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गायें मनुष्य के लिए सबसे उपयोगी जानवरों में से एक मानी जाती हैं। विकासशील देशों में, एक गाय एक परिवार की खेती में मदद करती है, उन्हें दूध प्रदान करती है, और ग्रामीण परिवार इसके सूखे गोबर का उपयोग,चूल्हे की आग के लिए या भवन निर्माण सामग्री के रूप में या अपने खेतों में खाद के रूप में कर सकते हैं। गायें इतनी मूल्यवान हैं कि कुछ देशों में, जब दुल्हन अपने पति के परिवार में चली जाती है तो लोग पारंपरिक रूप से शादी के अनुबंध के हिस्से के रूप में गाय का आदान-प्रदान करते हैं। हालांकि इन सभी फायदों के बावजूद भी 800 से 4,000 पाउंड के औसत वजन वाली, गायों को खिलाना और उनका रखरखाव करना काफी महँगा सौदा साबित हो सकता है। इसीलिए वैज्ञानिकों द्वारा कृत्रिम रूप से बौनी गायें विकसित की गई हैं जो बहुत कम संसाधन का उपभोग करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि "रानी" नाम की, एक दुनिया की सबसे छोटी गाय की लंबाई केवल 20 इंच और वजन केवल 57 पाउंड था।
रानी एक ऐसी ही भूटानी गाय (Bhutanese Cow) थी, जिसकी लंबाई केवल 20 इंच और वजन मात्र 57 पाउंड था। सोशल मीडिया में आने के बाद वह दुनिया की सबसे छोटी गाय के रूप में मशहूर हो गई। रानी, बांग्लादेश के एक खेत में पैदा हुई थी और अन्य गायों की तुलना में बहुत छोटी थी। जब 2021 में उनकी कहानी इंटरनेट पर वायरल हुई तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिलने लगी।
दुर्भाग्य से, गायों में बौनेपन के कारण उन्हें कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी उम्र भी कम हो जाती है। इसी कारण रानी भी केवल दो साल तक जीवित रहीं। लेकिन इंटरनेट की मदद से उसे अपने छोटे जीवन काल में ही दुनिया भर में खूब प्यार और प्रशंसा मिली।
रानी के अलावा, कुछ अन्य छोटी गाय की नस्लें भी हैं, जिन्हे अपने छोटे आकार के कारण जाना जाता है। गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (Guinness Book Of Records) के अनुसार, दक्षिण भारत के केरल की वेचूर गाय, बौनी गायों की सबसे छोटी नस्ल है। ये गायें जितना खाती हैं, उसकी तुलना में काफी अधिक मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं, लेकिन ये गायें भी आज विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं।
वेचूर गाय मुख्यतः भारत के केरल के वेचूर नामक गाँव में ही पाई जाती है। यह बौनी नस्ल केरल की गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित हो गई है। इन्हें न्यूनतम भोजन की आवश्यकता होती है और उनमें रोगों के प्रति उच्च प्रतिरोधक क्षमता होती है। केरल के किसान इन मनमोहक गायों को आम संकर नस्लों की तुलना में अधिक बुद्धिमान, प्यारी और उपयोगी मानते हैं। अपने छोटे आकार के बावजूद, वेचूर बैल, आश्चर्यजनक रूप से ताकतवर होते हैं और पारंपरिक रूप से दलदली धान के खेतों की जुताई के लिए उपयोग किए जाते थे। पहले के समय में वेचूर गाय केरल में काफी लोकप्रिय थी, लेकिन आज यह दुर्लभ हो गई हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि आज लोगों ने इसका अन्य गाय की नस्लों के साथ संकरण कराना शुरू कर दिया। वर्ष 2000 तक, लगभग 200 वेचूर गायें बची थीं, जिनमें से लगभग 100 की देखभाल पशु चिकित्सा महाविद्यालय द्वारा की जाती थी।
वेचूर गाय लगभग विलुप्त हो गई थी, लेकिन सोसम्मा इयपे नामक प्रोफेसर और उनके छात्रों की टीम के प्रयासों की बदौलत उन्हें बचा लिया गया। सोसम्मा इयपे ने स्थानीय किसानों की मदद से 1989 में एक संरक्षण इकाई और बाद में 1998 में एक संरक्षण ट्रस्ट शुरू किया। वेचूर गायें आकार में छोटी, लगभग 90 सेमी लंबी और इनका वजन लगभग 130 किलोग्राम होता है। वे प्रति दिन 3 लीटर तक दूध का उत्पादन करती हैं, जो अन्य संकर गाय नस्लों की तुलना में कम है। हालांकि, माना जाता है कि वेचूर गाय के दूध में कई औषधीय गुण होते हैं और कम वसा ग्लोब्युल्स (Low Fat Globules) के कारण यह आसानी से पच भी जाता है। हाल के अध्ययनों ने वेचूर गाय के दूध में मौजूद लैक्टोफेरिन प्रोटीन (Lactoferrin Protein) के औषधीय गुणों पर भी प्रकाश डाला है। इसमें आर्जिनिन (Arginine) नामक एक अमीनो एसिड (Amino Acid) होता है जो घाव भरने, कोशिका वृद्धि, कोशिका संचार और हृदय रोगों के प्रबंधन जैसे चिकित्सीय कार्यों के लिए जाना जाता है। वेचूर गाय के दूध का उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता रहा है और हाल के अध्ययनों से पता चला है कि इसमें रोगाणुरोधी गुण भी होते हैं। वेचुर गायों के दूध से बना घी अपने औषधीय महत्व के लिए भी जाना जाता है।
