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बाज़ार कार्ड: विज्ञापनों की दुनियां में क्रांति लाने वाले, पोस्टकार्ड

लखनऊ

 23-12-2023 10:57 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

"बाज़ार पोस्टकार्ड (Bazar Postcards) अथवा बाज़ार कार्ड", भारतीय डाक इतिहास का एक अनूठा हिस्सा रहे हैं। 1901 से लेकर 1910 के बीच ये कार्ड, संचार का एक सामान्य साधन हुआ करते थे। कार्डों पर अक्सर विभिन्न प्रकार के विषय प्रदर्शित होते थे और इन पर ब्रिटैन के राजा किंग एडवर्ड (King Edward) की छवि अंकित होती थी। इन कार्डों की कलात्मक गुणवत्ता और कल्पनाशीलता, वास्तव में उल्लेखनीय होती थी। ये स्थानीय रूप से बनाए गए पोस्टकार्ड होते थे, जिनका उपयोग अक्सर बाज़ार के व्यापारियों द्वारा विज्ञापन के लिए किया जाता था। इन्हें जनता को बेचा भी जाता था। इनका उपयोग अक्सर लोगों और व्यवसायों द्वारा समान रूप में किया जाता था। ये कार्ड स्थानीय प्रिंटिंग प्रेसों (Local Printing Presses) द्वारा बनाए जाते थे, और थोड़े समय के लिए संचार का एक लोकप्रिय तरीका हुआ करते थे। इन कार्डों पर “एक आना”, डाक टिकट संलग्न करने के बाद इन्हें डाक के माध्यम से भेजने की अनुमति दी गई थी, जो उस समय पोस्टकार्ड के लिए मानक दर थी। 1905 से पहले, पूरे भारत में निजी तौर पर मुद्रित कार्ड का उपयोग किया जाता था। हालाँकि, ये शुरुआती कार्ड अपने आकार और गुणवत्ता के मामले में बाद के बाज़ार कार्डों से भिन्न थे। वास्तव में, इन निजी कार्डों का उपयोग आधिकारिक डाकघर कार्डों से पहले भी होता था। इस तथ्य का समर्थन टाइम्स ऑफ इंडिया (Times Of India) की 10 मई 1879 की एक प्रेस रिपोर्ट द्वारा भी किया जाता है। बाज़ार कार्ड, कागज़ और छपाई के मामले में अपनी असंगत और आम तौर पर खराब गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इन कार्डों की गुणवत्ता पर किसी का नियंत्रण नहीं होता था, लेकिन कुछ अपवाद हैं, जहां अच्छे कार्ड तैयार किए गए हैं। नीचे दिए गए चित्र में आप भारतीय महिला को दर्शाते एक बाज़ार पोस्ट कार्ड को देख सकते हैं। ये कार्ड 1905 और 1912 के बीच लोकप्रिय क्यों थे, इसका पता लगाने के लिए हमें उस समय की ऐतिहासिक और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों पर विचार करने की आवश्यकता है। दरअसल उस दौरान भारत में राष्ट्रीय जागरूकता बढ़ रही थी। 1885 में स्थापित एक राजनीतिक संगठन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress), 1905 के बाद से गति पकड़ रही थी। इस दौरान "भारतीय बनें, भारतीय खरीदें" (स्वदेशी) का नारा स्थानीय अभिजात वर्ग के बीच लोकप्रिय हो गया, जिससे भारतीय निर्मित वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा मिला। ऐसा महात्मा गांधी, जो उस समय दक्षिण अफ्रीका में थे, के भारतीय राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बनने से पहले भी हो रहा था। बाज़ार के व्यापारी, जिनका आमतौर पर कोई राजनीतिक जुड़ाव नहीं था, ने उस समय की राष्ट्रीय भावनाओं का फायदा उठाया। यह स्पष्ट नहीं है कि बाज़ार कार्ड का चलन किस व्यापारी ने शुरू किया, लेकिन ये कार्ड, जो अक्सर व्यापारी के विज्ञापन और प्रिंटर के नाम से सजे होते थे, बिना अधिक प्रचार के भी लोकप्रिय हो गए। कुछ कार्डों में हिंदू देवताओं के चित्रण सहित विभिन्न डिज़ाइन शामिल थे, जो स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाओं को आकर्षित करते थे। स्थानीय मुद्रकों ने जनता को सीधे बिक्री के लिए इन कार्डों का उत्पादन भी शुरू कर दिया। इस अवधि के दौरान डाक सेवाओं में उनके व्यापक उपयोग से पता चलता कि “इन कार्डों ने तेजी से लोकप्रियता हासिल कर ली थी।” स्थानीय लोगों ने डाकघर द्वारा जारी किए गए कार्डों की तुलना में इन कार्डों को प्राथमिकता दी। बाज़ार कार्ड ने अपने डाकघर समकक्षों की तुलना में लिखने के लिए अधिक स्थान की पेशकश की। किंग एडवर्ड सप्तम (King Edward VII) से किंग जॉर्ज पंचम (King George V) तक शासनकाल में बदलाव के बावजूद, पोस्टकार्ड का आकार वही रहा था। 1912 के आसपास जारी किए गए नए शासन के पहले पोस्टकार्ड ने बाज़ार कार्ड के प्रारूप को अपनाया। इस परिवर्तन के साथ-साथ संदेशों के लिए अतिरिक्त स्थान के कारण स्थानीय लोगों द्वारा नए पोस्टकार्डों को धीरे-धीरे स्वीकार किया जाने लगा। परिणामस्वरूप, 1912 के बाद बाजार कार्ड के उपयोग में गिरावट आने लगी। यह प्रवृत्ति प्रथम विश्व युद्ध से और अधिक प्रभावित हुई। चलिए अब आपको पोस्टकार्ड संग्रहकर्ता डोक्का श्रीनिवासु (Dokka Srinivasu) के संग्रह से कुछ दुर्लभ बाज़ार कार्डों के दर्शन कराते हैं: 1. यह बाजार कार्ड, वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण को दर्शा रहा है। 2. यह बाजार कार्ड, भगवान शिव और उनके परिवार के सदस्यों को दर्शा रहा है। 3.यह बाजार कार्ड, युवा गणेश के साथ भगवान शिव को दर्शा रहा है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/5edzamde
http://tinyurl.com/2cnnpa67
http://tinyurl.com/mr3fxm8x
http://tinyurl.com/ybr4kwbs
http://tinyurl.com/37865mwm

चित्र संदर्भ
1. प्रभु श्री राम के परिवार को दर्शाते बाजार पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (Pinterest)
2. ब्रिटिश इंडिया बाज़ार पोस्ट कार्ड पुस्तक को संदर्भित करता एक चित्रण (samsshopping)
3. ईस्ट इंडिया 1901 क्यूवी पोस्टकार्ड बरेली को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. भारतीय महिला को दर्शाते एक बाज़ार पोस्ट कार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (collectorbazar)
5. बाज़ार पोस्ट कार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (Phil India Stamps)
6. वनवास काल के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण को दर्शाते एक बाज़ार पोस्टकार्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (indian-heritage-and-culture)
7. भगवान शिव और उनके परिवार के सदस्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (indian-heritage-and-culture)
8. युवा गणेश के साथ भगवान शिव को संदर्भित करता एक चित्रण (indian-heritage-and-culture)



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