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हमारे शहर रामपुर में सन् 1774 से 1949 तक नवाबों का राज था। आज, नवाबी दौर खत्म हो चुका है; लेकिन, नवाबी दौर में बनी ऐतिहासिक इमारतें आज भी अपनी बुलंदी की कहानी सुनाती है।ऐसी ही एक नवाबी इमारत शहर के रेलवे स्टेशन के पास है,जिसे नवाब स्टेशन के नाम से जाना जाता है।
जब हम रामपुर रेलवे स्टेशन पर आते–जाते है, तो अक्सर ही इसके पास स्थित एक इमारत पर हमारी नज़र पड़ती है। यह किसी ज़माने में एक आलीशान इमारत थी । दरअसल यही इमारत नवाबों का निजी रेलवे स्टेशन था। यहीं से नवाबों की अपनी निजी ट्रेन चलती थी। रामपुर के नवाबों ने जिस ट्रेन का इस्तेमाल किया था, उसकी दो बोगियां आज भी नवाब स्टेशन पर खड़ी हैं। हालांकि, अब इनकी हालत बदहाल हो चुकी है। लेकिन, रेलवे स्टेशन की बनावट और ट्रेन की बोगियों को देखने से ही, नवाबी दौर के रुतबे का अहसास होता है।इन बोगियों का निर्माण बड़ौदा इस्टेट रेल बिल्डर्स (Baroda estate rail builders) द्वारा साल 1924 में किया गया था। वर्ष 1925 में रामपुर के नौवें नवाब, हामिद अली खां ने शाही घराने के उपयोग के लिए ये बोगियां खरीदी थीं। हामिद अली खां के दौर में जब हमारे जिले से रेलवे लाइन गुजरी, तो उन्होंने मुख्य रेलवे स्टेशन के पास ही अपने लिए एक अलग स्टेशन बनवा लिया। तब 40 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन भी बिछाई गई। यह रेलवे लाइन रामपुर और मिलक शहरों के बीच फैली हुई थी। दिल्ली या लखनऊ आते–जाते समय नवाब परिवार अपने महल से सीधे नवाब स्टेशन जाते थे और यहां से अपनी बोगियों में बैठ जाते थे।
नवाब की ट्रेन में दरअसल चार बोगियां थीं। जब भी नवाबों को कहीं आना-जाना होता था, तो वे इन्हीं बोगियों से अपने पूरे दलबल के साथ प्रवास करते थे। वर्ष 1925 से ब्रिटिश इंडियन गवर्नमेंट (British Indian Government) रेलवे प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी खुद संभालने लगी। और इसी दौर में रामपुर के नवाबों ने सफर के लिए ट्रेनका इस्तेमाल करना शुरू किया था। उस समय जब नवाब या उनकी अनुमति से किसी को ट्रेन से सफर करना होता, तो सरकार के रेल मंत्रालय को सूचना दी जाती थी। फिर ट्रेन का समय और मार्ग तय किया जाता था। जो ट्रेन इस मार्ग से जा रही होती थी, उसी ट्रेन में बोगियां जोड़ दी जाती थी।
सन 1930 में हामिद अली खां का निधन हो गया। इसके बाद रजा अली खां रामपुर के नवाब बन गए। फिर वह इस ट्रेन का उपयोग करने लगे। हालांकि 1947 में हमारे देश को आज़ादी मिलने के बाद इस व्यवस्था में बदलाव हुआ था। रियासतों के ऐसे मसलों के प्रबंधन हेतु एक रियासत मंत्रालय बनाया गया था। हालांकि आज यह मंत्रालय अस्तित्व में नहीं है।
इस ट्रेन में नवाब ने कुल चार दालान (Saloon) बनवाए थे। प्रत्येक में दो व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था थी। कहा जाता है कि उस समय में भी यह पूरी बोगी वातानुकूलित थी। इसमें दो शयन कक्ष और स्नानघर भी थें। यह दालान कमरे की तरह था, जिसमें दीवारों पर सजावट के लिए पेंटिंग भी लगी हुई थीं।ट्रेन में रसोईघर भी होता था तथा ट्रेन में खानसामे और नौकर भी चला करते थे। सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए, ट्रेन का एक डिब्बा सैनिकों की टुकड़ी के लिए समर्पित था।
आज़ादी के समय जब भारत का विभाजन हुआ, तब रामपुर के नवाबों ने भारत के साथ रहने का निर्णय लिया। हालांकि, जिन लोगों ने पाकिस्तान जाना तय किया, उन लोगोंको नवाब ने अपनी ट्रेन से पाकिस्तान भी छुड़वाया था। वर्ष 1954 में नवाब ने अपनी ट्रेन की दो बोगियां भारत सरकार को दे दीं। 1966 में नवाब रजा अली खां का निधन हुआ, लेकिन वे तब तक इन बोगियों का इस्तेमाल करते रहे।
नवाबों की विलासी ट्रेनों की तरह ही, भारतीय लक्ज़री ट्रेनें (Luxury trains) भारत की सांस्कृतिक विरासत के साथ विलासिता का भी अनुभव, आगंतुकों को कराती हैं। उनकी भव्यता, मनमोहक सजावट, शाही माहौल, स्वादिष्ट भोजन, सख्त सुरक्षा उपाय और लगभग हर चीज का मज़ा हम ले सकते हैं । ये ट्रेनें आराम से यात्रा करते हुए, यात्रियों को भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को देखने का मौका देती हैं। आप भी भारतीय रेलवे और आईआरसीटीसी (IRCTC–Indian Railway Catering and Tourism Corporation) द्वारा पेश की जाने वाली शाही ट्रेन यात्राओं का लाभ उठाकर भारत की विलासमय यात्रा कर सकते हैं। आइए ऐसी ही कुछ ट्रेनों के बारे में पढ़ते हैं:
