आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं

लखनऊ

 15-11-2024 09:32 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
“नानक नाम जहाज़ है, चढ़ै सो उतरे पार जो श्रद्धा कर सेंवदे, गुर पार उतारणहार”
गुरु नानक की शिक्षाएं, हमें जीवन को एक नए नज़रिए से देखने का अवसर देती हैं। आइए आज गुरु नानक जयंती के इस पावन अवसर पर उनकी कुछ महत्वपूर्ण शिक्षाओं पर नज़र डालें! आज के इस लेख में, हम यह जानेंगे कि उनकी शिक्षाएँ, संदेश और सिद्धांत, आधुनिक समय में भी हमारे लिए कैसे प्रासंगिक हैं।
सबसे पहले, हम गुरु नानक देव जी की मुख्य शिक्षाओं और आधुनिक समय में इनकी प्रासंगिकता को समझेंगे |
1. वंड छको (साझा करना):
इस शिक्षा का अर्थ है कि ‘हमारे पास जो कुछ है उसे बाँटना और उसका आनंद लेना।’ हमें लालची नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, हमें अपने समुदाय में दान के माध्यम से अपनी संपत्ति साझा करनी चाहिए।
- प्रासंगिकता: गुरु नानक ने सामुदायिक समारोहों (संगत) और साझा भोजन (पंगत) के माध्यम से, निस्वार्थ सेवा पर ज़ोर दिया। इससे भाईचारे और सामुदायिक सेवा को बढ़ावा मिलता है। उनकी शिक्षाएँ सहिष्णुता, सम्मान और शांतिपूर्ण तरीके से साथ रहने को प्रोत्साहित करती हैं।
2. किरत करो (ईमानदारी से जीना): इस शब्द का अर्थ 'ईमानदारी और निष्पक्षता से जीविकोपार्जन करना' होता है। हमें अपने कौशल, प्रतिभा और कड़ी मेहनत का उपयोग, अपने परिवार और समाज के लाभ के लिए करना चाहिए।
प्रासंगिकता: न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए ईमानदारी से जीना आवश्यक है। ये शिक्षाएँ सरकारी काम में ईमानदारी और नैतिकता को बढ़ावा देती हैं, जिससे भ्रष्टाचार और बेईमानी को खत्म करने में मदद मिलती है।
3. नाम जपो (भगवान का नाम जपें): यह शिक्षा, हमें भजन (कीर्तन), मंत्रोच्चार या ध्यान (सिमरन) के माध्यम से भगवान का नाम जपने के लिए प्रोत्साहित करती है।
प्रासंगिकता: भगवान का नाम जपने से हमें आध्यात्मिक जीवन जीने में मदद मिलती है। इससे तनाव और चिंता कम होती है।
4. कोई भेदभाव नहीं: गुरु नानक ने धर्म या लिंग जैसे कृत्रिम विभाजनों के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध किया।
प्रासंगिकता: उनकी शिक्षाएँ, धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देती हैं। वे उन शुरुआती लोगों में से थे जिन्होंने कहा था कि 'हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई विभाजन नहीं है! हम सभी भगवान की रचनाएँ हैं।' उनके विचार, एक निष्पक्ष और समान समाज बनाने में मदद करते हैं।
5. सरबत दा भला (भगवान से सभी की खुशी के लिए प्रार्थना करें): गुरु नानक देव जी ने हमें सिखाया कि हमें धर्म, जाति या लिंग से ऊपर उठकर, सभी के लिए अच्छी कामना करनी चाहिए।
दैनिक अरदास प्रार्थना के अंत में, हम कहते हैं, "नानक नाम चढ़दी कला, तेरे भाणे सरबत दा भला," जिसका अर्थ है "आपके नाम और आशीर्वाद से, दुनिया में हर कोई समृद्ध हो और शांति से रहे।"
प्रासंगिकता: इस प्रार्थना में, ईश्वर से केवल हमारे अपने समुदाय या परिवार की ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता की भलाई के लिए निवेदन किया जाता है।
6. बिना किसी डर के सच बोलें: गुरु नानक देव जी ने हमें हमेशा बिना किसी डर के सच बोलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि 'झूठ बोलकर जीतना अस्थायी है, लेकिन सत्य के साथ खड़े रहना स्थायी है।' सत्य का पालन करना गुरु की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में से एक है। उन्होंने हमारे जीवन में एक सच्चे गुरु के होने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। सच्चे गुरु के बिना, ईश्वर को पाना कठिन है।
प्रासंगिकता: गुरु नानक के अनुसार, मोक्ष पवित्र स्थानों पर जाने से नहीं बल्कि सच्चे हृदय और आत्मा से मिलता है।
गुरु नानक की कुछ अन्य शिक्षाएं जो समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं !
1. ईश्वर एक है :
धर्म का इस्तेमाल लोगों को बाँटने के लिए करना गलत है। गुरु नानक ने कहा, "न तो हिंदू है और न ही मुसलमान।" जब वे हरिद्वार गए, तो उन्होंने लोगों को अपने पूर्वजों के लिए सूर्य को गंगा जल चढ़ाते देखा। उन्होंने पश्चिम की ओर पानी फेंकना शुरू कर दिया। जब दूसरे लोग उन पर हँसे, तो उन्होंने जवाब दिया, "अगर गंगा का पानी स्वर्ग में आपके पूर्वजों तक पहुँच सकता है, तो मेरा पानी पंजाब में मेरे खेतों तक क्यों नहीं पहुँच सकता, जो यहाँ से बहुत करीब हैं?"
2. जंगल भाग जाने से आपको आत्मज्ञान नहीं मिलेगा: गुरु नानक ने सिखाया कि सच्चा धर्म, नम्रता और सहानुभूति के साथ जीवन यापन करने में है। वे, दुनिया के प्रलोभनों का सामना करते हुए एक अच्छा और शुद्ध जीवन जीने में विश्वास करते थे। उनके विचार थे कि समाज से दूर दिव्य सत्य की खोज करने की तुलना में गृहस्थ के रूप में रहना बेहतर है। आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद भी, वे किसान बने रहे।
3. गुरु नानक ने पाँच बुराइयों की पहचान की जो दुख का कारण बनती हैं:
अहंकार
क्रोध
लालच
मोह
वासना
शहरी जीवन में ज़्यादातर दर्द इन्हीं बुराइयों की वजह से होता है।
4. किसी भी तरह के अंधविश्वास से लड़ें: गुरु नानक ने अपना पूरा जीवन, व्यर्थ के रीति-रिवाज़ों और जाति व्यवस्था को चुनौती देने में बिताया। उन्होंने लोगों को उन प्रथाओं को अस्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया जो समाज में कोई भी सार्थक योगदान नहीं देती।
5. यात्रा करें: यात्रा करने से बहुमूल्य अनुभव मिलते हैं। उनके समय में अधिकांश धार्मिक नेता, अपने गाँवों में रहते थे | इसके बावजूद, उस समय, गुरु नानक ने बड़े पैमाने पर यात्रा की। उन्होंने इराक, लद्दाख, तिब्बत और सऊदी अरब जैसी जगहों की पैदल यात्रा की और अपनी यात्राओं से ज्ञान प्राप्त किया।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2yvz8nvs
https://tinyurl.com/22w6qgsu
https://tinyurl.com/2yylgt7y

चित्र संदर्भ
1. गुरु ग्रंथ साहिब पढ़ रहे एक सिख पुजारी (ग्रंथी) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक उदासी के दौरान, अपने साथियों को प्रेम और सच्चाई का संदेश देते गुरु नानक देव जी को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)



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