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आमतौर पर इंसानों को सीधे-सीधे कहने पर कोई बात उतनी आसानी से समझ में नहीं आती, जितनी आसानी से हमें फ़िल्में या कहानियां समझा देती हैं। प्राचीन भारतीय विद्वान पं॰ विष्णु शर्मा जी शायद इस तथ्य को भली भांति समझ चुके थे, जिसके बात उन्होंने संस्कृत में पंचत्रंत जैसे कालजई नीतिकथाओं की रचना कर डाली। इन्हीं "नीतिकथाओं" में एक शांत तोता नामक कहानी भी है, जो एक छोटे से समझदार तोते के माध्यम जीवन के बड़े-बड़े सबक सीखा जाती है। आज इस लेख में हम आपको उस रोचक और शिक्षाप्रद कहानी प्रस्तुत करने जा रहे हैं।
कहानी कुछ इस प्रकार है:
एक बार की बात है, एक जंगल में एक विशाल बरगद का पेड़ था, जहां बहुत सारे बातूनी (खूब बोलने वाले) तोते रहते थे। ये तोते दिन-रात बातें करना पसंद करते थे। हालांकि, उनमें मिट्ठू नाम का एक अनोखा तोता भी था, जो कि बहुत कम बोलता था। (*याद रखें कि ये कहानी पंचतंत्र की है, जिसमें पशु-पक्षी बोल सकते हैं।) दूसरे तोते जब मिट्ठू को देखते थे तो उन्हें बड़ी हैरानी होती कि, वह इतना शांत क्यों और कैसे रहता है? उसकी चुप रहने की आदत का सभी बातूनी तोते मजाक उड़ाते और उसे चिढ़ाने लगते थे।
एक दिन की बात है, उसी बरगद के पेड़ पर दो तोते गर्मियों के दौरान स्वादिष्ट आम खाने के बारे में बड़ी-बड़ी डींगें हांक रहे थे। सभी तोते बड़े उत्साह से आमों की चर्चा कर रहे थे। लेकिन, मिट्ठू हमेशा की तरह चुपचाप बैठा था। मिट्ठू की चुप्पी से हैरान उस झुण्ड के राजा ने उसे कहा कि ‘हम सब दिन भर बातें करते हैं, लेकिन तुम चुप रहते हों। मुझे लगता है कि तुम तोता नहीं हो, तुम नकली तोता हो।’
राजा के ऐसा कहने बाद पेड़ के सभी तोते उसे नकली तोता कहकर चिढ़ाने लगे थे। एक दिन तोतों के राजा की पत्नी का हार चोरी हो गया। उसने अपने पति से कहा, “मेरा हार चोरी हो गया है। मैंने चोर को देखा है। चोर के चेहरे पर पट्टी बंधी हुई थी। लेकिन उसकी चोंच बाहर थी, और लाल रंग की थी।” राजा ने सभी तोतों को इकट्ठा किया और चोर की पहचान करने में उनकी मदद मांगी। राजा ने हार की चोरी होने के बारे में सबको बताया और बताया कि चोर की चोंच लाल थी। ऐसे में एक तोता आया और बोला, “महाराज, हमारे समूह में केवल दो ही तोते हैं, जिनकी चोंच लाल है। इनमें से एक मिट्ठू तोता और दूसरा श्याम तोता है। आप उन दोनों से पूछ सकते हैं कि चोर कौन है? “
राजा उन दोनों से पूछताछ से हिचक रहा था, क्योंकि वे दोनों ही उसके समूह के थे और उसके अपने थे। ऐसे में उसने अपने दोस्त कौए की मदद ली। उसने अपने कौवे मित्र को बुलाया और सारी बात बतायी।
सब कुछ जानने के बाद कौआ उन दोनों से सवाल करने लगता है। सबसे पहले उन्होंने श्याम तोते से पूछा, “जब डकैती हुई थी तब तुम कहाँ थे?”
श्याम ने ऊंची आवाज में जवाब दिया, ''मैं रात का खाना खाकर सो गया था।''
कौवे ने पूछा "क्या आप सबूत दे सकते हैं, कि आप उस रात सो रहे थे?"
