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रूस-यूक्रेन संघर्ष ने संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता पर सवाल खड़ा कर दिया?

लखनऊ

 06-12-2023 10:39 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

पूरे विश्व में शांति की स्थापना करना, एक जरूरी किंतु दीर्घकालिक प्रक्रिया है, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र, क्षेत्रीय आर्थिक आयोगों, गैर-सरकारी संगठनों और स्थानीय नागरिक समूहों सहित कई अलग-अलग संगठनों के समर्थन की आवश्यकता होती है। इसके तहत हिंसा को रोकने और संघर्ष के बाद स्थायी शांति स्थापित करने के लिए कार्रवाई करना शामिल है। शांतिनिर्माताओं या शांति की स्थापना के लिए जिम्मेदार संगठनों द्वारा कुछ विशिष्ट गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इनमें शामिल है:
➲ युद्ध विराम की निगरानी करना।
➲ लड़ाकों को हतोत्साहित करना और पुनः एकीकृत करना।
➲ शरणार्थियों और विस्थापित लोगों की वापसी में सहायता करना।
➲ युद्ध प्रभावित क्षेत्र में चुनाव का आयोजन एवं निगरानी करना।
➲ न्याय और सुरक्षा क्षेत्र में सुधारों का समर्थन करना।
➲ मानवाधिकार सुरक्षा को बढ़ावा देना।
➲ सामाजिक मेल-मिलाप को बढ़ावा देना।
➲ शांतिनिर्माताओं ने बोस्निया और हर्जेगोविना (Bosnia and Herzegovina), कंबोडिया (Cambodia), अल साल्वाडोर (El Salvador), ग्वाटेमाला (Guatemala), कोसोवो (Kosovo), लाइबेरिया (Liberia), मोजाम्बिक (Mozambique), अफगानिस्तान (Afghanistan), बुरुंडी (Burundi), इराक (Iraq), सिएरा लियोन (Sierra Leone) और तिमोर-लेस्ते (Timor-Leste) सहित कई देशों में सफलता पूर्वक शांति की स्थापना करने में बड़ी भूमिका निभाई है। हालांकि रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध ने शांतिनिर्माताओं या विशेषतौर पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की प्रभावशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशो के बीच शांति कायम करने की कोशिश जरूर की है, लेकिन इसके द्वारा उठाए गए सभी कदम नाकाफी साबित हुए हैं। 2022 में विभिन्न देशों और संगठनों ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए। इन प्रयासों का लक्ष्य रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकना और जल्द से जल्द समाप्त करना था। आक्रमण शुरू होने के चार दिन बाद ही 28 फरवरी 2022 को बेलारूस (Belarus) में पहली बैठक हुई। लेकिन, इसका कोई नतीजा नहीं निकला। दूसरी और तीसरी बैठकें 3 और 7 मार्च 2022 को हुईं। यह बैठक बेलारूस और यूक्रेन की सीमा पर गोमेल क्षेत्र में हुईं। 10 और 14 मार्च को अंताल्या, तुर्की (Antalya, Türkiye) में इस मुद्दे को लेकर चौथी और पांचवी बैठक हुई। 9 मई के सप्ताह में, यूक्रेनी संसद में भी शांति वार्ता पर चर्चा की गई। यहाँ पर अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की स्थिरता के बारे में भी चर्चा की गई। 2022 यूक्रेनी पूर्वी जवाबी हमले के बाद, रूस ने फिर से शांति वार्ता के लिए कहा। लेकिन,इस बार यूक्रेनी नेताओं ने चर्चा से इंकार कर दिया। उनका मानना था कि रूस को वास्तव में शांति में कोई दिलचस्पी नहीं है, बल्कि वह ऐसा करके अपनी सेनाओं को फिर से संगठित करने के लिए समय निकाल रहा है।
रूस और यूक्रेन का आपसी विवाद लंबे समय से चल रहा है:
➲ 1994 में रूस ने यूक्रेन की सुरक्षा का वादा करते हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
➲ 2009 में रूस ने इस वादे की दोबारा पुष्टि की।
➲ 2014 में, रूस ने यूक्रेनी प्रायद्वीप क्रीमिया (Cremea) पर कब्जा कर लिया। रूस ने दावा किया कि यूक्रेनी रिवोल्यूशन ऑफ डिग्निटी (Ukrainian Revolution of Dignity) ने एक नया देश बनाया है, इसलिए पुराना समझौता अब वैध नहीं है।
➲ रूस अन्य पूर्व सोवियत देशों को नाटो (NATO) या यूरोपीय संघ (EU) में शामिल होने से रोकने के लिए भी संघर्षों को बड़ा रहा है।
➲ 2014 में रूस ने अलगाववादियों को समर्थन देकर पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष शुरू कर दिया था। हालांकि उस समय यह लड़ाई रुक गई, लेकिन कोई शांति समझौता नहीं हुआ।
➲ रूस ने तटस्थ मध्यस्थ होने का दावा करते हुए संघर्ष के लिए किसी भी जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया।
➲ आखिरकार 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर बड़े स्तर पर आक्रमण कर दिया, जिससे संघर्ष शुरू हो गया।
आक्रमण के शुरुआती दौर में या आक्रमण नहीं करने के बदले रूस ने कई बदलावों की माँग की। इनमें शामिल हैं:
- आक्रमण से पहले, रूस एक कानूनी वादा चाहता था कि यूक्रेन, नाटो में शामिल नहीं होगा।
- रूस क्रीमिया पर कब्ज़े को कानूनी मंजूरी दिलाना चाहता था।
- लुहान्स्क और डोनेट्स्क (Luhansk and Donetsk) की स्वतंत्रता।
