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वॉटरकलर(Watercolour) या जलरंग, गोंद से बना हुआ, रंग होता है। या फिर,वॉटरकलर में रंग, जल-आधारित घोल में निलंबित पिगमेंट(Pigment) से बने होते हैं। इसमें पानी मिलाकर, इसे पतला किया जाता हैऔर इन रंगों के साथ,यह चित्रकारी की एक शैली भी है। अर्थात, जलरंग माध्यम और परिणामी कलाकृति दोनों, को संदर्भित करता है।
आधुनिक शब्द “वॉटरकलर” का पहला उल्लेख,सेनीनोसेनीनी(CenninoCennini) की 1437 में प्रकाशित, “ट्रीटीज़ऑफ़पेंटिंग(Treatise of Painting)” में मिलता है।इसमें वर्णित प्रक्रिया में, मुख्यमुद्दा वनस्पति गोंद युक्त पानी में,रंग का विघटन था। हालांकि, जलरंग जैसी तकनीकेंइससे पहले भी मौजूद थीं, और उनके अलग-अलग नाम व अनुप्रयोग थे।
जल तकनीक का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। रंगीन छवियों और चित्रलिपि के साथ, प्राचीन मिस्र(Egypt) की पपायरी(Papyri), पानी में घुलनशील पौधों के रेजिन(Resin) के साथ,रंग में बनाई गई थी। यह जल रंग तकनीक का एक स्पष्ट संकेत है। दूसरी ओर, पिसे हुए चावल के कागज या रेशम पर, स्याही से पेंटिंग करने की परंपरा, चीन(China) और जापान(Japan) में काफ़ी लोकप्रिय है। प्रारंभ में, इस चीनी शैली को 14वींसदी में, जापानी कलाकारों द्वारा उधार लिया गया था। और, 15वींसदी के अंत तक, जापान में यह चित्रकला की मुख्य दिशा बन गई थी। इस प्राचीन परंपरा की विशेषता– घने, अपारदर्शी गुआष जलरंग(Gouache watercolour) का उपयोग था, जिसे प्राचीन बायजान्टिन(Byzantine) पुस्तक कला में विकसित किया गया था। यह तकनीक,11वीं शताब्दी में अपने चरम पर पहुंच गया था। जबकि, ईसाई धर्म अपनाने के साथ, बायजान्टिन की पुस्तक परंपरा यूरोपीय देशों की संस्कृति में भी फैलती और विकसित होती गई।
इस तरह, 21वीं सदी तक, विभिन्न तकनीकी प्रयोगों का व्यापक अनुभव एकत्रित हो गया था। जल रंग में सुरम्य तकनीकों, दिशाओं, शैलियों, स्कूलों(Schools) की एक विस्तृत विविधता है। यहां, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, कोई “शुद्ध” जलरंग तकनीक वास्तव में नहीं है। यह तकनीक सिर्फ एक उपकरण है, जिसका अच्छा ज्ञान, किसी कुशल कलाकार को अपनी कलात्मक योजना को सटीक रूप से प्रतिबिंबित करने, अपने दृष्टि कोण को व्यक्त करने में मदद कर सकता है।
आजकल, जलरंग तकनीक में कलाकारों एवं चित्रकारों की काफ़ी रुचि बढ़ रही है। साथ ही, इसके प्रति लोकप्रियता की एक नई लहर देखी जा रही है। जलरंग पेंटिंग की आधुनिक उच्च गुणवत्ता वाली पेशेवर सामग्री का सही विकल्प, कलाकारों को अपने चित्र स्वतंत्र रूप से निर्माण करने की अनुमति देता है, जबकि, दर्शक चित्रकारों की तकनीक की प्रशंसा करते हैं।
जैसा कि हमने पढ़ा, जलरंगपेंट, चित्रकला का एक प्राचीन रूप है। पूर्वी एशिया(Asia) में, स्याही से की गई जलरंग पेंटिंग को,ब्रशपेंटिंग(Brush Painting) या स्क्रॉलपेंटिंग(Scroll painting) कहा जाता है। चीनी, कोरियाई(Korean art) और जापानी चित्रकला में, जलरंग एक प्रमुख माध्यम रहा है। चित्रकला की इन शैलियों में, अक्सर ही, एकल रंग(Monochrome)– काले या भूरे रंग में, या अन्य रंगों का उपयोग किया जाता है। जबकि, हमारे देश भारत, इथियोपिया(Ethiopia) और अन्य देशों में, भी जल रंग चित्रकला की लंबी परंपरा है।