"हाँ।" श्याम तोते ने फिर आवाज उठाई और कहा, “यहाँ सब लोग मुझे जानते हैं। वे आपको बता सकते हैं कि मैं उस रात सो रहा था।
फिर कौए ने मिट्ठू तोते से पूछा, “तुम उस रात कहाँ थे?”
मिट्ठू तोते ने भी वही जवाब दिया, लेकिन शांति से ''मैं उस रात सो रहा था।''
दोनों की बात सुनकर कौवे ने बताया कि "असली चोर श्याम तोता है।" यह सुनकर राजा ने कौवे से पूछा, “तुम यह कैसे कह सकते हो कि श्याम ने चोरी की है।”
कौवे ने उत्तर दिया, ‘‘मैंने उन दोनों की बात सुनी। श्याम तोता तेज़ आवाज़ में बोल रहा था और वही मिट्ठू तोता बहुत ही सरल आवाज़ में बोल रहा था। जो झूठ बोल रहा है, उसने ऊंची आवाज में अपनी बात कहकर सच साबित कर दिया। इसलिए चोर श्याम तोता ही है।’’
यह सुनकर श्याम तोता राजा से माफ़ी मांगने लगा, क्योंकि उसकी चोरी पकड़ी गई थी। अब राजा ने श्याम तोते को दंड देने की सोची। ऐसे में मिट्ठू ने तोते राजा से कहा, “श्याम अपनी गलतियों के लिए माफ़ी मांग रहा है और उसने पहली बार चोरी की है। इसके लिए आप उसे क्षमा कर दें।” राजा ने मिट्ठू तोते की बात मान ली और श्याम तोते को माफ कर दिया।
कुल मिलाकर इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “ज्यादा बोलने से, दूसरों की नजरों में हमारा महत्व कम हो जाता है।”
यहां हमने आपके सामने तोते की यह कहानी इसलिए प्रस्तुत कि है क्यूंकि, भारत देश में तोते प्राचीन काल से ही न केवल कहानियों के माध्यम से सीख दे रहे हैं, बल्कि एक विद्वान ज्योतिषी के रूप में भविष्य बताने का भी काम कर रहे हैं। आपने अकसर कहीं सड़क के किनारे एक पिंजरे में एक तोते को पर्ची के माध्यम से भविष्य की जानकारी प्रस्तुत करते हुए देखा होगा इसको तोता ज्योतिष कहा जाता है। तोता ज्योतिष (Parrot Astrology), जिसे तोता भाग्य-कथन के रूप में भी जाना जाता है, ज्योतिष विज्ञान का एक अनूठा रूप है। इसके अंतर्गत एक तोता अनोखे तरीकों से किसी का भाग्य बताता है। इस प्रथा को आमतौर पर भारत के तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के साथ-साथ भारतीय सिंगापुर वासियों के बीच भी देखा जाता है। इस दिलचस्प अभ्यास में टैरो रीडिंग (Tarot Reading) की भांति फॉर्च्यून कार्ड (Fortune Card) का चयन करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित रोज़-रिंगेड और अलेक्जेंड्रिन पैराकेट्स (Rose-Ringed And Alexandrine Parakeets) जैसे तोतों का उपयोग किया जाता है।
तोते के माध्यम से कुछ इस प्रकार भाग्य बताया जाता है:
आमतौर पर एक तोता ज्योतिष (Parrot Astrologer) या भविष्यवक्ता, एक पेड़ के नीचे या सड़क के किनारे बैठता है जहां लोग इकट्ठा होते हैं। उसके पास एक पिंजरा होता है जिसमें एक या दो कुशल तोते रखे होते हैं। इन तोतों के सामने टैरो जैसे कार्ड रखे हुए होते हैं, जिनकी कुल संख्या 27 (भारतीय ब्रह्मांडीय प्रणाली का प्रतीक) होती है। प्रत्येक कार्ड में एक हिंदू देवताओं का चित्रण होता है, और कुछ में शिशु यीशु (Jesus) के अलावा बुद्ध या वर्जिन मैरी (Virgin Mary) जैसी धार्मिक आकृतियों की छवियां भी होती हैं।
इनके पास जब कोई ग्राहक अपना भाग्य पूछने के लिए आता है, तो ज्योतिष एक तोते को पिंजरे से मुक्त कर देते हैं और उसे एक कार्ड चुनने का निर्देश देते हैं। तोता अपनी चोंच से फैले हुए ढेर में से एक कार्ड चुनता है, और उसे ज्योतिष के सामने रखता है।
