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हमारा रामपुर तराई क्षेत्र में स्थित है, जहां पर किंग कोबरा (King Cobra) और बर्मीज अजगर (burmese python) सहित, विभिन्न प्रकार के सांपों की प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से कई प्रजातियां जहरीली नहीं होती लेकिन लेकिन इन्हीं में सांपों की कुछ ऐसी प्रजातियां भी शामिल हैं, जिनका काटा हुआ इंसान पानी भी नहीं मांगता। साँपों के काटने से मनुष्यों और जानवरों दोनों की जान को गंभीर खतरा हो सकता है। हमारे रामपुर में भी हर साल सर्पदंश के कुछ मामले सामने आते हैं।
क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में हर पांच मिनट के भीतर लगभग 50 लोगों को सांप काट लेता है, और इन पचास लोगों में से एक की मौत हो जाती है। यह घटनाएं विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक देखी जाती हैं, क्यों कि वहां पर लोगों की स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच सीमित होती है।
भारत में विशेष रूप से रामपुर जैसे तराई क्षेत्रों में तो सर्पदंश एक बहुत ही बड़ी चिंता बनकर उभरी है। देश की लगभग 50% से अधिक आबादी इन्हीं क्षेत्रों में निवास करती है।
तराई क्षेत्र में सर्पदंश की घटनाएँ बहुत अधिक देखी जाती हैं। हर साल यहां पर प्रति 100,000 लोगों में से अनुमानित 261 लोग सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं। इस क्षेत्र में किये गए एक सर्वेक्षण में शामिल 12,998 घरों में से, 154 (1.18%) घरों में इंसानों को साँप द्वारा काटे जाने के मामले दर्ज किए गए थे। इसके अलावा 91 (0.7%) घरों में घरेलू जानवरों को साँप द्वारा काटे जाने के मामले दर्ज किए गए थे। वैज्ञानिकों ने पाया कि “ सापों द्वारा जानवरों को काटे जाने की संभावना ठंड के महीनों में अधिक होती है। इस दौरान प्रत्येक डिग्री सेल्सियस (degree celsius) ठंड बढ़ने पर सर्पदंश का खतरा भी 23.4 गुना बढ़ जाता है।
तराई क्षेत्रों में सर्पदंश की अधिक घटनाओं का एक मुख्य कारण “गरीबी” भी है। दरअसल इस क्षेत्र में अधिकांश लोग खेती का काम करते हैं और सांपों के करीब रहते हैं। इसी कारण उन्हें सापों द्वारा काटे जाने की संभावना भी अधिक हो जाती है। सर्पदंश की अधिक घटनाओं का एक अन्य कारण सर्पदंश की रोकथाम और उपचार से जुड़ी जागरूकता की कमी भी है। तराई में बहुत से लोगों को यह नहीं पता कि उन्हें सांप के काटने पर करना क्या चाहिए? इसी उलझन के कारण उन्हें उपचार प्राप्त करने में देरी हो सकती है, जो उनके लिए घातक हो सकता है।
हमारे रामपुर के निकट उत्तराखंड में वनकर्मी भी इंसानों और सांपों के बीच इस टकराव को समझने और कम करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। इसके लिए वे किंग कोबरा (King Cobra) सहित सांपों की कुछ प्रजातियों का मानचित्रण कर रहे हैं, और स्थानीय समुदायों को साँपों से बचने की सुरक्षित तकनीकों के बारे में भी प्रशिक्षित कर रहे हैं।
उत्तराखंड में कॉमन कोबरा (common Cobra,), कॉमन क्रेट (Common Krait), रसेल वाइपर (Russell's Viper) और किंग कोबरा (King Cobra) जैसे जहरीले सांप भी पाए जाते हैं। हालांकि उत्तराखंड में लोग सांपों के साथ रहने के आदी हो गए हैं, और आमतौर पर उनसे डरते नहीं हैं। लेकिन, फिर भी संघर्ष और घायल होने के जोखिम को कम करने के लिए बेहतर साँप प्रबंधन प्रथाओं की सख्त आवश्यकता है।