-रूस चाहता था कि यूक्रेन विसैन्यीकरण करे और किसी भी नाजी (Nazi) प्रभाव का दमन कर दे। हालांकि दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ, और आज रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। इसकी वजह से दुनियां की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं कमजोर हो रही हैं। परमाणु हथियारों से हमले का ख़तरा बढ़ गया है। शांति की स्थापना अब एक सपना प्रतीत होती है। इस विषम स्थिति में पूरी दुनियां ने शांति और सद्भाव की स्थापना हेतु उम्मीद की नजरों से संयुक्त राष्ट्र की ओर देखा, लेकिन संयुक्त राष्ट्र अभी भी शांति कायम कराने में विफल रहा है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का गठन 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किया गया था। इसका प्रमुख लक्ष्य ही भविष्य में होने वाले युद्धों को रोकना और देशों के बीच शांति बनाए रखना था। दुनिया एक और विश्व युद्ध नहीं चाहती थी। लेकिन इसके गठन के 77 साल बाद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने भविष्य की शांतिपूर्ण छवि को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
हालांकि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने युद्ध शुरू होने से पहले ही संयुक्त राष्ट्र को रूस की यूक्रेन पर हमले की योजना के बारे में चेतावनी दे दी थी। लेकिन उस समय इन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया। जब रूसी टैंक, यूक्रेन में घुसे तो उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कई नियमों का उलंघन करना शुरू कर दिया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के नेता एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) को खुद जाकर यूक्रेन की राजधानी कीव का दौरा करना पड़ा। ऐसा करके वह यूक्रेन के प्रति अपना समर्थन दिखाना चाहते थे और संघर्ष को सुलझाने की कोशिश करना चाहते थे।
हालांकि इस संदर्भ में कार्यवाही करते हुए 2 मार्च 2022 को संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन पर रूस के हमले की आलोचना की, और इससे जुड़ा एक प्रस्ताव भी पारित किया। 4 मार्च को, संयुक्त राष्ट्र ने दुनियां को यूक्रेन से रूसी सेना की शीघ्र और निश्चित वापसी के लिए आश्वस्त किया, तथा इस बारे में एक और प्रस्ताव पारित किया। 5 मार्च को, संयुक्त राष्ट्र ने एक नए स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय आयोग की मांग की। 24 मार्च को संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन में लोगों की मदद के लिए पहुंच मांगी। उन्होंने वहां के लोगों की बुरी स्थिति के लिए रूस को दोषी ठहराया। 30 मार्च को संयुक्त राष्ट्र ने तीन विशेषज्ञों को चुना। इनकी जिम्मेदारी यह पता लगाना था कि रूस युद्ध में किस तरह अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ रहा है? 7 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र ने एक और प्रस्ताव पारित किया, जिसके बाद रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया। 26 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र ने एक नया प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों से वीटो के उपयोग के बारे में स्पष्टीकरण देने को कहा गया। 12 अक्टूबर, 2022 को संयुक्त राष्ट्र ने देशों से यूक्रेन के चार क्षेत्रों (डोनेट्स्क (Donetsk), लुहान्स्क (Luhansk), खेरसॉन (Kherson) और ज़ापोरिज़्ज़िया (Zaporizhzhia) पर रूस के नियंत्रण को स्वीकार नहीं करने का आग्रह किया। लेकिन यहां भी रूस ने इन क्षेत्रों को वापस देने के संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध को नहीं सुना। इस बीच भारत भी संयुक्त राष्ट्र के निर्णयों पर मतदान न करने का विकल्प चुनता रहा है। हाल ही में भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र से पूछा था कि क्या यूएन वाकई प्रभावी है? संयुक्त राष्ट्र में भारत की प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने पूछा कि क्या संयुक्त राष्ट्र शांति और सुरक्षा के लिए आज की चुनौतियों से निपट सकता है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या हम किसी ऐसे समाधान के करीब हैं जिसे दोनों पक्ष स्वीकार करेंगे?

संदर्भ
https://tinyurl.com/33y3s67a
https://tinyurl.com/4jdf52ux
https://tinyurl.com/2dzmb4p2
https://tinyurl.com/yc629a86

चित्र संदर्भ
1. एक छोटे पिल्ले के साथ खेलते सैनिक की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मानचित्र पर यूक्रेन के वे क्षेत्र जहां रूसी सेना प्रवेश कर चुकी है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. यूक्रेन मुद्दे पर हुई बैठक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. एक महिला यूक्रेनी सैनिक को दर्शाता एक चित्रण (Our World)
6. यूक्रेनी अधिकारियों की बैठक को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)



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