पिछले दिनों इन गायों से जुड़ा एक बड़ा विवाद उत्पन्न हो गया जब स्कॉटलैंड (Scotland) की एक कंपनी पर यह आरोप लगा कि वे लोग वेचूर गाय के जेनेटिक कोड (Genetic Code) का पेटेंट (Patent) कराने की कोशिश कर रही है। हालाँकि, यह आरोप झूठा साबित हुआ।
आपको वेचूर के अलावा भी छोटी गायों की कई नस्लें देखने को मिल सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुखों की सूची निम्नवत दी गई है:
1. पुंगनूर: ये गायें दक्षिणी भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के चित्तूर ज़िले के पुंगनूर शहर में देखी जाती हैं। ये छोटे, सफेद या हल्के भूरे रंग के होती हैं और इनके सींग छोटे होते हैं। इनकी पीठ कूबड़ वाली होती है जो इनके कंधों से लेकर पिछले हिस्से तक झुकी होती है। ये लगभग 27-35 इंच लंबी होती हैं और इनका वजन 253-440 पाउंड के बीच होता है। पुंगनूर गायें प्रतिदिन लगभग एक गैलन दूध देती हैं और उन्हें केवल 11 पाउंड चारे की आवश्यकता होती है। इनके दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। वेचूर की भांति ये गायें भी विलुप्त होने के करीब हैं।
2. डेक्सटर (Dexter): डेक्सटर, गाय की एक आयरिश (Irish) नस्ल है, जिसका उपयोग गोमांस और दूध दोनों के लिए किया जाता है। इन वयस्क गायों का वजन लगभग 600-700 पाउंड होता है, जो उन्हें छोटी गाय की नस्लों में से एक बनाता है। इनमें बौनेपन का जीन (Dwarf Gene) होता है, जो उन्हें अपने झुंड की अन्य गायों की तुलना में 6-7 इंच छोटा बनाता है। हालांकि, वे फुफ्फुसीय हाइपरप्लेसिया (Pulmonary Hyperplasia) नामक विकार के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, जो उनके फेफड़ों के विकास को प्रभावित करता है। इस विकार के निदान के लिए डीएनए परीक्षण की आवश्यकता होती है।
3. मिनिएचर ज़ेबू (Miniature Zebu): यह एक आधुनिक अमेरिकी नस्ल है, जिसकी उत्पत्ति दक्षिणी भारत के छोटे मवेशियों से हुई है। इनमें गर्मी और रोग-प्रतिरोधी गुण होते हैं और ये मक्खियों को दूर रखने के लिए अपनी त्वचा को चिकोटती हैं। ज़ेबू धीरे-धीरे परिपक्व होती है, लेकिन 18 से 21 साल तक जीवित रह सकती है। ये गायें बुद्धिमान और शांत स्वभाव की होती हैं।
4. लघु जर्सी (Short Jersey): लघु जर्सी, मानक जर्सी गायों का छोटा संस्करण होती है। ये लगभग 36-42 इंच लंबे होती हैं और इनका वजन 500-800 पाउंड होता है। इनकी बड़ी किस्म 62 इंच तक पहुंचती है और उनका वजन 800-1,200 पाउंड होता है। इन गायों को अपने सौम्य और नम्र स्वभाव के लिए जाना जाता है। ये उच्च मात्रा में प्रोटीन और घी प्रदान करती हैं।
छोटे आकार के कारण कई मामलों में इन गायों को अधिक देखभाल की आवश्यकता भी होती है, जैसे:
1. भोजन और पानी: ये गायें घास और अनाज खाती हैं, जिनकी मात्रा और प्रकार उम्र, वजन और स्वास्थ्य जैसे कारकों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती हैं। उन्हें स्वच्छ और नियमित जल आपूर्ति की आवश्यकता होती है।
2. आवास: स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए गायों को ऐसे आश्रय की आवश्यकता होती है जो अच्छी तरह हवादार हो और जिसे नियमित रूप से साफ किया जाता हो।
3. व्यायाम: गायों को घूमने-फिरने और अपनी मांसपेशियों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए बंद चरागाहों की आवश्यकता होती है।
4. संवारना: नियमित रूप से ब्रश करने से इन्हे गंदगी, ढीले बाल हटाने में मदद मिलती है और उनके कोट स्वस्थ रहते हैं।
5. पशु चिकित्सा देखभाल: इन नन्ही गायों को टीकाकरण, कृमि मुक्ति और पेशेवरों से नियमित जांच की आवश्यकता होती है।
यदि आप छोटी गाय पालने की योजना बना रहे हैं, तो गहन शोध करें और अनुभवी मालिकों से सलाह अवश्य लें।
संदर्भ
Https://T.Ly/Hl-U
Https://T.Ly/Btjx
Https://Tinyurl.Com/5yjyu4ku
Https://Tinyurl.Com/4ett52ek
Https://Tinyurl.Com/5bjfhxx4
Https://Tinyurl.Com/Bdf69wfe
चित्र संदर्भ
1. रानी नाम की बौनी गाय को दर्शाता चित्रण (Youtube)
2. बौनी गायों को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
3. रानी को संदर्भित करता एक चित्रण (Youtube)
4. पुंगनूर मवेशी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. डेक्सटर, गाय को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. मिनिएचर ज़ेबू को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
7. लघु जर्सी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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