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क्रिस्टोफ वॉन फ्यूरर-हैमनडॉर्फ (Christoph von Fürer-Haimendorf) एक ऑस्ट्रियाई-ब्रिटिश मानवविज्ञानी (Austrian-British anthropologist) थे, जिन्होंने भारत में जनजातीय समुदायों के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। विशेष रूप से, उन्होंने मध्य भारत में दक्कन क्षेत्र की जनजातियों का अध्ययन करने में कई साल बिताए। फ्यूरर-हैमनडॉर्फ इन समुदायों की जटिल सामाजिक और सांस्कृतिक संरचनाओं को समझने में रुचि रखते थे। साथ ही वे उन तरीकों को भी जानना चाहते थे, जिनके द्वारा दक्कन क्षेत्र की जनजातियां बदलती सामाजिक और आर्थिक स्थितियों के साथ अनुकूलित हुए। भारत में दक्कन क्षेत्र की जनजातियों पर क्रिस्टोफ वॉन फ्यूरर-हैमनडॉर्फ का काम उनके जटिल सामाजिक और सांस्कृतिक संरचनाओं के साथ-साथ उनके जीवन के अनूठे तरीकों की अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। अपने व्यापक क्षेत्रकार्य और शोध के माध्यम से, फ्यूरर-हैमनडॉर्फ ने जनजातियों की रिश्तेदारी प्रणालियों, धार्मिक विश्वासों और आर्थिक प्रथाओं का दस्तावेजीकरण किया। उन्होंने इन समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें गरीबी, हाशियाकरण और पारंपरिक भूमि और संसाधनों का नुकसान भी शामिल है। उनकी रचनाएँ इन आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विविधता और समृद्धि पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान करती हैं और उनकी अनूठी परंपराओं और जीवन को संरक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डालती हैं। तो आइए आज इस चलचित्र के माध्यम से कुछ फ़ुटेज पर एक नज़र डालते हैं,जो फ्यूरर-हैमनडॉर्फ ने अपने व्यावहारिक कार्य के दौरान दक्कन कबीलों पर बनाए थे।
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