कार्ड सौंपने के बाद, तोता अपने पिंजरे में लौट आता है। इसके बाद ज्योतिषी कार्ड की छवि देखकर अपने ग्राहक को उसका भाग्य बताता है। सिंगापुर में, विशेष रूप से सेरांगून रोड (Serangoon Road) पर ये अभ्यास एक लोकप्रिय आकर्षण बन गया है। इसके अतिरिक्त, इस प्रथा का एक स्वरूप पाकिस्तान में भी देखा जाता है। हालांकि, हाल के दिनों में भारतीय लोग तोता ज्योतिष में रुचि कम रखने लगे हैं, इसके अलावा संरक्षण के अभाव के कारण भी तमिलनाडु में तोता ज्योतिष का चलन कम हो रहा है।
हालांकि, भारत में तोतों की लोकप्रियता और उनके प्रति लगाव कदापि कम नहीं हुआ है, जिसका एक प्रमाण हमारे रामपुर में देखने को मिला है। दरसल साल 2019 में सोशल मीडिया (Social Media) पर हमारे रामपुर से लापता तोता चर्चा का केंद्र बन गया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि, इस नौ साल के तोते को ढूढ़ने के लिए रिक्शे पर लाउडस्पीकर (Loudspeaker) लगाकर तोते को सुरक्षित वापस लाने वाले को 20,000 रुपये का इनाम देने की घोषणा की गई। पाली नाम का यह तोता, पूर्व रामपुर शाही परिवार की उत्तराधिकारी सनम अली खान का प्रिय पालतू पक्षी था। यह रामपुर के खास बाग पैलेस में रहता था।
पॉली कोई ऐसा-वैसा तोता नहीं था। इसमें एक अनोखी प्रतिभा थी। यह हर दिन सिडनी (Sydney) में सनम की बहन के साथ स्काइप (Skype) पर बात भी करता था और अपने पसंदीदा ड्राई फ्रूट्स (Dry Fruits) के नाम बताता था। सनम स्नेहपूर्वक बताती हैं कि उन्होंने तोते का नाम 1998 की पुरस्कार विजेता हॉलीवुड फिल्म "पॉली" के नाम पर रखा था, जो एक तोते के जीवन के बारे में थी।
तोते के गुमशुदा होने के बाद शहर में व्हाट्सएप ग्रुप (Whatsapp Groups) के माध्यम तोते की तस्वीरों को खूब साझा किया गया। सनम ने बताया कि पॉली एक बुद्धिमान तोता था, जो वाक्यांशों को दोहराने के बजाय सवालों का जवाब देने में सक्षम था। 37 वर्षीय सनम अली खान, रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी में वरिष्ठ संरक्षक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सनम मुगल-युग की लघु चित्रकला में विशेषज्ञ हैं और मुगलों के बीच तोते के प्रति प्रेम और लापता तोते के बीच संबंध से भली भांति परिचित हैं। सनम जी के साथ-साथ हम भी यही उम्मीद करते हैं कि उनका प्रिय "पॉली" पूरी तरह से सुरक्षित रहे, और उसे उचित देखभाल तथा भोजन मिलता रहे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4h7yfphp
https://tinyurl.com/2p82as2t
https://tinyurl.com/y9vz6zpf
चित्र संदर्भ
1. दो तोतों को संदर्भित करता एक चित्रण (PxHere)
2. पेड़ की डाल पर बैठे तोते को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
3. कतार में बैठे तोतो को दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
4. पिंजरे के भीतर तोते को दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
5. तोता ज्योतिष को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. अकेले बैठे तोते को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
7. सनम अली खान और उनके तोते को दर्शाता चित्रण (Youtube)
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