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हम में से अधिकांश लोगों का बचपन, बाग-बगीचों में तितलियों के पीछे भागते हुए बीता है! लेकिन आज हमें उतनी तितलियां नहीं दिखाई देती, जितनी कि आज से एक या दो दशक पहले दिखाई देती थीं। हालांकि, बचपन बीत जाने के बावजूद भी यदि आपके भीतर तितलियों या कीट-पतंगों के संसार को जानने की जिज्ञासा बनी हुई है, तो आप हमारे रामपुर से मात्र 3 घंटे की दूरी पर सुंदर कुमाऊँ पहाड़ों के बीच बसे भीमताल में मौजूद “तितली अनुसंधान केंद्र” का भ्रमण कर सकते हैं, जो तितली प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं है।
भीमताल का तितली संग्रहालय, जिसे तितली अनुसंधान केंद्र (Butterfly Research Center) भी कहा जाता है, एक अनोखा संग्रहालय है, जो उत्तराखंड के भीमताल में प्रसिद्ध जून एस्टेट (June Estate) में स्थित है। यह एक निजी संग्रहालय है, जहां पिछले कई वर्षों के दौरान दुनियाभर से लगभग 2500 तितलियों और पतंगों के नमूने एकत्र किए गए हैं। जून एस्टेट, फ्रेडीज़ प्लेस (Freddy's Place) के बगल में एक विशाल संपत्ति है, जो एक आकर्षक औपनिवेशिक बंगला है, जिसे अब एक होटल में तब्दील कर दिया गया है। संग्रहालय के अंदर, आप हजारों तितलियों और कीटों को देख सकते हैं, जिन्हे सावधानी से संरक्षित किया गया है तथा ये उत्कृष्ट स्थिति में हैं। इस प्रदर्शन में शामिल कुछ तितलियाँ विदेशी मूल की भी हैं। इन्हें अनुसंधान उद्देश्यों के लिए दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से यहां लाया गया है। इस संग्रहालय में विभिन्न प्रकार की तितलियों और पतंगों को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें बड़े और भयानक दिखने वाले कीटों से लेकर रंगीन और नाजुक तितलियां भी शामिल हैं। अटाकस एटलस कीट (Attacus Atlas Insect), जो दुनिया का सबसे बड़ा कीट है, को इस संग्रहालय के मुख्य आकर्षणों में से एक माना जाता है ।
इस शानदार संग्रहालय का स्वामित्व और देखरेख ‘भारत के बटरफ्लाई मैन’ (Butterfly Man Of India) के नाम से मशहूर फ्रेडरिक स्मिटाचेक सीनियर (Frederick Smetacek Sr) और उनके बेटे फ्रेडरिक स्मिटाचेक जूनियर (Frederick Smetacek Jr) तथा पीटर स्मिटाचेक (Peter Smetacek) करते हैं। पीटर स्मिटाचेक तितली और प्रकृति संरक्षण क्षेत्रों में एक प्रतिष्ठित लेपिडोप्टरिस्ट (Lepidopterist) अर्थात तितली विशेषज्ञ हैं। उन्होंने अपने गृह नगर भीमताल के साथ-साथ अन्य स्थानों पर भी तितलियों का अध्ययन किया है। यहां तक कि उन्होंने भारत के पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों की तितलियों पर एक फेलोशिप (Fellowship) भी की है। पीटर स्मिटाचेक ने 2012 में ‘बटरफ्लाईज़ ऑन द रूफ ऑफ द वर्ल्ड’ (Butterflies On The Roof Of The World) नामक एक संस्मरण भी प्रकाशित किया। उन्होंने अपना जीवन भीमताल क्षेत्र में पर्यावरण शोषकों से जंगलों, जल निकायों और प्रजातियों की रक्षा करने के लिए समर्पित कर दिया है।
भीमताल में ‘पीटर स्मिटाचेक बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर और संग्रहालय’ (Peter Smetacek Butterfly Research Center and Museum), दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। उनके पिता, फ्रेडस्मिटाचेक ‘द रिट्रीट’ (The Retreat) नामक एक गेस्ट हाउस (Guest House) चलाते थे, जो आज भी लोकप्रिय है। पीटर की पारिवारिक पृष्ठभूमि काफी दिलचस्प है। उनके पिता चेक गणराज्य (Czech Republic, Europe) के नागरिक हैं मां भारतीय हैं, जो टीपू सुल्तान की वंशज हैं। पीटर जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और प्रजातियों के अंतर्संबंध के बारे में अत्यधिक जानकारी रखते हैं। पीटर स्मिटाचेक को बचपन से ही तितलियां बहुत पसंद थीं। पीटर उत्तराखंड के खूबसूरत शहरों नैनीताल और भीमताल में पले-बढ़े। उनके पिता चेक गणराज्य, यूरोप से आये थे और प्रकृति से प्रेम करते थे। पीटर ने तितलियों के बारे में अपने पिता से तब सीखना शुरू कर दिया था, जब वह मात्र दो साल के थे। पढाई शुरू करने से भी पहले ही उन्होंने तितलियों के बारे में जानना शुरू कर दिया था।
