रामपुर का गौरव महासीर ‘शेर-मछली’

लखनऊ

 26-02-2018 11:45 AM
व्यवहारिक

मनुष्य अन्न के लिए फल, फूल, पशु, पक्षी इन सभी का इस्तेमाल करता है। अपनी उत्तरजीविता के लिए मनुष्य सर्वाहारी प्राणी बन गया है। मात्र काल के साथ धर्म और रहन-सहन के बदलावों के साथ मनुष्य के खाने-पिने में भी कुछ बदलाव आये हैं, जिसका सभी तो पालन नहीं करते लेकिन एक निश्चित प्रवृत्ति है जो मांसाहार अथवा शाकाहार की तरफ झुकती है।

आज कल इंसान अपना आहार अपने धर्मं, सेहत, धारणा आदि के मुताबिक तय करता है। कुछ लोग मांसाहार नहीं करते जिसका कारण उनका धर्म अथवा उनकी निजी धारणा हो सकती है। जैन धर्मीय किसी भी प्राणी-पक्षी आदि को नहीं खाते साथ ही जमीन के अन्दर उगने वाले अन्न का ग्रहण भी नहीं करते जैसे आलू क्यूंकि यह उनके अहिंसा सिद्धांत के विरुद्ध है।

कुछ लोग मांस नहीं खाते क्यूंकि ये उनकी वैचारिक धारणा अथवा उनके समाज के सिद्धांतो के खिलाफ है। कभी कभी कोई समाज / कुल किसी पशु-पक्षी की पूजा करता है या उससे उनके कुछ आस्था/विश्वास जुड़े होते हैं। ऐसा ही कुछ हमे रामपुर के खाद्यसंस्कृति में दिखाई देता है।

रामपुर नवाबों के राज्यचिन्ह में दो शेरों ने जो ढाल पकड़ रखी है उसपर महासीर मछली बनी हुई है। इस मछली का रामपुर के इतिहास में अनन्यसाधारण महत्व है इतना की रामपुर नवाबों के यहाँ जो व्यंजन बनते थे उनमे इस मछली का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। इस का सिर्फ एक ही अपवाद है महासीर के माही सीक कबाब।

महासीर का मतलब है ‘शेर जैसी मछली’। यह प्रसिद्ध हिमालय-महासीर है जिसकी दृढ़ता के गूण की वजह उसकी तुलना भारत के शेरों से की जाती है। मछली-शिकार में इस मछली को पकड़ना बेहद मुश्किल माना जाता है। आज यह मछली बढती शिकार और पर्यावरण में आते बदलाव की वजह से विलुप्तता की कगार पर पोहोंच गई है। यह प्रथा शायद फ़ारसी संस्कृति से प्रेरित है क्यूंकि वहाँ पर इन्हें राजसी गौरव का प्रतिक माना जाता है। हमारी बहुतसी रियासतों के राज्य-चिह्न में मछली है। मानव और अन्य पशु-पक्षी तथा मानव के वैचारिक स्तर, समझ और निजी धारणा का यह एक बेहद खुबसूरत संबंध है।

प्रस्तुत चित्र रामपुर के राज्यचिन्ह का है और महासीर मछली का है।

1.द महासीर मैटर्स- अ मिशन टू सेव द फ्रेशवाटर टाइगर https://www.tatapower.com/pdf/the-mahseer-matters.pdf

2.http://www.mydigitalfc.com/fc-supplements/elan/rampur-and-mahaseer

3.https://manwithoutapast.com/2017/07/03/mahseer-a-tiger-among-the-fish

4.https://www.wwfindia.org/about_wwf/priority_species/threatened_species/golden_mahseer/



RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id