लखनऊ के लोगों, क्या आप जानते हैं कि मायोटोनिक बकरियाँ, जिन्हें टेनेसी फ़ेंटिंग गोट्स (Tennessee fainting goat) भी कहा जाता है, एक अमेरिकी नस्ल की बकरियाँ हैं, जो डरने या उत्साहित होने पर बेहोश-सी हो जाती हैं | इसका कारण एक अनुवांशिक स्थिति है, जिसे मायोटोनिया कॉन्जेनिटा (Myotonia congenita) कहते हैं। इस स्थिति में इनकी मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं, जिससे ये गिर भी जाती हैं।
तो आज, आइए इस अनोखे जानवर और इसके गुणों को विस्तार से समझते हैं। हम जानने की कोशिश करेंगे कि ये ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं । इसके बाद हम कुछ अन्य जानवरों के बारे में जानेंगे, जो अजीब तरीक़ों से चिंता का सामना करते हैं। अंत में, हम कुछ ऐसे जानवरों पर भी रोशनी डालेंगे, जो बेहद अनोखे ढंग से व्यवहार करते हैं, जैसे कि मछलियाँ जो चलती हैं, मेंढक जो उड़ते हैं, पक्षी जो तैर सकते हैं पर उड़ नहीं सकते, और नेवले जो नाचते हैं।
मायोटोनिक बकरियों का संक्षिप्त परिचय
मायोटोनिक बकरियाँ, अपनी अनोखी बनावट और स्टाइल में एक जैसी होती हैं। इनके चेहरे का प्रोफ़ाइल आमतौर पर थोड़ा अंदर की ओर झुका या लगभग सीधा होता है, और इनकी आँखें व माथा हल्का सा उभरा हुआ हो सकता है। इन बकरियों के कान मध्यम आकार के होते हैं और सामान्यतः क्षैतिज स्थिति में होते हैं; ये स्विस नस्लों के कानों से बड़े और अधिक क्षैतिज होते हैं, लेकिन नूबियन, स्पेनिश बकरियों या बोअर क्रॉस से छोटे और कम झुके हुए होते हैं। कानों के बीच में लहर या हल्की सी तरंग हो सकती है, हालाँकि कुछ ब्रीडर्स ऐसे स्टॉक को चुनते हैं जिसमें यह विशेषता नहीं होती।
अधिकतर बकरियों के सींग होते हैं, और इनके सींगों का आकार बड़े और घुमावदार से लेकर छोटे और सीधे तक हो सकता है। कुछ बकरियाँ बिना सींगों के होती हैं, और कुछ ब्रीडर्स (breeders) इस विशेषता के लिए खासतौर पर इन्हें चुनते हैं।
इनका कोट (बालों की परत) बहुत छोटे और चिकने से लेकर लंबे और रेशेदार तक हो सकता है। यह विविधता, सभी प्रकार की बकरियों में, विशेषकर पुराने मूल समूहों में, पाई जाती है। अधिकांश बकरियों के बाल, छोटे होते हैं, लेकिन जिनके बाल रेशेदार होते हैं, वे खराब मौसम में अधिक सहनशील होती हैं और इस विशेषता के लिए चुनी जाती हैं। कुछ बकरियाँ कश्मीरी रेशा भी उत्पन्न करती हैं।
एक 'लैंडरेस' नस्ल होने के कारण, टेनेसी फ़ेंटिंग बकरियों का आकार, हमेशा अलग-अलग होता है। हाल के चयन ने इस विविधता को और बढ़ाया है, जिससे इन बकरियों का वज़न 60 से लेकर 175 पाउंड तक हो सकता है।
टेनेसी फ़ेंटिंग बकरियाँ क्यों बेहोश हो जाती हैं?
मायोटोनिक बकरियाँ, एक वंशानुगत न्यूरोमस्क्युलर समस्या से प्रभावित होती हैं, जिसे मायोटोनिया कॉन्जेनिटा कहते हैं। इस समस्या में स्वैच्छिक संकुचन के बाद इनकी कंकाल की मांसपेशियाँ आराम नहीं कर पातीं, और इस स्थिति को ही मायोटोनिया कहा जाता है। इनकी मांसपेशियों की झिल्ली में एक असामान्यता होती है, जिससे ये बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाती हैं। जब ये अपनी मांसपेशियों को संकुचित करती हैं, तो इन्हें सामान्य स्थिति में लौटने में कुछ अधिक समय लग सकता है। इसलिए, जब इन बकरियों को अचानक कोई झटका लगता है और उनकी मांसपेशियाँ तनाव में आ जाती हैं ( फ़ाइट या फ़्लाइट प्रतिक्रिया), तो सामान्य स्थिति में लौटने के लिए इन्हें कुछ सेकंड लगते हैं।
क्या टेनेसी बकरियों को दर्द होता है जब वे बेहोश हो जाती हैं?