हाल के वर्षों के दौरान उत्तराखंड में 2,400 मीटर (8,000 फीट) की ऊंचाई पर किंग कोबरा की संख्या पहले की तुलना में अधिक देखी गई है।
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई असामान्य घटना नहीं है,क्यों कि पूर्वोत्तर भारत में इससे भी अधिक ऊंचाई पर किंग कोबरा देखे जाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। उनका मानना है कि सांप अब भोजन और आश्रय की तलाश में ऊंचाई पर जा रहे हैं।
उत्तराखंड में किंग कोबरा के अधिकांश दर्शन इंसानी आबादी के निकट हुए हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि इन क्षेत्रों में सांपों के लिए भोजन और आश्रय मिलने की संभावना अधिक होती है।
हिमालय और पूर्वोत्तर भारत की तलहटी में बर्मी अजगर जैसे बड़े और कम या गैर-जहरीले सांप भी रहते हैं। बर्मी अजगर दुनिया के सबसे बड़े सांपों में से एक होते हैं, जिनकी मादाएं नर की तुलना में बड़ी होती हैं। ये सांप पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों और उभयचरों जैसे शिकार को खोजने के लिए अपने गर्मी-संवेदन अंगों का उपयोग करके रात में शिकार करते हैं। बर्मी अजगर आम तौर पर शांत और मनुष्यों के प्रति सहनशील होते हैं। हालाँकि, कभी-कभी ग्रामीणों द्वारा उन्हें ज़हरीला सांप समझकर मार दिया जाता है।
यदि सापों की बात चल ही रही है तो आपको हमारे रामपुर में घटित एक चौंका देने वाला मामला भी सुनाते हैं। दरअसल रामपुर के स्वार तहसील क्षेत्र के अंतर्गत गांव मिर्ज़ापुर में एक नागिन ने नाग की हत्या का बदला लेने के लिए एक शख्स को 7 बार डंस लिया। लेकिन मज़े की बात यह है कि वह व्यक्ति हर बार जीवित बच गया। घटना सामने आने के बाद पूरे इलाके और आसपास के गांव वाले भी इस युवक को देखने के लिए उसके घर पर पहुंचने लगे। दरअसल रामपुर के स्वार तहसील क्षेत्र के अंतर्गत गांव मिर्ज़ापुर के रहने वाले एहसान उर्फ बबलू ने लाठी से वार कर नाग को मार दिया था। लेकिन नागिन किसी तरह से वहां से बचकर निकल गई थी। अब बबलू कह रहे हैं कि 7 महीने से एक नागिन उनके पीछे पड़ी हुई है।, और उन्हें 7 बार डंस चुकी है। नागिन और एहसान के बीच हो रही इस जंग में कुदरत दोनों का ही साथ दे रही है। लेकिन इसका अंत अभी भी किसी को नहीं पता। सांप के काटने की एक घटना रामपुर के मिलक के रठौडा स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर के मेला परिसर में भी देखने को मिली, जहाँ एक कांवड़िए को सांप ने डस लिया। हालांकि ड्यूटी पर तैनात दारोगा ने उन्हें नगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती करा दिया था और इलाज के बाद कांवड़िये की जान बच गई।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5dw6a4f7
https://tinyurl.com/5bz7zxfn
https://tinyurl.com/2ums8cth
https://tinyurl.com/2uynamjr
https://tinyurl.com/yc6w9n9y
https://tinyurl.com/nhafj5ab
https://tinyurl.com/3zztjwme
चित्र संदर्भ
1. एक सांप को दर्शाता एक चित्रण (staticflickr)
2. विभिन्न प्रजातियों के साँपों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. घने जंगल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. भारत में प्रजातियों के आधार पर सर्पदंश (2020 अध्ययन) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जंगल में सांप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सर्पदंश को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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