•महाराजा एक्सप्रेस(Maharaja Express): महाराजा एक्सप्रेस भारत की सभी लक्ज़री ट्रेनों में सबसे अच्छी मानी जाती है।यह दुनिया की शीर्ष पाँच लक्ज़री ट्रेनोंमें से भी एक है। इसके टिकट की कीमत 2 से 5 लाख तक हो सकती है।इसमें नौकर सेवाएं, शानदार कक्ष, बार और बेहतरीन आतिथ्य के लिए कर्मचारी शामिल होते हैं। इस ट्रेन को वर्ष 2012, 2013 और 2014 में "विश्व की अग्रणी लक्जरी ट्रेन" का खिताब मिला है। महाराजा एक्सप्रेस पांच अलग-अलग मार्गों पर यात्रा करती है। वे मार्ग अक्तूबर से अप्रैल महीने तक खुले रहते हैं।
• पैलेस ऑन व्हील्स (Palace on Wheels)
यह दुनिया की चौथी सबसे अच्छी लक्ज़री ट्रेन मानी जाती है। यह यात्रियों को राजस्थान की सैर कराती है। पैलेस ऑन व्हील्स की बनावट एक शाही महल जैसी है। शानदार केबिन(Cabin), शानदार भित्ति पत्रण, बार, बेहतरीन आतिथ्य और स्थानीय संस्कृति का सौंदर्य, जो चित्रों और हस्तशिल्प के कलात्मक उपयोग का प्रतिनिधित्व करती है- ये सब पहल इस ट्रैन की खूबी है। इसका परिचालन सितंबर से अप्रैल महीने तक होता है। इसकी टिकट की कीमत 3.63 लाख से शुरू होती है।
•द डेक्कन ओडिसी(The Deccan Odyssey)
डेक्कन ओडिसी पहियों पर मानो एक पांच सितारा होटल ही है। यह आपको भारत के कुछ आकर्षक स्थानों की सैर कराता है। ट्रेन मेंकुशल रसोइयों द्वारा बनाए गए व्यंजन प्रदान करने वाले बहु-व्यंजन रेस्तरां(Restaurants), आरामदेह मालिश के लिए एक स्पा(Spa,) और साथ ही कई अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं। डेक्कन ओडिसी अक्तूबर से अप्रैल तक छह अलग-अलग मार्गों पर यात्रा करती है। इस ट्रेन की एक टिकट की शुरुआती कीमत 4.27 लाख है।
•स्वर्ण रथ: कर्नाटक राज्य पर्यटन बोर्ड की एक पहल, स्वर्ण रथ, हमें कई विश्व धरोहर स्थलों की यात्रा कराती है और यह देश के कुछ सबसे लुभावने प्राकृतिक खजानों से होकर गुजरती है। ट्रेन के 11 अतिथि केबिन, मैसूर शैली में उत्कृष्ट रूप से सुसज्जित किए गए है। इन केबिन के नाम सत्ता में रहे अलग–अलग वंशों के नाम पर रखे गए हैं।स्वर्ण रथ का परिचालन अक्तूबर से मार्च तक होता है। ट्रेन के एक टिकट की शुरुआती कीमत प्रति रात के लिए 16,000 है।
•फेयरी क्वीन एक्सप्रेस(Fairy Queen Express): शानदार ट्रेन यात्रा की पेशकश करने वाली भारत की कुछ ट्रेनों में फेयरी क्वीन एक्सप्रेस एक अन्य ट्रेन है। यह सबसे पुराने ऑपरेटिंग स्टीम इंजन(Operating steam engine) द्वारा संचालित है, तथा राजस्थान से लेकर अलवर तक घूमती है।यही फेयरी क्वीन का आकर्षण है। यह 1855 के आसपास बनायीगई थी। गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Guinness Book of World Records) और राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार में यह ट्रेन भारत की सबसे शानदार ट्रेनों में उल्लिखित है। यह अक्तूबर से मार्च महीने तक, प्रत्येक महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को संचालित होती है। इसकी एक टिकट की कीमत प्रति रात 8,600 से शुरू होती है।
संदर्भ
https://bit.ly/43zDimQ
https://bit.ly/3oYM0fw
https://bit.ly/3X2ft4J
https://bit.ly/3NxMJ0R
https://bit.ly/3p1jzxt
चित्र संदर्भ
1. रामपुर के नौवें नवाब, हामिद अली खां और ट्रेन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, Pxfuel)
2. रामपुर के नवाबों ने जिस ट्रेन का इस्तेमाल किया था, उसकी दो बोगियां आज भी नवाब स्टेशन पर खड़ी हैं। को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. 1854 में ईस्ट इंडियन रेलवे की पहली ट्रेन - को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. रामपुर के नवाबों के व्यक्तिगत रेलवे स्टेशन को दर्शाता चित्रण (youtube)
5. महाराजा एक्सप्रेस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. पैलेस ऑन व्हील्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. द डेक्कन ओडिसी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. स्वर्ण रथ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. फेयरी क्वीन एक्सप्रेस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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