हम पहले से जानते हैं कि वे चेतना नहीं खोतीं, इसलिए उन्हें इसके होने का एहसास होता है। लेकिन क्या इससे उन्हें दर्द होता है? इसका सीधा जवाब ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में नहीं दिया जा सकता। चूँकि बकरियाँ सीधे हमें यह नहीं बता सकतीं, इसलिए उनके व्यवहार से ही हमें यह समझना होता है। उनके व्यवहार से ऐसा नहीं लगता कि उन्हें इससे कोई ख़ास परेशानी होती है। अधिकतर बकरियाँ, गिरने के बाद उठ जाती हैं और वही करती रहती हैं जो वे पहले कर रही थीं, मानो कुछ हुआ ही नहीं। हालाँकि, अगर वे ऊँचाई से गिरें या किसी नुकीली वस्तु पर गिरें जिससे उन्हें चोट लगे, तो स्थिति अलग हो सकती है।
पशु जगत के अनोखे तरीके तनाव को संभालने के लिए
1.) एक के ऊपर एक बिछते मेंढक: विभिन्न प्रकार के जानवर, जैसे झींगा और खरगोश, टॉनिक इम्मोबिलिटी (Tonic immobility (तनाव में स्थिर हो जाना)) का प्रदर्शन करते हैं। विभिन्न शारीरिक अवस्थाएँ इस स्थिति को उत्पन्न करती हैं। उदाहरण के लिए, मेंढकों को उल्टा करने पर वे आसानी से बेहोश हो जाते हैं। जैसे ही उन्हें उल्टा किया जाता है, वे ढीले हो जाते हैं और अपने हाथ-पैर क्रॉस कर लेते हैं, मानो अपनी छोटी-सी मेंढक ताबूत में जाने की तैयारी कर रहे हों।
2.) मृत दिखने वाले अपॉसम: जब एक अपॉसम (Opossum) डरता है, तो वह भी गिर पड़ता है। लेकिन अपॉसम के डरने का तरीक़ा थोड़ा अनोखा होता है - वह अपना मुँह खोलता है, बहुत अधिक लार बहाने लगता है, और उसकी पूँछ से दुर्गंध भरा हरा तरल निकलने लगता है। यह शिकारियों को यह सोचने के लिए प्रेरित करता है कि वह किसी भयंकर बीमारी से मरा हुआ है।
3.) रूप बदलते एफिड्स: मछली, चींटियाँ और अन्य समूह में रहने वाले जानवर, अक्सर डर का संकेत देने के लिए ‘अलार्म फ़ेरोमोन ’ छोड़ते हैं - एक तरह की गंध जो भागने की चेतावनी देती है। हालाँकि, मटर का एफिड इसमें एक क़दम आगे है। जब इसे अलार्म फ़ेरोमोन की गंध मिलती है, तो यह न केवल जल्दी से भागता है, बल्कि यदि यह जीवित रहता है, तो इसकी संतान में पंख होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे यह पीढ़ियों तक भागने की क्षमता प्रदान करता है।
अनोखे ढंग से व्यवहार करने वाले जानवरों पर एक नज़र
1.) मछलियाँ जो चल सकती हैं: मडस्किपर (Mudskipper) एक ऐसी मछली है जो अपना अधिकांश जीवन, ज़मीन पर बिताती है और हवा में साँस भी ले सकती है। यह जापान के कीचड़ वाले इलाकों में रहती है और छोटे-छोटे पौधों व जानवरों को खाती है जो गीली मिट्टी में पनपते हैं। इनके सिर पर आँखें होती हैं, जिससे ये शिकारियों को देख पाती हैं और साथी की तलाश में भी मदद मिलती है। ये कीचड़ में उछल-उछल कर अपने होने का संकेत देती हैं। धूप में सूखने का खतरा मडस्किपर के लिए गंभीर होता है, इसलिए यह कीचड़ में लोट कर या उसमें छिपकर अपनी त्वचा को ठंडा और नम रखती है।
2.) मेंढक जो उड़ सकते हैं: दक्षिण अमेरिका के वर्षावनों में ग्लाइडिंग लीफ़ फ्रॉग नामक मेंढक रहता है। यह पेड़ों की ऊँचाई से नीचे कूदता है और अपने बड़े-बड़े जालीदार पैरों का इस्तेमाल, पैराशूट की तरह करता है ताकि वह नीचे धीरे-धीरे उतर सके। ये मेंढक, अधिकतर समय ऊँचे पेड़ों पर रहते हैं और केवल प्रजनन के लिए नीचे आते हैं।