2010 में, पीटर ने अपने घर को ही बटरफ्लाई रिसर्च सेंटर और संग्रहालय में बदल दिया था। यह स्थान किताबों, फर्नीचर और दिलचस्प चीज़ों से भरा हुआ है। पीटर तितलियों और पतंगों के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए भी कीड़ों का उपयोग किया है। हालाँकि, अपने इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। जैसे 1980 के दशक में, उन्हें अपने पिता के कीट और तितली नमूनों का संग्रह फिर से पुनः निर्मित करना पड़ा, क्योंकि पुराने संग्रह संग्रहालय के भृंगों द्वारा नष्ट कर दिए गए थे। खोए हुए नमूनों को दोबारा इकट्ठा करने में उन्हें कई साल लग गए। पीटर का संग्रह भारत में तितलियों का सबसे बड़ा निजी संग्रह माना जाता है। पीटर का काम केवल तितलियों पर केंद्रित नहीं है। वह पतंगों और उनके वर्गीकरण का भी अध्ययन करते हैं।
तितलियों और उनके पैटर्न के बारे में बताते हुए पीटर कहते हैं कि “सभी तितलियों के रंग और आकार विशिष्ट होते हैं जो उन्हें अपने परिवेश के साथ घुलने-मिलने में मदद करते हैं। कुछ तितलियों के पास शिकारियों को चेतावनी देने और खुद को जहरीला दिखाने के लिए चमकीले रंग होते हैं। शिकारियों को डराने के लिए कुछ तितलियों के पंखों पर आँख जैसे धब्बे भी होते हैं।“ पीटर का मानना है कि तितलियों के रंग और पैटर्न में कई रहस्य छिपे हैं और उनके बारे में अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी है।
तितलियों को उनकी सुंदरता और शोभा के कारण सभी लोग पसंद करते हैं। जैव विविधता के अध्ययन और संरक्षण के लिए तितली के नमूनों को एकत्र करना और संरक्षित करना बेहद जरूरी हो गया है। संरक्षित नमूनों से उनकी शरीर रचना विज्ञान और डीएनए विश्लेषण (DNA Analysis) का विस्तृत अध्ययन किया जा सकता है। दूरस्थ स्थानों और मौजूदा संग्रहालयों में तितली की नई प्रजातियां लगातार खोजी जा रही हैं। विलुप्त प्रजातियों का अध्ययन केवल संग्रहालयों में ही किया जा सकता है।
यदि आप भी तितलियों को इकट्ठा करने और संरक्षित करने की इच्छा रखते हैं, तो नीचे कुछ कदम दिए गए हैं, जिनका आप पालन कर सकते हैं:-
1. नमूनों को इकट्ठा करना, मारना और भंडारण करना: तितली को पकड़ने के लिए हवाई जाल का उपयोग करें। शीघ्रता से अचेत करने और क्षति से बचने के लिए उसके वक्ष को अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच दबाएँ। मृत तितली को एक लिफ़ाफ़े या कागज के त्रिकोण में डालें। इनके नमूनों को मोथबॉल (Mothball) या कीटनाशक के साथ कसकर बंद होने वाले बक्सों में एकत्र करें।
2. अक्षुण्ण सूखे नमूने: नमूनों के संरक्षण के लिए एक जार या प्लास्टिक बॉक्स (Plastic Box) का उपयोग करें। फफूंदी को रोकने के लिए कंटेनर (Container) में पानी और एंटीसेप्टिक (Antiseptic) से गीला एक मुड़ा हुआ कागज का टुकड़ा या तौलिया रखें। बंद कंटेनर में उच्च आर्द्रता, समय के साथ नमूने को संरक्षित रखेगी ।
3. नमूने को पिन करना: ढीले नमूने को उसके लिफाफे से सावधानीपूर्वक हटा दें। पंखों के बीच वक्ष के मध्य में एक कीट पिन डालें और पंखों को सतह के ठीक ऊपर रखते हुए नमूने को एक माउंटिंग बोर्ड (Mounting Board) पर पिन करें।
4. पंखों, शरीर और एंटीना (Antenna) को माउंट करना: पंखों की सतहों को बिना छुए, कागज की पट्टियों और पिनों का उपयोग करके पंखों को नीचे की ओर मोड़ें। शरीर को मुड़ने से बचाने के लिए कीट पिन का उपयोग करके सामने के पंखों को अलग-अलग आगे की ओर खींचें। एंटीना और पेट की स्थिति को समायोजित करें। पिनों को पेपर स्ट्रिप्स (Paper Strips) के सिरों से विंग मार्जिन (Wing Margin) के ठीक बाहर तक ले जाकर नमूने को सुरक्षित करें। मुड़ने से रोकने के लिए खुले पंख की सतह पर कागज के चौड़े टुकड़े रखें। नमूने को कई दिनों से लेकर एक सप्ताह तक सूखने दें।
5. स्थापित नमूनों का भंडारण: स्थापित नमूनों को कसकर बंद होने वाले बक्सों में रखें। रंगों को फीका पड़ने से बचाने के लिए उन्हें सीधी धूप के संपर्क में लाने से बचें। उचित रूप से संग्रहित नमूने कई वर्षों तक चल सकते हैं।
संक्षेप में समझें तो इस प्रक्रिया में लंबे समय तक संरक्षण और प्रदर्शन के लिए तितली के नमूनों को इकट्ठा करना, मारना, आसानी से रखना, पिन करना, माउंट करना और संग्रहित करना शामिल है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4vpr6f9p
https://tinyurl.com/yc5kukud
https://tinyurl.com/yc65hb6w
https://tinyurl.com/j9zbvjs7
https://tinyurl.com/mrys7cpy
चित्र संदर्भ
1. तितली अनुसंधान केंद्र को दर्शाता चित्रण (flickr)
2. पीटर स्मिटाचेक और उनके तितली संग्रह’ को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. तितली संग्रह’ को दर्शाता चित्रण (youtube)
4. तितलियों के संग्रह को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. सुंदर तितली को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
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