुए निवास किया था।
5. राजगीर
भगवान बुद्ध द्वारा राजगीर में कई महत्वपूर्ण उपदेश दिये गये थे। इसमें सुंदर सफेद रंग का विश्व शांति स्तूप और ग्रिडकुटा पहाड़ी है। ये उस स्थान को चिह्नित करते है, जहां भगवान बुद्ध ने उपदेश दिए थे। गिद्ध शिखर भी एक रुचि का बिंदु है। शहर का शांतिपूर्ण वातावरण इसे निर्वाण चाहने वालों के लिए आदर्श बनाता है।
6. वैशाली
भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश, पटना के निकट स्थित वैशाली में दिया था। यहां सम्राट अशोक द्वारा एक स्तूप बनवाया गया था, और स्तूप के बगल में, एक अशोक स्तंभ का भी निर्माण किया गया था। उन्होंने इस शहर में आध्यात्मिक प्रशिक्षण भी शुरू किया और अपनी पहली महिला शिष्या, गौतमी को भी धर्म में शामिल किया। इसीलिए, वैशाली जिला बौद्धों के लिए बहुत पवित्र है।
7. सांची
बौद्ध धर्मावलंबी अक्सर सांची शहर आते हैं। यहां प्रसिद्ध सांची स्तूप है, जो 50 फीट ऊंचा है। सम्राट अशोक ने इस स्तूप का निर्माण करवाया था, जिसमें भगवान बुद्ध की राख और कई बौद्ध अवशेष रखे हुए हैं। यह यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल है, और एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है।
8. नालंदा
यह प्रसिद्ध और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भी स्थान था, जो एक लोकप्रिय बौद्ध शिक्षण केंद्र और कई बौद्ध विचारधाराओं का मूल स्थान था। बौद्धों के लिए नालंदा का बहुत महत्व है, क्योंकि, भगवान बुद्ध स्वयं यहां आये थे। मंदिरों, ध्यान कक्षों, छात्रावासों और एक पुस्तकालय से सुसज्जित इस विश्वविद्यालय के खंडहरों को आज भी कई पर्यटक देखने आते हैं।
9. तवांग
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्व रखने वाले इस शहर में, तवांग मठ है, जो दुनिया का सबसे बड़ा मठ है। यह मठ यहां 400 वर्षों से मौजूद है, और इस मठ में 300 से अधिक भिक्षु रहते हैं। तवांग मठ 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और तवांग घाटी का मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। इसका सुरम्य स्थान मन को शांति से भर देता है।
10. कपिलवस्तु
इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने भौतिक संसार को त्यागने से पहले, राजकुमार सिद्धार्थ के रूप में अपने जीवन के 29 वर्ष बिताए थे। जिस महल में वह रहते थे, उसके खंडहर यहां आज भी देखे जा सकते हैं। कपिलवस्तु शहर में भी कई स्तूप हैं, यह भारत और नेपाल की सीमा के पास स्थित है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/tt7ca92p
http://tinyurl.com/yw4h2fmj
http://tinyurl.com/mvzmxh3h
चित्र संदर्भ
1. कहा जाता है कि बोधि वृक्ष जिसके नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. लुंबिनी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. महात्मा बुद्ध संदर्भित करता एक चित्रण (garystockbridge617)
4. बोध गया में मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. धमेख स्तूप, सारनाथ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. कुशीनगर में बुद्ध प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. श्रावस्ती में बुद्ध प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. राजगीर में स्तूप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. वैशाली में स्तूप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. साँची स्तूप को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेषों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. तवांग मठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
13. कपिलवस्तु को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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