विशेष रूप से 19वीं सदी की शुरुआत में, कई पश्चिमी कलाकारों ने तेलीय(Oil) या उत्कीर्णन की तैयारी में, एक स्केचिंग उपकरण(Sketching tool) के रूप में, मुख्य रूप से जल रंग का उपयोग किया हैं। जबकि, अठारहवीं शताब्दी के अंत तक, पारंपरिक जलरंग वाली चित्रकारी को टिंटेडड्राइंग्स(Tinted drawings) के रूप में, जाना जाता था।
आप में से, कला में रुचि रखने वाले लोग जानते ही होंगे कि, जलरंग तकनीक से सिटीस्केप(Cityscape) भीबनाए जा सकते हैं। दृश्यकला(Visual arts) में, सिटीस्केप अर्थात शहरी परिदृश्य, एक कलात्मक प्रतिनिधित्व है, जैसे कि, किसी शहर या शहरी क्षेत्र के भौतिक पहलुओं की पेंटिंग, चित्र, प्रिंट(Print) या तस्वीर। इसे एक परिदृश्य(Landscape) का शहरी समकक्ष कहा जा सकता है। जबकि, टाउनस्केप(Townscape) मोटे तौर पर सिटीस्केप का एक पर्याय है, हालांकि यह शहरी आकार एवं घनत्व और यहां तक कि, आधुनिकता में समान अंतर को दर्शाता है, जो शहर(city) और नगर(Town) शब्दों के बीच अंतर में निहित है। शहरी डिज़ाइन में, ये शब्द वहां निर्मित रूपों एवंमध्य स्थान के विन्यास को संदर्भित करते है।
क्या आप जानते हैं कि, हमारे शहर रामपुर के कुछ दृश्यों एवं इमारतों की भी सिटीस्केप पेंटिंग बनाई गई हैं? आप यहां प्रस्तुत चित्रों में, वह सिटीस्केप देख सकते हैं।
पहली शताब्दी ईसामें,रोम(Rome) के ट्रोजन के स्नानागार(Baths of Trajan)में, एक प्राचीन शहर के विहंगम दृश्य को दर्शाने वाला भित्तिचित्र मिलता है।जबकि, मध्य युग में, शहर के दृश्य, चित्रों और बाइबिल के विषयों की पृष्ठभूमि के रूप में दिखाई दिए। 16वीं से 18वीं शताब्दी तक शहरों को विहंगम दृश्य में दिखाते हुए, कई ताम्रपत्र प्रिंट और नक़्क़ाशी बनाई गईं।
प्राचीन चीन(China) में, स्क्रॉल पेंटिंग, चित्रित शहरों का एक मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती थी।17वीं शताब्दी के मध्य में, सिटीस्केप नीदरलैंड(Netherlands) में एक स्वतंत्र शैली बन गई थी। अन्य यूरोपीय देशों जैसे, ग्रेट ब्रिटेन(Great Britain), फ्रांस(France) तथा जर्मनी(Germany) के चित्रकारों ने भी, फिर इस शैली का अनुसरण किया। जबकि, 18वीं शताब्दी वेनिस(Venice) में सिटीस्केप पेंटिंग के लिए, एक समृद्ध अवधि थी।
19वीं सदी के अंत में,कलाकारों ने शहर के रोजमर्रा जीवन के माहौल और गतिशीलता पर ध्यान केंद्रित किया। 20वीं शताब्दी के दौरान, यह ध्यान अमूर्त और वैचारिक कला पर केंद्रित हो गया और इस प्रकार शहरी परिदृश्यों के उत्पादन में गिरावट आई। हालांकि, 20वीं सदी के अंत में, आलंकारिक कला के पुनरुद्धार के साथ शहर के परिदृश्य का पुनर्मूल्यांकनहुआ।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3bsdu2u9
https://tinyurl.com/ywxx59xd
https://tinyurl.com/4f3bzsth
https://tinyurl.com/3xrxkftj
https://tinyurl.com/29u6c6n9
चित्र संदर्भ
1. रामपुर की एक मस्जिद के चित्र को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. ‘ट्रीटीज़ऑफ़पेंटिंग’ को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
3. जलरंग चित्र को दर्शाता एक चित्रण (DeviantArt)
4. रामपुर की एक मस्जिद की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
5. रामपुर के रज़ा पुस्तकालय के आरेख चित्र को दर्शाता एक चित्रण (pinterest)
6. रामपुर किले के जलचित्र को दर्शाता एक चित्रण (pinterest)
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