3.) पक्षी जो तैर सकते हैं पर उड़ नहीं सकते: पेंगुइन का टॉरपीडो जैसा आकार और उनकी मज़ेदार चाल हमें इतनी सामान्य लगने लगी है कि हम भूल जाते हैं कि वे कितने अनोखे जीव हैं। पेंगुइन की 18 प्रजातियाँ हैं, और इनमें से कोई भी उड़ नहीं सकती। पेंगुइन का शरीर मोटा और पैर छोटे होते हैं, जिससे वे तैरने और गोता लगाने में माहिर होते हैं। उनके मज़बूत पंख और पेक्टोरल मांसपेशियाँ, उन्हें पानी में तेज़ी से चलने में मदद करती हैं, जबकि पैर और पूँछ उन्हें दिशा देने में काम आते हैं।
4.) ऑक्टोपस जो चल सकते हैं: ऑक्टोपस आमतौर पर पानी में रहते और साँस लेते हैं, तो जब ज्वार घटने पर कोई ऑक्टोपस बीच के चट्टानी पोखर में फंस जाए , तो उसे पानी के लौटने तक इंतजार करना पड़ता है। लेकिन एब्डोपस एक्यूलेटस (Abdopus aculeatus) के साथ ऐसा नहीं है; यह ऑक्टोपस, ज़मीन पर निकल आता है। ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में पाया जाने वाला यह ऑक्टोपस, अपने मज़बूत हाथों पर लगे सैकड़ों छोटे सकर्स की मदद से खुद को खींचता है और चट्टानों के पोखर से दूसरे पोखर तक केकड़ों की तलाश में घूमता है।
5.) चूहे जो गाते हैं: नर चूहे, मादाओं को रिझाने के लिए, जटिल गीत गाते हैं। दुर्भाग्य से, हम इन्हें सुन नहीं सकते क्योंकि ये 50 से 100 किलोहर्ट्ज़ की आवृत्ति (frequency) पर गाए जाते हैं, जो हमारे सुनने की सीमा से बाहर है। नॉर्थ कैरोलाइना के ड्यूक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग में पाया कि अगर दो नर चूहे, जिनकी आवाज़ की पिच अलग होती है, एक ही पिंजरे में रखे जाएँ, तो आठ हफ़्ते बाद वे एक ही पिच पर गाना शुरू कर देते हैं।
6.) स्टोट्स जो नाचते हैं: माना जाता है कि स्टोट्स खरगोशों को अपने पागलपन भरे ‘नृत्य’ से सम्मोहित कर देते हैं। इन्हें हवा में उछलते और अपनी पूँछ फैलाकर पागलपन में मचलते देखा गया है, जिससे उनका शिकार पूरी तरह से स्तब्ध हो जाता है। वैज्ञानिक अभी भी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या यह ‘नृत्य’ वास्तव में उनके शिकार का तरीका है या शायद यह किसी परजीवी संक्रमण का प्रभाव है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2py6y9xh
https://tinyurl.com/bp9sb3cb
https://tinyurl.com/wb84frtf
https://tinyurl.com/4rryvder
चित्र संदर्भ
1. मायोटोनिक बकरियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. भूरे रंग की एक बकरी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. बेहोश हो चुकी टेनेसी फ़ेंटिंग बकरी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. अपॉसम (Opossum) को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
5. मडस्किपर (Mudskipper) को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. एक के ऊपर बैठे ग्लाइडिंग लीफ़ फ़्रॉगों (Gliding leaf frog) को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
7. एब्डोपस एक्यूलेटस (Abdopus aculeatus) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. स्टोट (Stoat) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)